आर्मेनिया को 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर का सौदा होने के बाद जल्द शुरू होगी डिलीवरी
#India to export #airdefence system to #Armeniahttps://t.co/uQ2reGhnjw
— Economic Times (@EconomicTimes) December 20, 2023
स्वदेशी आकाश मिसाइल सिस्टम दूसरे देशों को भी निर्यात किये जाने के लिए 30 दिसम्बर, 2020 को केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी। आकाश मिसाइल सिस्टम 96 प्रतिशत से अधिक स्वदेशीकरण के साथ देश की महत्वपूर्ण मिसाइल है। सतह से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल की रेंज 25 किलोमीटर है। इस मिसाइल को 2014 में भारतीय वायुसेना और 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। इस मिसाइल का प्रदर्शन कई अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनियों जैसे डिफेन्स एक्सपो, एयरो इंडिया के दौरान भी किया गया, जिस पर कई मित्र देशों ने इसके प्रति रुचि दिखाई।
आखिरकार आर्मेनिया से 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का ऑर्डर मिलने के बाद अगले कुछ महीनों में आर्मेनिया को डिलीवरी शुरू होने की उम्मीद है। इस बीच, ब्राजील, मिस्र और फिलीपींस सहित कई देशों ने आकाश मिसाइल प्रणाली में रुचि दिखाई है। मध्य पूर्व में भी ऐसे देश हैं, जिन्होंने आकाश हथियार प्रणाली की क्षमताओं और परीक्षणों में इसके हालिया क्षमता प्रदर्शन में रुचि दिखाई है और दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य पूर्व से ऑर्डर मिल सकते हैं। हाल ही में डीआरडीओ प्रमुख समीर वी कामथ ने प्रतिभाशाली युवाओं को रक्षा अनुसंधान और विकास की ओर आकर्षित करने के लिए मुंबई में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में मिसाइल की प्रतिकृति का उद्घाटन किया था।
Akash SAMs are designed by Indias DRDO, the same organization behind the Pinaka rocket launchers which Armenia purchased earlier. The manufacturing is done by Bharat Dynamics Limited, from which Armenia purchased Konkurs anti-tank guided missiles… pic.twitter.com/bNYSOogXLA
— Ver Media (@vermedianetwork) December 19, 2023
आकाश मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है। इस मिसाइल सिस्टम के कई उन्नत संस्करणों का विकास किया गया है और लगभग एक दशक से सेना और वायु सेना इनका इस्तेमाल कर रही हैं। भारतीय वायु सेना ने 12 दिसंबर को सूर्यलंका वायु सेना स्टेशन पर ‘अस्त्र शक्ति’ के दौरान स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली की एक ही फायरिंग से एक साथ मानव रहित चार लक्ष्यों पर निशाना साधकर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। डीआरडीओ के वैज्ञानिक इसे लगातार अपग्रेड भी कर रहे हैं, इसलिए यह स्वदेशी रक्षा प्रणालियों में से एक है, जिसे अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों से ऑर्डर मिले हैं।(एएमएपी)