#pramodjoshiप्रमोद जोशी।

श्रीलंका की संसद में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में भी कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में अभी तक काम कर रहे रानिल विक्रमासिंघे को जीत मिली है। इसके पहले देश के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे देश छोड़कर सिंगापुर चले गए थे। उनके भाई महिंदा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ दी थी। वे तब से कहाँ हैं, इसकी कोई सूचना नहीं है।

तीन उम्मीदवारों में मुकाबला

यह पहला मौका है जब राष्ट्रपति पद के लिए मुकाबला तीन उम्मीदवारों के बीच हुआ। मुकाबला रानिल विक्रमासिंघे, डलास अल्हाप्पेरुमा और वामपंथी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के नेता अनुरा कुमारा दिसानायके के बीच था। विक्रमासिंघे को 134 वोट मिले हैं। 223 सदस्यों वाली संसद में दो सांसद नदारद रहे और कुल 219 वोट्स वैध और 4 वोट अवैध घोषित हुए। श्रीलंका के संविधान के मुताबिक नया राष्‍ट्रपति अब नवंबर 2024 तक पूर्व राष्‍ट्रपति के कार्यकाल को पूरा करेगा।

जनता की दिलचस्पी नहीं

इस जीत से फौरी तौर पर राजनीतिक अस्थिरता का समाधान हो गया है, पर यह समझ में नहीं आ रहा है कि आर्थिक संकट का समाधान कैसे निकलेगा। इस चुनाव परिणाम में जनता की दिलचस्पी नजर नहीं आ रही है। चुनाव परिणाम आने के बाद भी राजधानी कोलंबो में प्रदर्शन हो रहे हैं। प्रदर्शनकारी रानिल विक्रमासिंघे का भी विरोध कर रहे हैं। रानिल विक्रमासिंघे भी देश में अलोकप्रिय हैं और उनके निजी आवास में भी आक्रोशित भीड़ ने आग लगा दी थी।

उपलब्धियां कई

श्रीलंका के एक प्रभावशाली सिंहली परिवार में जन्मे विक्रमासिंघे पेशे से वकील हैं। सिर्फ 28 साल की उम्र में उन्‍हें उप-विदेश मंत्री का पद दिया गया था। उनकी काम करने की क्षमता ने बहुत कम समय में कई नेताओं को प्रभावित किया था। 5 अक्‍टूबर 1977 को विक्रमासिंघे को फुल कैबिनेट पद मिल गया और वे युवा मामलों के मंत्री बने। साल 1980 की शुरुआत तक उनके पास ये पद रहा।

आपदा में अवसर

इसके पहले श्रीलंका की राजनीति में ऐसी अस्थिरता 1993 में देखने को मिली, जब राष्‍ट्रपति रणसिंघे प्रेमदासा को एक आत्‍मघाती हमले में लिट्टे आतंकियों ने मार दिया था। उनकी मौत के बाद प्रधानमंत्री डीबी विजीतुंगा को कार्यवाहक राष्‍ट्रपति बनाया गया। उस समय 7 मई 1993 को विक्रमासिंघे को पहली बार देश का प्रधानमंत्री नियुक्‍त किया गया था।

मिलकर काम करने की अपील

चुनाव जीतने के बाद संसद को संबोधित करते हुए रानिल विक्रमासिंघे ने सभी पार्टियों से मिलकर काम करने की अपील की है और श्रीलंका को इस मुश्किल से बाहर निकालने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि मैं गुरुवार को सभी पार्टियों के साथ बैठकर बातचीत करूँगा।

(लेखक ‘डिफेंस मॉनिटर’ पत्रिका के प्रधान सम्पादक हैं। आलेख ‘जिज्ञासा’ से)