सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री और अब विधायक पार्थ चटर्जी द्वारा पश्चिम बंगाल के कैश-फॉर-जॉब घोटाले से उत्पन्न मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दायर जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित रखा।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने मामले की सुनवाई की। लॉ लाइव की रिपोर्ट में कहा गया कि प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने मामले में आरोपी की भूमिका का हवाला देते हुए जमानत देने का विरोध किया। एएसजी ने कहा, “अगर उन्हें इस मामले में जमानत मिल भी जाती है, तो वे बाहर नहीं आ पाएंगे क्योंकि वे सीबीआई मामले में हिरासत में हैं।”
चटर्जी की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने पूछा कि जमानत का विरोध करने के लिए यह तर्क कैसे हो सकता है। रोहतगी ने कहा, “यह सिर्फ परपीड़क आनंद है। बाकी सभी को जमानत मिल गई है।”
इस मोड़ पर, जस्टिस कांत ने बताया कि अन्य आरोपी व्यक्ति मंत्री नहीं थे। जब रोहतगी ने कहा कि उनसे कोई बरामदगी नहीं की गई है, तो जस्टिस कांत ने कहा कि एक मंत्री के तौर पर वे “स्पष्ट रूप से” अपने पास पैसे नहीं रखेंगे। जब रोहतगी ने बहस जारी रखी, तो जस्टिस कांत नाराज़ हो गए और ऊंची आवाज़ में टिप्पणी की, “पहली नज़र में तो आप एक भ्रष्ट व्यक्ति हैं! आप समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं? कि भ्रष्ट व्यक्ति इस तरह से जमानत पा सकते हैं?”
जब रोहतगी ने बताया कि वे 2.5 साल तक हिरासत में रहे हैं, तो जस्टिस कांत ने कहा,
“तो क्या हुआ? आपके परिसर से करोड़ों रुपये बरामद हुए हैं।” जस्टिस कांत ने कहा कि आरोप यह है कि रिश्वत की रकम चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों और सहायक प्राथमिक शिक्षकों से ली गई थी और अपराध की आय को नकली कंपनियों और प्रॉक्सी व्यक्तियों को हस्तांतरित किया गया था।
जस्टिस कांत ने कहा,”चटर्जी और अर्पिता के संयुक्त नाम पर संपत्तियां खरीदी गईं…मंत्री बनने के बाद आपने फर्जी लोगों को रखा…पहले आप खुद वहां थे…आप मंत्री हैं, जाहिर है आप अपने खिलाफ जांच का आदेश नहीं देंगे। न्यायिक हस्तक्षेप के कारण ही जांच शुरू हुई। आरोप है कि 28 करोड़ रुपये बरामद किए गए हैं…बेशक उन्हें घर में नहीं रखा गया होगा।”