‘गॉसिप के लिए नहीं है समय’
सुले के इस बयान के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक में कयासों का दौर शुरू हो गया है। सुप्रिया से जब पूछा गया कि अजीत दादा कहां हैं? तो उन्होंने जवाब देते हुए कहा, ‘आप सभी चैनल वाले एक यूनिट अजित दादा के पीछे लगा लें। प्रदेश में कई समस्याएं हैं, राज्य में गलत तरीके से काम हो रहा है, एक कार्यक्रम रद्द करने से ऐसा कुछ नहीं होगा।’
अजीत दादा बीजेपी में शामिल होंगे या नहीं? इस सवाल पर उन्होने कहा, ‘यह बात दादा से पूछो, मेरे पास गॉसिप के लिए समय नहीं है, जनप्रतिनिधि के रूप में मेरे पास बहुत काम है, इसलिए मुझे इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन मेहनत करने वाला नेता हो तो अजीत दादा को हर कोई चाहेगा, इसलिए इस तरह के बयान दिए जाते हैं।’
पवार के भाजपा में जाने की अटकलें
दरअसल उद्धव गुट के नेता के दावे के बाद ये अटकलें तेज हो गई हैं कि एनसीपी नेता अजित पवार बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और सांसद सुप्रिया सुले की कुछ दिन पहले पुणे में एक रैली थी जिसमें अजित पवार शामिल नहीं हुए। इसके बाद उनके बीजेपी में जाने की अटकलें और तेज हो गई। हालांकि उन्होंने ये साफ कर दिया है कि वह रैली में शामिल क्यों नहीं हुए।
नाराज नहीं है अजितः सुप्रिया सुले
इसके बाद सुप्रिया सुले ने मीडिया से कहा कि अजित पवार नाराज नहीं हैं। उन्होंने कहा कि छत्रपति संभाजी नगर में महा विकास अघाड़ी (MVA) की बैठक में जयंत पाटिल का भाषण नहीं हुआ। इसका मतलब ये नहीं है कि वह नाराज हैं। सुप्रिया ने कहा कि यह पहले से ही तय था कि एमवीए की हर रैली में केवल दो लोग ही बोलेंगे। ठीक इसी तरह से ये सब अफवाहें हैं कि अजित पवार नाराज हैं। सुले ने कहा कि केवल उन्हीं पेड़ों पर पत्थर मारे जाते हैं जिनमें अधिक फल लगते हैं।
अजित के बीजेपी में जाने की अटकलें क्यों?
एनसीपी चीफ शरद पवार ने हाल ही में कांग्रेस के अडानी मामले में JPC की मांग को खारिज कर दिया था। इसके बाद उनके भतीजे अजित पवार ने पीएम मोदी के करिश्मे की तारीफ कर दी थी। इतना ही नहीं, उन्होंने EVM पर भी भरोसा जताया था। उन्होंने कहा था, मुझे ईवीएम पर पूरा भरोसा है। कोई एक व्यक्ति ईवीएम में हेरफेर नहीं कर सकता है, यह एक बड़ी प्रणाली है। हारने वाली पार्टी ईवीएम को दोष देती है, लेकिन यह लोगों का जनादेश है। उन्होंने कहा था कि जिस पार्टी के केवल दो सांसद थे, उसने पीएम मोदी के नेतृत्व में साल 2014 में जनादेश से सरकार बनाई और देश के दूर-दराज वाले इलाकों में पहुंच गई तो क्या ये मोदी का करिश्मा नहीं है?
क्या एनडीए में शामिल होगी एनसीपी?
दरअसल, जैसे जैसे लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं, वैसे वैसे महाराष्ट्र में भी समीकरण तेजी से बदलते दिख रहे हैं। एक ओर कांग्रेस, आम आदमी पार्टी समेत विभिन्न विपक्षी दल रणनीति के तहत मोदी सरकार को घेरने में जुटे हैं। जहां राहुल लगातार अडानी और सावरकर के मुद्दे पर बीजेपी को घेर रहे हैं, तो वहीं आप पीएम की फर्जी डिग्री मामले पर पीएम मोदी और उनकी सरकार पर निशाना साध रही है। इन सबके बीच शरद पवार ने विपक्ष के मुद्दों पर ही अख्तियार रुख अपना लिया है।उन्होंने पिछले पिछले दिनों सावरकर, अडानी, पीएम की फर्जी डिग्री मामले पर बीजेपी को राहत देने वाले बयान दिए। शरद पवार के बयान को विपक्षी एकजुटता के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
NDA में शामिल दल
महाराष्ट्र विधानसभा में कुल 288 सदस्य हैं। सियासी समीकरणों और दलीय स्थिति पर नजर डालें तो एनडीए गठबंधन के साथ जो दल हैं उनके विधायकों की संख्या 162 हैं, जो इस प्रकार है-
1-भाजपा- 105
2-शिवसेना (शिंदे गुट)- 40
3-प्रखर जनशक्ति पार्टी- 2
4-अन्य दल- 3
5-निर्दलीय 12
एमवीए में शामिल दल
वहीं विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (MVA) की बात करें तो उनके पास कुल 121 विधायक हैं जिसमें सर्वाधिक विधायक (53) एनसीपी के हैं। एमवीए गठबंधन में शामिल दलों और उनके विधायकों की संख्या इस प्रकार है-
1-एनसीपी- 53
2-कांग्रेस- 45
3-शिवसेना (उद्धव गुट)- 17
4-सपा- 2
5-अन्य दल- 4
पांच विधायकों का किसी को समर्थन नहीं
इसके अलावा,पांच विधायक किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। इसमें बहुजन विकास अघाडी के तीन विधायक और एआईएमआईएम के 2 विधायक हैं, जो ना तो एमवीए गठबंधन का हिस्सा हैं और ना ही एनडीए गंठबंधन में शामिल हैं।
अजित फडणवीस को दे चुके हैं समर्थन
एमवीए नेताओं में मतभेद और शरद पवार-अजित पवार के बयानों के बाद एनसीपी के एनडीए में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं। वैसे भी अजित पवार का बीजेपी के लिए सॉफ्ट कॉर्नर किसी से छिपा नहीं है। वे 2019 विधानसभा चुनाव में एनसीपी की पार्टी लाइन से अलग जाकर फडणवीस के साथ सरकार बना चुके हैं। हालांकि, शरद पवार के दबाव के बाद अजित पवार को वापस लौटना पड़ा था। 72 घंटे में ही उन्होंने डिप्टी सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था।(एएमएपी)