शिवचरण चौहान।
कई सौ साल बीत गए पर दारा शिकोह की कब्र का आज तक पता नहीं चला। भारत सरकार के पुरातत्व विभाग की टीम अभी भी दारा शिकोह की कब्र खोज रही है। दिल्ली में हुमायूं के मकबरे के पास सैकड़ों कब्रों के बीच दारा शिकोह की कब्र कौन सी है यह पता करना आसान नहीं है- क्योंकि बहुत सी कब्रों में किसी का नाम ही नहीं लिखा है । भारत सरकार दारा शिकोह को हिंदू मुस्लिम एकता का प्रतीक मानकर हर साल एक विशेष कार्यक्रम करने की सोच रही है ताकि हिंदू मुस्लिम एकता को नए सिरे से मजबूत किया जा सके।
कत्ल करवा कर लाश फिकवा दी
दारा शिकोह को उसके सबसे छोटे भाई औरंगजेब ने सत्ता के लिए बेरहमी से कत्ल करवा कर लाश फिकवा दी थी। इसके पहले दारा शिकोह की बीवी हमीदा बानो असमय मौत का शिकार हो गई थीं। दारा शिकोह के दोनों बेटे सुलेमान शिकोह और सिपहर शिकोह को ग्वालियर के किले में नजरबंद रखा गया था। जहां उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। दारा शिकोह की दोनों बेटियों का पता नहीं चलता कि दारा की हत्या के बाद क्या हुआ। निर्ममऔरंगजेब ने अपने बड़े भाई का कोई नामोनिशान नहीं छोड़ा था।
औरंगजेब को पत्र
कत्ल होने से पहले दारा शिकोह ने अपने छोटे भाई औरंगजेब को पत्र लिखा था। खुदा के लिए उसे एक झोपड़ी और एक दासी खाना बनाने के लिए दे दी जाए तो वह कभी आपसे कुछ नहीं मांगेगा किंतु बेदर्द औरंगजेब ने दारा शिकोह का कतल करवा दिया। दारा शिकोह पर मुल्ला मौलवियों ने आरोप लगाया था कि दारा शिकोह नास्तिक हो गया है। वह हिंदू धर्म को मानता है। उसने गीता और उपनिषदों का अनुवाद किया है। दारा शिकोह ने ‘मजमा उल बहरेन’ नामक एक किताब लिखी थी। इस किताब में दारा शिकोह ने हिंदू और मुस्लिम धर्म में समानता खोजी थी। बस मौलवियों ने इसी को आधार बनाकर दारा शिकोह को मौत की सजा सुनवा दी।
मुस्लिम और हिंदू धर्मगुरुओं से ली शिक्षा
दारा शिकोह शाहजहां का बेटा था। दारा शिकोह का जन्म 20 मार्च 1615 को अजमेर के निकट सागर ताल में हुआ था। चार भाइयों में दारा शिकोह सबसे बड़ा था। दो बहनें जहां आरा और रोशन आरा थी। दारा शिकोह नाम जहांगीर ने दिया था। दारा शिकोह ने मुस्लिम धर्मगुरुओं से शिक्षा ग्रहण की थी। वह इस्लाम अच्छी तरह समझता था और इस्लाम को मानने वाला था। पर उसकी रूचि हिंदू धर्म में भी थी। उसने मुस्लिम धर्मगुरु और हिंदू धर्मगुरुओं से शिक्षा ली थी।
इनमे शाह मुली वुल्लाह, शाह दिलरुआ, शाह मुहम्मद लिसान उल्लाह तथा बाबा लाल दास बैरागी, कबीर पंथी जगन्नाथ मिश्र आदि शामिल थे। जगन्नाथ मिश्र ने ही दारा शिकोह को इस्लाम, रहस्यवाद और हिंदू दर्शन के बीच समानता खोज कर मेल मिलाप कराने की प्रेरणा दी थी। दारा ने संस्कृत का गहन अध्ययन किया था। वह संस्कृत के श्लोकों में गहरी रूचि रखता था।
हिंदू दर्शन से परिचित कराया दुनिया को
दारा ने हिंदू धर्म के वेद पुराणों के साथ-साथ 52 उपनिषदों का अध्ययन किया था। हिंदू और मुस्लिम विद्वानों के साथ बैठकर उसने 52 उपनिषदों का फारसी भाषा में अनुवाद किया। सन 1657 में दारा शिकोह ने श्रीमद्भागवत गीता का फारसी में अनुवाद किया था। तब हिंदी और संस्कृत भाषा को दुनिया वाले नहीं समझते थे किंतु फारसी भाषा दुनिया भर में चलती थी।
मैक्स मूलर ने लिखा है कि दारा द्वारा किए गए 52 उपनिषदों के फारसी अनुवाद को अंग्रेजों द्वारा लैटिन भाषा में किया गया। श्रीमद्भागवत गीता का फारसी अनुवाद भी लैटिन भाषा में अनूदित किया गया और दारा शिकोह के कारण ही दुनिया यह समझ सकी कि भारत के पास अद्भुत आध्यात्मिक ज्ञान है। दारा शिकोह के कारण ही पूरा यूरोप हिंदू दर्शन से परिचित हो सका। दारा शिकोह ने योग वाशिष्ठ का दोबारा सरल भाषा में फारसी में अनुवाद कराया।
दारा शिकोह के ‘रिसाला ए हक़नुमा, मका मला ए बाबा लाल’- में दारा शिकोह के बाबा लाल दास के साथ हुए सवाल जवाब हैं। दारा शिकोह 1653 में कश्मीर से लौटते हुए बाबा से लाहौर में मिले थे।
मुल्ला और मौलवियों को हजम नहीं हुई यह बात
दारा शिकोह ने इस्लाम के साथ-साथ हिंदू धर्म, जैन और बौद्ध धर्म और ईसाई धर्म के बारे में बहुत गहराई से अध्ययन किया था। दारा शिकोह को यह पता चल चुका था कि हिंदू धर्म और इस्लाम धर्म में बहुत समानताएं हैं। दोनों धर्मों का उद्देश्य खुदा/ईश्वर को प्राप्त करना है। पर मुल्ला और मौलवियों को यह बात हजम नहीं हुई और वे उनके कट्टर दुश्मन हो गए। कंधार की लड़ाई हारने के बाद दारा शिकोह को सन 1659 को कत्ल कर दिया गया। और 44 साल की उम्र में एक नेक बन्दे को बेरहमी से मार डाला गया। जिस कोठरी में दारा को कैद किया गया था उसी में जल्लादों ने उनकी हत्या कर दी। इतिहासकार बताते हैं कि हुमायूं के मकबरे के पास दारा को दफनाया गया था। हुमायूं के मकबरे के पास अकबर के बेटे दानियाल की भी कब्र है। यहां करीब डेढ़ सौ कब्रें हैं जिनमें किसी का नाम नहीं लिखा। दारा शिकोह का जो दीवान मिला है उसमें 133 गजलें और 28 रुबाइयां हैं।
भाइयों भतीजे की हत्या कर तख़्त पर बैठा था शाहजहां
कहते हैं दारा शिकोह का निकाह नादिरा बानू बेगम के साथ हु आ था। निकाह के अवसर पर हुए समारोह में उस समय 32 लाख रुपए खर्च हुए थे। दारा शिकोह की बहन जहांआरा ने भी इस शादी में 16 लाख रुपए खर्च किए थे। 8 लाख की कीमत की पोशाक दारा शिकोह को बनवाई गई थी। निकाह का जश्न एक हफ्ते चला था। इतनी आतिशबाजी की गई थी कि रात में भी दिन हो गया था। शाहजहां ने अपने बेटे दारा शिकोह को मनसबदार घोषित कर रखा था और अपनी गद्दी अपने बड़े बेटे दारा शिकोह को ही देना चाहता था। पर शाहजहां के बीमार पड़ने पर औरंगजेब ने उन्हें कैद करवा लिया। औरंगजेब ने अपने भाइयों मुराद और शाह शुजा की भी हत्या करवा दी। शाहजहां खुद अपने भाइयों और भतीजे की हत्या कर गद्दी पर बैठा था। औरंगजेब भी अपने तीनों भाइयों को कत्ल करवा कर गद्दी पर बैठा। अपनी बहन जहांआरा के कहने पर उसने शाहजहां की हत्या तो नहीं की किंतु सात साल तक उन्हें आगरा के किले में कैद रखा। जहां उन्हें चने की रोटी और चने की दाल दी जाती थी। शाहजहां एड़ियां रगड़ रगड़ कर मरा। औरंगजेब ने हिजड़े भेजकर शाहजहां की लाश को ताजमहल में मुमताज महल के बगल में दफन करवा दिया।
बदल सकता था मुगलों का इतिहास
कहते हैं अगर दारा शिकोह दिल्ली की गद्दी पर बैठता तो हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल कायम करता। मुगलों का तैमूरी इतिहास बदल सकता था। औरंगजेब ने इतनी हत्याएं करवाई कि उसके बाद मुग़ल सल्तनत बहुत दिनों तक भारत में कायम नहीं रह सकी। जब अंग्रेज आए तो उन्होंने मुगलों का नामोनिशान मिटा दिया। भारत सरकार ने सन 2017 में दिल्ली में लॉर्ड डलहौजी के नाम की सड़क का नाम बदल कर दारा शिकोह के नाम पर कर दिया था। और अब पुरातत्व विभाग दारा शिकोह की कब्र खोज रहा है।