बीएलओ की दिक्कतें कम करने के लिए के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश।

Courtesy: Bar and Bench

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अलग-अलग राज्यों में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआइआर) में लगे बूथ लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) की दिक्कतों को कम करने के लिए कई निर्देश जारी किए। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने संबंधित राज्यों को एसआइआर ड्यूटी के लिए एक्स्ट्रा स्टाफ तैनात करने का आदेश दिया, ताकि एसआइआर में लगे लोगों के काम के घंटे कम किए जा सकें।

इसके अलावा, अगर वे खास वजहों का हवाला देकर काम से छूट मांगते हैं, तो उस पर केस-टू-केस बेसिस पर विचार किया जाना चाहिए, बेंच ने यह साफ किया। इस मकसद से उसने ये निर्देश जारी किए:

-राज्य एक्स्ट्रा स्टाफ तैनात करें ताकि काम के घंटे कम किए जा सकें।

-जहां भी किसी व्यक्ति के पास छूट मांगने की कोई खास वजह हो, राज्य सरकार केस-टू-केस बेसिस पर ऐसी रिक्वेस्ट पर विचार करेगी और ऐसे व्यक्ति की जगह किसी दूसरे व्यक्ति को रखेगी। अगर वर्कफोर्स बढ़ाने की ज़रूरत पड़ती है, तो राज्य वर्कफोर्स देने के लिए मजबूर है।

-अगर कोई और राहत नहीं मिलती है, तो पीड़ित व्यक्ति कोर्ट जा सकता है।

Courtesy: Jagran

ये निर्देश राजनीतिक दल तमिलागा वेत्री कझगम (टीवीके) की तरफ से इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया (ईसीआई) के खिलाफ फाइल की गई एक एप्लीकेशन पर सुनवाई करते हुए दिए गए। इस एप्लीकेशन में बीएलओ की हालत पर रोशनी डाली गई थी, जिसमें उनमें से कुछ ने काम के प्रेशर का हवाला देकर यह कदम उठाया था।

ईसीआई की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने एप्लीकेशन का विरोध किया। उन्होंने कहा, “यह बिल्कुल गलत है। इन एप्लीकेशन पर विचार नहीं किया जाना चाहिए।” इसके बाद कोर्ट ने एप्लीकेशन के बारे में ये बातें कहीं।

आखिरकार, कोर्ट ने बीएलओ के काम करने के हालात को बेहतर बनाने के लिए राज्यों को निर्देश जारी किए। यह सुनवाई तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और केरल समेत कई राज्यों में एसआइआर प्रोसेस को चुनौती देने वाली कई पिटीशन का हिस्सा थी। टीवीके की तरफ से सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन और एडवोकेट दीक्षिता गोहिल, प्रांजल अग्रवाल और यश एस विजय ने केस लड़ा।