सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के सील किए गए वजूखाने के वाटर टैंक की सफाई की हिंदू पक्ष की मांग को मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने कहा कि वाराणसी के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की निगरानी में सफाई की प्रकिया पूरी हो। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि जिला प्रशासन सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश को ध्यान में रखते हुए इस प्रकिया को अंजाम दे। सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष ने भी हिंदू पक्ष की इस मांग पर कोई ऐतराज नहीं जताया।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने आदेश में कहा था कि शिवलिंग को सुरक्षित रखा जाए और किसी भी चीज से छेड़छाड़ न की जाए। हिन्दू पक्ष ने कथित शिवलिंग के टैंक में मछलियों की मौत के बाद फैली गंदगी को तत्काल साफ कराने की मांग करते हुए कहा था कि चूंकि हमारी मान्यता के मुताबिक वहां पर शिवलिंग मौजूद है और शिवलिंग को किसी भी तरह की गंदगी, मरे हुए जीवों से दूर रखा जाने की जरूरत है। ऐसे में उसे टैंक की सफाई की इजाजत दी जाए।
Gyanvapi case | Supreme Court allows an application of Hindu side’s petitioners seeking direction for cleaning the entire area of ‘wazukhana’ of Gyanvapi mosque where the ‘Shivling’ was found, and maintaining hygienic condition. pic.twitter.com/nD7mofX8Dk
— ANI (@ANI) January 16, 2024
भावनाएं आहत होने का किया गया था दावा
हिंदू पक्ष ने अपनी याचिका में कहा कि मई 2022 से मुस्लिम पक्ष के द्वारा बनाए गए वज़ूखाने की सफाई नहीं हुई है। इसकी वजह से 20 से 25 दिसंबर, 2023 के बीच मछलियों की मौत हो गई। इस वजह से वजूखाना, जिसमें सर्वे में मिला कथित शिवलिंग अपवित्र हो गया है। यह हिन्दू धर्म की आस्था के विपरीत है। याचिका में आगे कहा गया कि वहां मौजूद “शिवलिंग” हिंदुओं के लिए बहुत पवित्र है। इसलिए उसे किसी भी तरह की धूल, गंदगी और मरे हुए जानवरों से दूर रखना चाहिए। उसकी सफाई होनी चाहिए। मगर अभी वह मरी हुई मछलियों से घिरा हुआ है, जिसकी वजह से भगवान शिव को मानने वाले भक्तों की भावनाएं आहत हो रही हैं।
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क्या है मामला
आपको बता दें कि वज़ुखाना’ के क्षेत्र को 2022 में सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश पर सील कर दिया गया था। यहां ‘शिवलिंग’ के आकार का पत्थर मिला था, जिसके बाद सील करने का आदेश दिया गया है। 16 मई 2022 को, काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित मस्जिद में एक अदालत के आदेश पर सर्वेक्षण के दौरान, इस संरचना को हिंदू पक्ष द्वारा ‘शिवलिंग’ और मुस्लिम पक्ष द्वारा ‘फव्वारा’ होने का दावा किया गया था। (एएमएपी)