मार्गशीर्ष संक्रांति का सनातन धर्म में विशेष महत्व है शास्त्रों के अनुसार यह संक्रांति अनेक तरह के पापों के प्रायश्चित और नाश करने वाली होती है। मार्गशीर्ष संक्रांति के दिन सूर्य देव तुला राशि को छोड़ वृश्चिक राशि में प्रवेश करते है इसी वजह से इस संक्रांति को वृश्चिक संक्रांति भी कहते हैं । इसकी अन्य क्या विशेषता है और इस दिन ध्यान, दान, पुण्य, तीर्थ स्नान का महत्व शास्त्रों में विशेष क्या है, आइए जानते हैं विस्तार से इसके बारे में ।

मार्गशीर्ष संक्रांति के विषय में इस विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष (ज्योतिषाचार्य) महंत रोहित शास्त्री ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया इस साल सन् 2022 ई. को सूर्य देव वृश्चिक राशि में 16 नवंबर शाम 07 बजकर 15 मिनट पर प्रवेश करेंगे। मार्गशीर्ष संक्रांति का पुण्य काल 16 नवंबर दोपहर 12 बजकर 51 मिनट से शुरु होगा। इस दिन जप,तप,स्नान,दान आदि करना शुभ होगा।

शुद्ध घी,तिल, सरसो के तेल एवं कंबल दान मोक्ष की प्राप्ति का कारक

मार्गशीर्ष संक्रांति के दिन दान का बड़ा महत्व बताया है। इस दिन शुद्ध घी,तिल, सरसो के तेल एवं कंबल दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है मार्गशीर्ष संक्रांति के अवसर पर गंगास्नान,नदी,सरोवर, एवं गंगातट पर दान को अत्यंत शुभकारक माना गया है इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गई है। अगर किसी कारण के चलते आप गंगा आदि पवित्र नदियों में स्नान नहीं कर सकते हो तो घर में ही पानी में गंगाजल डाल कर स्नान अवश्य करें,ऐसा करने से गंगा स्नान का पूरा फल मिलता है।

भूमि पर देखने को मिलेंगे ये तमाम परिवर्तन

यह संक्रांति अनाज आदि रोजाना उपभोग्य वस्तुओं के मूल्य में वृद्धि होगी, राजनीतिक दलों में आपसी खींचातानी बढ़ेगी, राजनीतिक उथल पुथल भी होगी, किसी राज्य में सत्ता परिवर्तन हो सकता है, राजनेताओं एवं दुष्टों के लिए यह संक्रांति शुभ होगी,भूकंप होगा,जनता के आक्रोश की भावना अधिक होगी,किसी बड़ी हस्ती की अचानक मृत्यु होगी, सड़क दुर्घटना एवं अग्निकांड से कोई बड़ा हादसा हो सकता है,यह संक्रांति वृष, मिथुन, कर्क,सिंह, कन्या एवं कुम्भ राशि वालों के लिए शुभ होगी।

इन बातों का रखें खास ख्याल

संक्रांति के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए,ब्रम्चार्य का पालन करना चाहिए,इन दिनों में शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए, व्रत रखने वालों को इस व्रत के दौरान दाढ़ी-मूंछ और बाल नाखून नहीं काटने चाहिए, व्रत करने वालों को पूजा के दौरान बेल्ट, चप्पल-जूते या फिर चमड़े की बनी चीजें नहीं पहननी चाहिए,काले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए,किसी का दिल दुखाना सबसे बड़ी हिंसा मानी जाती है। गलत काम करने से आपके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते है।

अपनी राशि के हिसाब से दान करें

मार्गशीर्ष संक्रांति पर सूर्य देव का प्रवेश वृश्चिक राशि में होता है और इसका हर राशि पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि आपके द्वारा किया जाने वाला दान आपकी राशि से जुड़ा हो। राशि के अनुसार आपके लिए कौन सा दान फलदायी साबित होगा,यहां इसे भी जानना महत्वपूर्ण है।

मेष राशि के लोगों को गुड़, मूंगफली, तिल,तांबा की वस्तु, दही का दान देना चाहिए।
वृषभ राशि के लोगों के लिए सफेद कपड़े, चांदी और तिल का दान करना उपयुक्त रहेगा।
मिथुन राशि के लोग मूंग दाल, चावल, पीला वस्त्र, गुड़ और कंबल का दान करें।
कर्क राशि के लोगों के लिए चांदी, चावल, सफेद ऊन, तिल और सफेद वस्त्र का दान देना उचित है।
सिंह राशि के लोगों को तांबा,गुड़, गेंहू,गौमाता का घी, सोने और मोती दान करने चाहिए।
कन्या राशि के लोगों को चावल, हरे मूंग या हरे कपड़े का दान देना चाहिए।
तुला राशि के जातकों को हीरे, चीनी या कंबल,गुड़, सात तरह के अनाज का दान देना चाहिए।
वृश्चिक राशि के लोगों को मूंगा, लाल कपड़ा,लाल वस्त्र, दही और तिल दान करना चाहिए।
धनु राशि के जातकों को वस्त्र, चावल, तिल,पीला वस्त्र और गुड़ का दान करना चाहिए।
मकर राशि के लोगों को गुड़,चावल,कंबल और तिल दान करने चाहिए।
कुंभ राशि के जातकों के लिए काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी,कंबल, घी और तिल का दान चाहिए।
मीन राशि के लोगों को रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल,और तिल दान देने चाहिए। (एएमएपी)