राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में एक दिन पहले के मुकाबले हवा कुछ और खराब हो गई है। गुरुग्राम को छोड़कर दिल्ली समेत एनसीआर के सभी प्रमुख शहरों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में है। बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर पंजाब सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि कोर्ट में किसानों का पक्ष भी नहीं रखा जा रहा है और उन्हें विलेन बनाने का प्रयास हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार के द्वारा दिए गए आंकड़ों का जिक्र किया जिसमें कहा गया था कि तमाम प्रयास के दौरान किसान ही पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं।

पंजाब सरकार ने क्या बताया

कोर्ट ने कहा, पंजाब सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक किसानों के साथ 8481 बैठकें की गईं और थानाध्यक्षों ने उन्हें समझाया कि वे पराली ना जलाएं। वहीं सुप्रीम कोर्ट को पता चला है कि पहले के मुकाबले पराली जलाने की घटनाएं बढ़ गई हैं। किसानों के खिलाफ पराली जलाने के मामले में 984 एफआईआर दर्ज की गई हैं। वहीं दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है जिसमें से 18 लाख रुपये रिकवर हुए हैं।

पराली जलाने पर वाले किसानों को करें एमएसपी से वंचित

बता दें कि मंगलवार को सुनवाई के दौरान दिल्ली-एनसीआर के प्रदूषण के मामले में पंजाब सरकार के वकील से कोर्ट ने पूछा कि पराली जलाने के मामले में क्या किया गया है। इसपर वकील ने बताया कि सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि अब अगली बार के प्रदूषण का इंतजार नहीं किया जाएगा बल्कि कोर्ट इसकी निगरानी करेगा। अदालत ने यह भी कहा कि अगर किसान नहीं मान रहे हैं और वे पराली जला रहे हैं तो उन्हें एमएसपी के लाभ से वंचित कर देना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की तरफ से पेश हुए वकील से पूछा कि अगर किसानो पर जुर्माना लगाया गया है तो वसूला क्यो नहीं गया। कोर्ट ने सरकार से यह तो जरूर कहा कि उन किसानों को एमएसपी से वंचित किया जाए जो नियमों का  पालन नहीं कर रहे हैं। इसके साथ ही यह भी कहा कि अगर दूसरे राज्यों के किसान एमएसपी के लिए पंजाब में अपना अनाज बेच देते हैं तो वे दूसरे के जरिए भी अपना अनाज बेच ही लेंगे। इसलिए एमएसपी का लाभ रोकने से कोई फायदा नहीं होने वाला है।

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बिहार का दिया उदाहरण

कोर्ट ने कहा कि बिहार के लोग अब भी मशीनों का इस्तेमाल कम करते हैं और अपने हाथों से फसल काटते हैं। वहां पराली जलाने की घटनाएं भी बहुत कम होती हैं। पंजाब समेत अन्य राज्यों में भी कई छोटे किसान पराली को जलाते नहीं हैं बल्कि बेच देते हैं। ऐसे में अगर हरियाणा की तरह किसानों के सस्ते दामों में पराली के लिए मशीनें उपलब्ध करवाई जाएं तो बात बन सकती है।  (एएमएपी)