आपका अखबार ब्यूरो

सद्गुरु का एलान, जो मंदिरों को मुक्त करेगा, वोट उसी को।

तमिलनाडु की नई विधानसभा को चुनने के लिए आज वहां के लोग वोट डाल रहे हैं। वहां द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के नेतृत्व वाले यूपीए और ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईडीएमके) की अगुवाई वाले एनडीए के बीच मुकाबला है। इस बीच ईशा फाउंडेशन के संस्थापक और विश्वविख्यात आध्यात्मिक नेता सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने घोषणा की है कि उनका वोट उसी के मिलेगा, जो मंदिरों को मुक्त करेंगे। तमिलनाडु के मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराने लिए के सद्गुरु पिछले कुछ समय से अभियान चला रहे हैं। इस अभियान को उन्होंने चुनावी मुद्दा भी बनाया है।


 

इसके लिए वह सोशल मीडिया के साथ-साथ जमीनी तौर पर भी अभियान चला रहे हैं। उन्होंने #FreeTNTemples हैशटैग के साथ ट्विटर पर मुहिम छेड़ी हुई है, जिसे आम लोगों के साथ-साथ जानी-मानी हस्तियों का भी काफी समर्थन मिला है।  #FreeTNTemples  हैशटैग के साथ #PeopleHaveSpoken ट्विटर पर टॉप ट्रेंड में शामिल रहा था। इस अभियान ने महीने भर से पूरी दुनिया के लोगों का ध्यान खींचा हुआ है। अब तक करोड़ से ज्यादा लोगों ने  #FreeTNTemples  अभियान का ऑनलाइन और जमीनी स्तर पर समर्थन किया है।

इस मुद्दे पर सद्गुरु कई वीडियो जारी कर चुके हैं। इसी क्रम में उन्होंने एक और वीडियो जारी किया हैजिसमें राज्य सरकार से अनुरोध किया गया है कि वह द्रविड़ गरिमा के प्रतीक तमिलनाडु के मंदिरों को मुक्त कर दे। उन्होंने लोगों से इस अभियान का समर्थन करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘मेरा वोट उनके लिए है, जो मेरे संवैधानिक अधिकार को पुनः प्रदान करेंगे और मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करेंगे।  #FreeTNTemples । इस ट्वीट में उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम.के. स्टालिन को भी टैग किया है।

 मार्च के प्रारम्भ में सद्गुरु ने तमिलनाडु प्रशासन से मंदिरों को राज्य के नियंत्रण से मुक्त करने और उन्हें भक्तों को सौंप देने आग्रह करते हुए एक अभियान शुरू किया था। तमिलनाडु सरकार की देखभाल में मंदिरों की दशा पर राज्य के हिंदू रिलिजियस एंड चैरिटेबल एंडोमेंट विभाग ने मद्रास हाईकोर्ट के समक्ष एक जानकारी प्रस्तुत की थी, जिससे तमिलनाडु के मंदिरों की दुर्दशा के बारे में पता चलता है। सद्गुरु का यह अभियान उसी जानकारी के परिणामस्वरूप शुरू किया गया है।

Sadhguru's #FreeTNTemples campaign: thousands converge on temples across  Tamil Nadu in support

प्रसिद्ध व्यक्तियोंउद्योगपतियोंमीडियाकर्मियों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने नागरिकों के साथ आकर सरकार से हिंदू पूजा स्थलों के नियंत्रण के भेदभावपूर्ण चलन को खत्म करने का आग्रह किया है। दक्षिण भारतीय और हिन्दी फिल्मों की जानी-मानी अभिनेत्री काजल अग्रवाल ने भी अभियान के समर्थन में ट्वीट किया है- यह दुःखद है और मुझे आशा है कि हम अपनी वास्तुकलापरंपरा और संस्कृति को बचाएंगे।

एक ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘मंदिर, जो एक समय में हमारे पूर्वजों की वास्तुकला के प्रतीक थे, अब शीश विहीन और जीर्ण बना दिए गए है। 3 करोड़ नागरिक महसूस करते हैं कि अगर भक्त इनका प्रबंध देखतेतो ऐसा नहीं हुआ होता। #PeopleHaveSpoken, अब कार्यवाही करने की बारी नेताओं की है।

एक और यूजर ने लिखा, ‘जिसका दिल तमिलनाडु के मंदिरों के लिए धड़कता हैवह तमिलनाडु में शासन करेमेरा वोट उसके लिए है, जो भक्तों को मंदिरों को संभालने देगा!’ #PeopleHaveSpoken

इस अभियान को तमिलनाडु राज्य में चुनावों के ठीक पहले शुरू करके सद्गुरु ने मुख्यमंत्री ई. पलनीसामी और विपक्ष के नेता एम.के. स्टालिन को खुले पत्र लिखेजिसमें उनसे मंदिरों को राज्य के नियंत्रण से मुक्त करने के उनके इरादों को अपने चुनावी घोषणापत्र में शामिल करने का अनुरोध किया था। हाल मेंउन्होंने दोनों राजनीतिक नेताओं को दोबारा पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने समुदाय की भावनाओं से और अभियान को हर वर्ग से मिले जबरदस्त समर्थन से अवगत कराया।

एक महीने में ही नागरिकों ने राज्य भर के मंदिरों की टूटफूट की विभिन्न दशाओं पर ढेर सारे वीडियो ट्विटर पर डाले हैं। कई मंदिर सदियों पुराने हैं और कुछ हजारों वर्ष पुराने। उन पर झाड़ उग गए हैंदीवारें और छत गिर गई हैं। मूर्तियां और नक्काशी क्षतिग्रस्त हो गई हैं और उनके चारों ओर कचरा पड़ा रहता है। मंदिर उदासीनता और उपेक्षा की दिल दहलाने वाली कहानी कहते हैं।