पदम् सम्मान: साधारण लोगों की असाधारण प्रतिभा को देश का सादर प्रणाम।
अजय विद्युत।
पद्म सम्मान पहले भी दिए जाते थे। 1954 में इनकी स्थापना की गई थी। लेकिन वे ज्यादातर सरकारी समारोह में अभिजात्य वर्ग तक सीमित थे। वही पद्म सम्मान अभी भी दिए जा रहे हैं- लेकिन इन पुरस्कारों को ‘जनता के पदम्’ में बदलने के लिए सरकार ने जो प्रतिबद्धता और संकल्प दिखाया था उसका असर साफ नजर आ रहा है। केवल नीयत का फर्क है। और जो सम्मान सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों के इर्द-गिर्द मंडराने वाले या उनके जानने वालों तक सीमित रहे थे वे अब आम नागरिक तक पहुंच गए हैं। पहले पद्म पुरस्कारों की सिर्फ खबरें छपती थी, अब देश के नागरिकों में चर्चा का विषय बनते हैं। लोग उनपर बात करते हैं। समाज के हाशिए पर रहकर भी असाधारण काम करने वाले लोगों को अब नोटिस किया जा रहा है। वे पूरे राष्ट्र में वास्तविक नायकों के रूप में उभर रहे हैं।
फर्क आया 2014 से
जो लोग अपनी गली मोहल्ले या शहरों तक सामान्य या उससे भी नीचे के स्तर पर जीवन यापन करते हुए भी समाज के लिए कुछ असाधारण कार्य कर रहे हैं- उनके कार्य को देश में सम्मान मिल रहा है। यह फर्क आया है 2014 से। आखिर 2014 से पहले भी इन पुरस्कारों को दिए जाने की भावना यही थी कि आमजन के बीच के जो प्रतिभाशाली लोग समाज के लिए अद्वितीय योगदान दे रहे हैं, उन्हें सामने लाया जाए और राष्ट्र के नायक के रूप में प्रस्तुत किया जाए। लेकिन ऐसा होता नहीं था।
ऐसे प्रेरणादायी लोगों को जानते हैं आप
2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई। बस उसके बाद से सब कुछ बदल गया। प्रधानमंत्री स्वयं लोगों से जमीनी स्तर पर समाज के लिए असाधारण काम कर रहे लोगों को पद्म सम्मान के लिए नामित करने की अपील करते हैं। वह कहते हैं कि ‘भारत में बहुत सारे प्रतिभाशाली लोग हैं जो जमीनी स्तर पर बहुत बेहतर कार्य कर रहे हैं। क्या आप ऐसे प्रेरणादायी लोगों को जानते हैं। आप ऐसे लोगों को पद्म सम्मान के लिए नॉमिनेट कीजिए।’ प्रधानमंत्री की देश के सभी लोगों से की गई इस अपील का ही नतीजा है कि अब आप को पद्म पुरस्कारों में महिलाओं को प्रताड़ना से बचाने वाली कोई महिला, लावारिस अनजान लोगों के अंतिम संस्कार कराने वाला एक साधारण व्यक्ति और ऐसे ही न जाने कितने कितने लोग आपको पद्म पुरस्कारों की सूची में मिल जाएंगे।
धुन के धनी और जुझारू
अभी 2020 के लिए 141 और 2021 के लिए 119 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 2020 के लिए पद्म विभूषण से 7, पद्मभूषण से 16 और पद्मश्री से 118 लोगों को सम्मानित किया गया, जबकि 2021 के लिए 7 लोगों को पद्म विभूषण, 10 को पद्म भूषण और 102 को पद्मश्री सम्मान प्रदान किए गए। पिछले साल यानी 2020 में कोरोना के कारण पदम् सम्मान वितरित नहीं किए जा सके थे। सम्मान वितरण समारोह के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ‘मुझे यह देख कर खुशी हुई कि जमीनी स्तर पर उपलब्धि हासिल करने वालों को जनता की भलाई के लिए उनके अनुकरणीय प्रयासों के लिए पहचाना जा रहा है। उन सभी को बधाई।’ उन्होंने कहा कि ‘पर्यावरण से लेकर उद्यम तक- कृषि से कला तक- विज्ञान से समाज सेवा तक- पदम पुरस्कारों के प्राप्तकर्ता विविध पृष्ठभूमि से आते हैं।’ प्रधानमंत्री ने लोगों से आग्रह किया कि वे प्रत्येक सम्मान विजेता के बारे में जानें और उनसे प्रेरित हों। वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी कहते हैं, ‘अब पद्म सम्मान पाने वालों में ऐसे नाम दिखाई पड़ रहे हैं, जिन्हें देखकर खुशी होती और विस्मय भी। कितने धुन के धनी और जुझारू लोग हमारे बीच हैं, जिन्हें हम साधारण कहते हैं।’
मानवता के लिए मिसाल
यहां पदम् सम्मान से सम्मानित कुछ ऐसे लोगों का जिक्र किया जा रहा है जो कल तक शायद अपने शहर में भी पहचाने नहीं जाते थे। आम नागरिक भी क्या- उनमें तमाम वे लोग हैं जिन्हें हम समाज में हाशिए पर समझते हैं- लेकिन समाज के लिए कुछ कर गुजरने के जुनून में उनके कार्य, उनकी लगन और उनकी जिजीविषा पूरे देश और मानवता के लिए मिसाल बन गई है।
छूटनी देवी- सताई जा रही महिलाओं की मदद
झारखंड के महतों सरीकेला जिले के गम्हरिया प्रखंड में बिरबांस पंचायत है। वही के गांव भोलाडीह की रहने वाली हैं छूटनी देवी। आशा (एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस) के सौजन्य से वह महिलाओं के लिए पुनर्वास केंद्र चलाती हैं। उन्हें समाज के लिए किए गए बेहतरीन कार्यों के लिए 2021 का पदमश्री सम्मान प्रदान किया गया है। छूटनी देवीका संगठन उन महिलाओं की सहायता करता है जिन्हे समाज में डायन बताकर प्रताड़ित किया गया है। तमाम ऐसी और इसी तरह अन्य सामाजिक कुरीतियों के कारण सतायी गई महिलाओं की वह मदद करती हैं। उन्हें या उनके संगठन के लोगों को जैसे ही यह सूचना मिलती है कि कहीं किसी महिला के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है- वह अपनी टीम के साथ वहां पहुंच जाती हैं- और महिला को प्रताड़ित करने वालों के खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाही करवाती हैं। छूटनी देवी स्वयं भी समाज द्वारा बेवजह प्रताड़ित की गई। फिर उन्होंने ऐसी तमाम महिलाओं की मदद करने का संकल्प लिया। 1995 की बात है। एक तांत्रिक के कहने पर छूटनी देवी को डायन मान लिया गया था। इसके बाद उन्हें मल खिलाने और मूत्र पिलाने की कोशिश की गई। पेड़ से बांधकर पिटाई की गई। किसी तरह अपनी जान बचाकर जंगलों की ओर भाग निकली। उसके बाद वह ज्यादती करने वालों के खिलाफ रिपोर्ट लिखाने पुलिस के पास गई तो पुलिस ने ना रिपोर्ट लिखी, ना उनकी कुछ मदद की। तभी से उन्होंने ठान लिया कि वह प्रताड़ित की गई तमाम महिलाओं की मदद करेंगी।
मोहम्मद शरीफ- लावारिस लाशों के मसीहा
2020 के पद्मश्री सम्मान से सम्मानित अयोध्या के मोहम्मद शरीफ पिछले 25 सालों में 25 हजार से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। इन बुजुर्ग समाजसेवी को अयोध्या और आसपास लावारिस लाशों के मसीहा के तौर पर जाना जाता है। उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि वह अपना इलाज भी ठीक से करा सके। बेटा गाड़ी चला कर परिवार को पालता है। स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता जिसकी वजह से परिवार काफी परेशान रहता है। कुछ समय पहले तो उनकी हालत काफी खराब हो गई थी। परिवार के पास बस इतने ही पैसे बचे थे कि वह उनका इलाज करा सके। मोहम्मद शरीफ साइकिल मरम्मत की दुकान चलाते हैं। छोटे बेटे की मृत्यु के बाद वह लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने में इस तरह खो गए कि उनके साइकिल मरम्मत की दुकान लगभग बंद होने की स्थिति में आ गई। गृहस्थी की गाड़ी भी डगमग हो चली। तीन बेटे हैं एक ने साइकिल मरम्मत की दुकान खोली। दूसरे ने मोटरसाइकिल की मरम्मत करने का काम शुरू किया। तीसरा बेटा ड्राइवर का काम करने लगा। इतना इंतजाम हो गया कि दो वक्त की रोटी और रहने के लिए अति सामान्य सी व्यवस्था बन गई। इस बीच मोहम्मद शरीफ अपने घरेलू जिम्मेदारियों से ऊपर उठकर समाज सेवा के काम में जुट गए और लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कराते रहे।
हरे काला हजाब्बा- खुद निरक्षर पर संकल्प लिया दूसरों को शिक्षा मिले
कर्नाटक में फल बेच कर शिक्षा की अलख जगाने वाले हरे काला हजाब्बा को कुछ समय पहले तक हम में से शायद ही कोई जानता था। बिल्कुल पढ़े-लिखे नहीं हैं। बेहद मामूली से पृष्ठभूमि से आते हैं। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने ऐसा काम किया है जो उन्हें असाधारण लोगों की पंक्ति में खड़ा करता है और राष्ट्र के वास्तविक नायकों में शामिल करता है। उन्हें 2020 के पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। जैसे कबीर कहते हैं कि ‘मसि कागद छुओ नहीं’- इसके बावजूद वह इतने बड़े समाज सुधारक और ज्ञानी बने। हरे काला भी स्कूल नहीं गए। कोई पढ़ाई लिखाई नहीं। बिल्कुल निरक्षर। फिर भी शिक्षा की अहमियत को पहचाना। उनके भीतर यह जुनून जागा कि वह भले नहीं पढ़ पाए लेकिन ऐसा कुछ करें कि दूसरे लोग- जो अभाव के कारण पढ़ने से वंचित रह जाते हैं- वे शिक्षा प्राप्त कर सकें। उनकी खुद की बहुत अच्छी स्थिति नहीं थी। इस पर भी उन्होंने अपनी कुल जमा पूंजी से बेंगलुरु में अपने गांव के पास एक स्कूल खोला। सन 2000 से उनके गांव में यह स्कूल चल रहा है। उन्हें उम्मीद भी नहीं रही होगी फिर कभी देश उनके कार्य को जानेगा-समझेगा और सम्मानित करेगा। पर आज उनकी बड़ी सोच, कड़ी मेहनत और उनके संघर्षों की कहानियां लोग जान रहे हैं और खूब तारीफ कर रहे हैं।
दुलारी देवी- कभी था हाथों में झाड़ू.. अब जादू
दुलारी देवी को 2021 का पद्म श्री सम्मान मिला है। बिहार के मधुबनी जिले के रांटी गांव की रहने वाली हैं। बेहद गरीब मल्लाह परिवार में अभावों और गरीबी के बीच जन्म हुआ। 12 साल की हुई तो माता-पिता ने शादी कर दी। कुछ ऐसा हुआ कि 7 साल बाद ही वह ससुराल से मायके आ गई। उनकी 6 महीने की बेटी नहीं रही थी। उसका काम अलग से था। पढ़ी-लिखी भी नहीं थीं कि कोई सामान्य सा रोजगार या नौकरी कर अपना भरण पोषण कर पातीं। लेकिन एक जिजीविषा थी। उनके संघर्ष की दास्तान ऐसी है कि पुरुष तक हार मान जाए। उन्होंने नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाया। दुलारी देवी की उम्र इस समय 54 साल है। ससुराल से मायके आकर जिंदगी की गाड़ी तो किसी तरह आगे चलानी ही थी। उन्होंने जीवन के लिए संघर्ष शुरू किया। कुछ घरों में झाड़ू पोछा लगाने का काम मिल गया जिससे कुछ आमदनी हो जाती थी। लेकिन किस्मत किसी को किस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दें यह कोई नहीं जानता। अचानक दुलारी ने हाथ में पोंछे की जगह कूची पकड़ ली। उनके हाथों में कमाल का जादू था। भले वह लिख पढ़ नहीं पाती थी लेकिन चित्र गजब के बनाती थी। मधुबन की यह बेटी संघर्षों की जीती जागती गाथा है। दुलारी अब ‘पद्मश्री दुलारी’ हैं। सात हजार से ज्यादा मिथिला पेंटिंग बना चुकी हैं। उनकी पेंटिंग की तारीफ पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम भी कर चुके हैं। थोड़ा पीछे चलते हैं। घरों में झाड़ू पोछा करते करते दुलारी को अपने ही गांव में मिथिला पेंटिंग की मशहूर कलाकार कर्पूरी देवी के घर झाड़ू पोछा करने का काम मिल गया। वह कर्पूरी जी को पेंटिंग करते हुए देखतीं तो उनके हाथ भी कुछ करने को- बनाने को- मचल उठते। खाली समय में दुलारी अपने घर आंगन को ही मिट्टी से पोतकर लकड़ी का ब्रश बना कर मधुबनी पेंटिंग करने लगीं। प्रतिभा तो उनमें थी लेकिन कर्पूरी जी के घर काम करने जा कर उनके हाथों का हुनर बाहर आ गया और निखर गया। अब से सिलसिला बहुत आगे निकल चुका है।
स्वामी विश्वेश तीर्थ- सद्भाव और शैक्षणिक जाग्रति के लिए समर्पित
समाज में सद्भाव और शैक्षणिक जाग्रति के लिए समर्पित उडुपी के पेजावर मठ के पूर्व प्रमुख स्वामी विश्वेश तीर्थ को मरणोपरांत 2021 के पदम् विभूषण से सम्मानित किया गया। उन्हें अध्यात्म के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्य के लिए देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया है। उडुपी के पेजावर मठ के गुरु परंपरा के 33वें गुरु श्री विश्वेश तीर्थ स्वामी का जन्म 27 अप्रैल, 1931 को पुट्टुर के रामाकुंज में एक शिवाली मध्व ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 1938 में 7 वर्ष की आयु में ही इन्होंने संन्यास धारण किया था। स्वामी जी ने कई शैक्षणिक और सामाजिक संस्थाओं की स्थापना की। पूरे देश में उन्होंने कई ऐसे धर्मस्थलों और मठों का निर्माण किया जो तीर्थ यात्रियों की सेवा में लीन हैं। राम जन्मभूमि आंदोलन से लेकर गौ रक्षा जैसे मुद्दों का उन्होंने भरपूर समर्थन किया।
मदन चौहान – बचपन से ही लगी थी लगन
छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध सूफी गायक मदन चौहान को 2020 के पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। मदन चौहान का जन्म देश के स्वतंत्र होने के 2 महीने बाद 15 अक्टूबर 1947 को हुआ। संगीत से उनका लगाव बचपन से ही था। उन्होंने खुद बताया कि जब वह केवल 10 साल के थे तभी से वह कुछ बजाना चाहते थे। जब और कुछ नहीं मिलता था तो तब वह घर में टीन का डिब्बा बजाते थे। धीरे-धीरे उनमें संगीत का शौक जागता गया। उन्होंने कठिन साधना की और पिछले 55 सालों से तबले और हारमोनियम के साथ मंच पर प्रस्तुति दे रहे हैं। उनके सूफी गायक बनने के संकेत संभवतः बचपन से ही प्रकट होने लगे थे। बचपन से ही साधु संतों के भजन गाना उन्हें बहुत प्रिय था। पंडित कन्हैयालाल भट्ट उनके संगीत के प्रारंभिक गुरु थे।
मंझम्मा जोगाठी- ट्रांसजेंडर होने के नाते कई मुश्किलें झेलीं
कर्नाटक के बेल्लारी जिले के कल्लू कम्बा में जन्मी ट्रांसजेंडर फोक डांसर मंझम्मा जोगाठी को 2021 के पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति भवन में सम्मान लेने वह जैसे ही राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के पास पहुंची वहां उन्होंने ट्रांसजेंडर समुदाय द्वारा नजर उतारने की रस्म अदा की। जिसका पूरे हाल में तालियों से स्वागत किया गया। मंझम्मा का कहना है कि ट्रांसजेंडर होने के नाते अपनी पहचान बनाने में उन्हें तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने कई कलाओं में महारत हासिल की। अपने को मजबूत बनाया और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद की उनका असली नाम मंजूनाथ शेट्टी है। कर्नाटक जनपद अकादमी की वह पहली ट्रांसजेंडर अध्यक्ष हैं।
तुलसी गौड़ा- जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया
कर्नाटक की 72 वर्षीय तुलसी गौड़ा को पर्यावरण में अहम योगदान देने के लिए 2021 पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। सम्मान लेने वे अपने पारंपरिक परिधान और नंगे पैर पहुंची थीं। इस दौरान जब उनका सामना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से हुआ तो दोनों हस्तियों ने उन्हें नमस्कार किया। छह दशक से पर्यावरण संरक्षण गतिविधियों में शामिल तुलसी अब तक करीब 30,000 से अधिक पौधे लगा चुकी हैं। हलक्की जनजाति में जन्मी तुलसी को घर में बेहद गरीबी के कारण औपचारिक शिक्षा तक नसीब नहीं हो सकी। बचपन से ही उन्हें पेड़-पौधों से काफी लगाव था। ज्यादा समय वे जंगलों में ही बिताती थीं। धीरे-धीरे पेड़-पौधों और जड़ी-बूटियों की विविध प्रजातियों की जानकारी हो गई। उसी ज्ञान के कारण आज उन्हें ‘जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया’ के रूप में जाना जाता है। 12 साल की उम्र से उन्होंने हजारों पेड़ लगाए और उनका ख्याल रखते हुए उन्हें बड़ा किया। वही काम वह अब भी जारी रखे हुए हैं।
आचार्य रामयत्न शुक्ल- 89 की उम्र में युवाओं को मुफ्त संस्कृत शिक्षा दे रहे
संस्कृत के प्रकांड विद्वान और काशी विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य रामयत्न शुक्ल को शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। इस समय आचार्य रामयत्न शुक्ल की आयु 89 वर्ष है और अभी भी नई पीढ़ी को संस्कृत से जोड़ने के लिए काममें संलग्न हैं। वह युवाओं को संस्कृत और वैदिक विज्ञान की शिक्षा मुफ्त में देते हैं। आचार्य रामयत्न शुक्ल ने अष्टाध्याई की वीडियो रिकॉर्डिंग तैयार करवाई है। इस वीडियो रिकॉर्डिंग के माध्यम से वह संस्कृत के लुप्त होते जा रहे ज्ञान को नई पीढ़ी तक सहज रूप में पहुंचा रहे हैं। 1932 में जन्मे शुक्ल की बचपन से ही संस्कृत में बहुत रुचि थी उन्होंने स्वामी करपात्री जी महाराज और स्वामी चेतन भारती से वेदांत शास्त्र पंडित प्रवर हरिराम शुक्ल से मीमांसा शास्त्र और पंडित राम चंद्र शास्त्री से दर्शनशास्त्र योग की शिक्षा ली थी।
पहली बार दो बांग्लादेशी नागरिकों को मिला पद्मश्री
भारत में पूर्व उच्चायुक्त मुअज्जम अली और 1971 युद्ध के नायक कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर पद्मश्री पाने वाले यह पहले बांग्लादेशी नागरिक हैं। मुअज्जम अली को मरणोपरांत पद्मश्री से सम्मानित किया गया है। भारत और बांग्लादेश, बांग्लादेश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ और भारत के साथ राजनयिक संबंधों के 50वें वर्ष के साथ-साथ शेख मुजीबुर रहमान की शताब्दी मना रहे हैं। पश्चिमी पाकिस्तान की आर्मी द्वारा पूर्वी पाकिस्तान के लोगों पर हो रहे जुल्म के खिलाफ भारत ने 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना पर हमला बोला था। इस युद्ध में भारत ने पश्चिमी पाकिस्तान को हराया, जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान अलग होकर बांगलादेश बना।
किसको दिए जाते हैं पद्म सम्मान
पद्म विभूषण-
यह सम्मान असाधारण और विशिष्ट सेवाओं के लिए दिया जाता है। यह भारत रत्न के बाद दूसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है।
पद्म भूषण-
यह सम्मान उच्च-क्रम की प्रतिष्ठित सेवा के लिए दिया जाता है। यह तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान है।
पद्मश्री-
प्रतिष्ठित सेवाओं के लिए दिया जाने वाला यह सम्मान चौथा उच्चतम नागरिक सम्मान है।
2020: एक सौ इकतालीस लोगों को पद्म सम्मान
पद्म विभूषण (7)
1 श्री जॉर्ज फर्नांडिज (मरणोपरांत) राजनीति बिहार
2 श्री अरुण जेटली (मरणोपरांत) राजनीति दिल्ली
3 श्री अनिरुद्ध जगन्नाथ जीसीएसके राजनीति मॉरीशस
4 श्रीमती एम सी मैरीकॉम खेल मणिपुर
5 श्री छन्नू लाल मिश्र कला उत्तर प्रदेश
6 श्रीमती सुषमा स्वराज (मरणोपरांत) राजनीति दिल्ली
7 श्री विश्वेशतीर्थ स्वामीजी (मरणोपरांत) आध्यात्मिकता उडुपी, कर्नाटक
पद्म भूषण (16)
8 श्री एम. मुमताज अली (श्री एम) आध्यात्मिकता केरल
9 श्री सैय्यद मुअज़्वज़ीम अली (मरणोपरांत) राजनीति बांग्लादेश
10 श्री मुज़फ्फर हुसैन बेग राजनीति जम्मू एवं कश्मीर
11 श्री अजॉय चक्रवर्ती कला पश्चिम बंगाल
12 श्री मनोज दास साहित्य एवं शिक्षा पुदुचेरी
13 श्री बालकृष्ण दोशी वास्तुकला गुजरात
14 सुश्री कृष्णम्मल जगन्नाथन सामाजिक कार्य तमिलनाडु
15 श्री एस.सी. जमीर राजनीति नगालैंड
16 श्री अनिल प्रकाश जोशी सामाजिक कार्य उत्तराखंड
17 डा. त्सेरिंग लेंडोल चिकित्सा लद्दाख
18 श्री आनन्द महिन्द्रा व्यापार एवं उद्योग महाराष्ट्र
19 श्री नीलकण्ठ रामकृष्ण माधव मेनन (मरणोपरांत) राजनीति केरल
20 श्री मनोहर गोपालकृष्ण प्रभु पर्रिकर (मरणोपरांत) राजनीति गोवा
21 प्रो. जगदीश सेठ साहित्य एवं शिक्षा अमेरिका
22 सुश्री पी वी सिंधू खेल तेलंगाना
23 श्री वेणु श्रीनिवासन व्यापार एवं उद्योग तमिलनाडु
पद्मश्री (118)
24 गुरु शशाधर आचार्य कला झारखंड
25 डॉ. योगी एरॉन चिकित्सा उत्तराखंड
26 श्री जयप्रकाश अग्रवाल व्यापार एवं उद्योग दिल्ली
27 श्री जगदीश लाल आहूजा सामाजिक कार्य पंजाब
28 श्री काज़ी मासूम अख्तर साहित्य एवं शिक्षा पश्चिम बंगाल
29 सुश्री ग्लौरिया अरिएैरा साहित्य एवं शिक्षा ब्राजील
30 श्री खान जहीर खान बख्तियार खान खेल महाराष्ट्र
31 डा. पद्मावति बंदोपाध्याय चिकित्सा उत्तर प्रदेश
32 डा. सुशोवन बनर्जी चिकित्सा पश्चिम बंगाल
33 डा. दिगम्बर बेहरा चिकित्सा चंडीगढ़
34 डा. दमयंती बेसरा साहित्य एवं शिक्षा ओडिशा
35 श्री पवार पोपटराव भगुजी सामाजिक कार्य महाराष्ट्र
36 श्री हिम्मत राम भंभु सामाजिक कार्य राजस्थान
37 श्री संजीव भीखचंदानी व्यापार एवं उद्योग उत्तर प्रदेश
38 श्री गफूर भाई एम. बिलाखिया व्यापार एवं उद्योग गुजरात
39 श्री बॉब ब्लैकमेन राजनीति ब्रिटेन
40 सुश्री इंदिरा पी. पी. बोरा कला असम
41 श्री मदन सिंह चौहान कला छत्तीसगढ़़
42 सुश्री ऊषा चौमार सामाजिक कार्य राजस्थान
43 श्री लील बहादुर छेत्री साहित्य एवं शिक्षा असम
44 सुश्री ललीता एवं सुश्री सरोज चिदम्बरम (युगल) कला तमिलनाडु
45 डा. वजीरा चित्रसेन कला श्रीलंका
46 डा. पुरुषोत्तम दधीच कला मध्य प्रदेश
47 श्री उत्सव चरणदास कला ओडिशा
48 प्रो. इंदिरा दासनायके (मरणोपरांत) साहित्य एवं शिक्षा श्रीलंका
49 श्री एच.एम. देसाई साहित्य एवं शिक्षा गुजरात
50 श्री मनोहर देवदास कला तमिलनाडु
51 सुश्री ओइनाम बेमबिम देवी खेल मणिपुर
52 सुश्री लिया दिसकिन सामाजिक कार्य ब्राजील
53 श्री ए.पी. गणेश खेल कर्नाटक
54 डा. बंगलोर गंगाधर चिकित्सा कर्नाटक
55 डा. रमण गंगाखेडकर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग महाराष्ट्र
56 श्री बेरी गार्डिनर राजनीति ब्रिटेन
57 श्री चेवांग मोनुप गोबा व्यापार एवं उद्योग लद्दाख
58 श्री भरत गोयनका व्यापार एवं उद्योग कर्नाटक
59 श्री यादला गोपालराव कला आंध्र प्रदेश
60 श्री मित्रभानु गोंटिया कला ओडिशा
61 सुश्री तुलसी गौडा सामाजिक कार्य कर्नाटक
62 श्री सुजॉय के. गुहा विज्ञान एवं इंजीनियरिंग बिहार
63 श्री हरिकला हजब्बा सामाजिक कार्य कर्नाटक
64 श्री इनामुल हक पुरातत्व बांग्लादेश
65 श्री मधु मंसूरी हसमुख कला झारखंड
66 श्री अब्दुल जब्बार (मरणोपरांत) सामाजिक कार्य मध्य प्रदेश
67 श्री बिमल कुमार जैन सामाजिक कार्य बिहार
68 सुश्री मीनाक्षी जैन साहित्य एवं शिक्षा दिल्ली
69 श्री नेमनाथ जैन व्यापार एवं उद्योग मध्य प्रदेश
70 सुश्री शांति जैन कला बिहार
71 श्री सुधीर जैन विज्ञान एवं इंजीनियरिंग गुजरात
72 श्री बेनीचंद्र जमातिया साहित्य एवं शिक्षा त्रिपुरा
73 श्री के. वी. संपथ कुमार एवं सुश्री विदुषी जयलक्ष्मी के. एस. (युगल) साहित्य एवं शिक्षा – पत्रकारिता कर्नाटक
74 श्री करण जौहर कला महाराष्ट्र
75 डा. लीला जोशी चिकित्सा मध्य प्रदेश
76 सुश्री सरिता जोशी कला महाराष्ट्र
77 श्री सी कमलोआ साहित्य एवं शिक्षा मिजोरम
78 डा. रवि कन्नन आर. चिकित्सा असम
79 सुश्री एकता कपूर कला महाराष्ट्र
80 श्री याज़दी नाओश्रीवान करंजिया कला गुजरात
81 श्री नारायण जे. जोशी करायल साहित्य एवं शिक्षा गुजरात
82 डा. नरिन्दर नाथ खन्ना चिकित्सा उत्तर प्रदेश
83 श्री नवीन खन्ना विज्ञान एवं इंजीनियरिंग दिल्ली
84 श्री एस. पी. कोठारी साहित्य एवं शिक्षा अमरीका
85 श्री वी.के. मनुसामी कृष्णा पख़्दतहर कला पुदुचेरी
86 श्री एम. के. कुंजोल सामाजिक कार्य केरल
87 श्री मनमोहन महापात्रा (मरणोपरांत) कला ओडिशा
88 उस्ताद अनवर खान मंगनियार कला राजस्थान
89 श्री कट्टुंगल सुब्रमण्यम मनिलाल विज्ञान एवं इंजीनियरिंग केरल
90 श्री मुन्ना मास्टर कला राजस्थान
91 प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र साहित्य एवं शिक्षा हिमाचल प्रदेश
92 सुश्री बीनापाणि मोहंती साहित्य एवं शिक्षा ओडिशा
93 डॉ. अरुणोदय मंडल चिकित्सा पश्चिम बंगाल
94 डा. पृथविन्द्र मुखर्जी साहित्य एवं शिक्षा फ्रांस
95 श्री सत्यनाराण मुंडयूर सामाजिक कार्य अरुणाचल प्रदेश
96 श्री मणिलाल नाग कला पश्चिम बंगाल
97 श्री एन. चन्द्रशेखरण नायर साहित्य एवं शिक्षा केरल
98 डा. तेत्सू नकामूरा (मरणोपरांत) सामाजिक कार्य अफगानिस्तान
99 श्री शिवदत्त निर्मोही साहित्य एवं शिक्षा जम्मू एवं कश्मीर
100 श्री पु. ललबियाकथंगा पचुआऊ साहित्य एवं शिक्षा-पत्रकारिता मिजोरम
101 सुश्री मुझिक्कल पंकजाक्षी कला केरल
102 डा. प्रसंत कुमार पटनायक साहित्य एवं शिक्षा अमरीका
103 श्री जोगेन्द्र नाथ फुकन साहित्य एवं शिक्षा असम
104 सुश्री रहिबाई सोम पोपेरे कृषि महाराष्ट्र
105 श्री योगेश प्रवीण साहित्य एवं शिक्षा उत्तर प्रदेश
106 श्री जीतू राय खेल उत्तर प्रदेश
107 श्री तरुणदीप राय खेल सिक्किम
108 श्री एस. रामाकृष्णन सामाजिक कार्य तमिलनाडु
109 सुश्री रानी रामपाल खेल हरियाणा
110 सुश्री कंगना रनौत कला महाराष्ट्र
111 श्री दलवई चलापतिराव कला आंध्र प्रदेश
112 श्री शाहबुद्दीन राठौर साहित्य एवं शिक्षा गुजरात
113 श्री कल्याण सिंह रावत सामाजिक कार्य उत्तराखंड
114 श्री चिंतला वेंकट रेड्डी अन्य-कृषि तेलंगाना
115 श्रीमती डा. शांति राय चिकित्सा बिहार
116 श्री राधममोहन एवं सुश्री सबरमती (युगल)* कृषि ओडिशा
117 श्री बताकृष्णा साहू पशुपालन ओडिशा
118 सुश्री त्रिनिति साईऊ कृषि मेघालय
119 श्री अदनान सामी कला महाराष्ट्र
120 श्री विजय संकेश्वर व्यापार एवं उद्योग कर्नाटक
121 डा. कुशल कुंवर सर्मा चिकित्सा असम
122 श्री सैय्यद महबूब शाह कादरी ऊर्फ सैय्यद भाई सामाजिक कार्य महाराष्ट्र
123 श्री मोहम्मद शरीफ सामाजिक कार्य उत्तर प्रदेश
124 श्री श्याम सुंदर शर्मा कला बिहार
125 डा. गुरदीप सिंह चिकित्सा गुजरात
126 श्री रामजी सिंह सामाजिक कार्य बिहार
127 श्री वशिष्ठ नारायण सिंह (मरणोपरांत) विज्ञान एवं इंजीनियरिंग बिहार
128 श्री दया प्रकाश सिन्हा कला उत्तर प्रदेश
129 डॉ. सान्द्र देसा सौजा चिकित्सा महाराष्ट्र
130 श्री विजयसारथी श्रीभाष्यम साहित्य एवं शिक्षा तेलंगाना
131 श्रीमती कली शाबी महबूब एवं श्री शेक महबूब सुबानी (युगल) कला तमिलनाडु
132 श्री जावेद अहमद टॉक सामाजिक कार्य जम्मू एवं कश्मीर
133 श्री प्रदीप थलाप्पिल विज्ञान एवं इंजीनियरिंग तमिलनाडु
134 श्री येशे दोरजी थॉन्गची साहित्य एवं शिक्षा अरुणाचल प्रदेश
135 श्री रॉबर्ट थर्मन साहित्य एवं शिक्षा अमेरिका
136 श्री अगस इंद्रा उद्यन सामाजिक कार्य इंडोनेशिया
137 श्री हरीश चंद्र वर्मा विज्ञान एवं इंजीनियरिंग उत्तर प्रदेश
138 श्री सुंदरम वर्मा सामाजिक कार्य राजस्थान
139 डा. रोमेश टेकचंद वाधवानी व्यापार एवं उद्योग अमेरिका
140 श्री सुरेश वाडकर कला महाराष्ट्र
141 श्री प्रेम वत्स व्यापार एवं उद्योग कनाडा
2021 : एक सौ उन्नीस लोगों को पदम् सम्मान
पद्म विभूषण (7)
1 श्री शिंजो आबे सार्वजनिक मामले जापान
2 श्री एस पी बालासुब्रमण्यम (मरणोपरांत) कला तमिलनाडु
3 डॉ. बेले मोनप्पा हेगड़े चिकित्सा कर्नाटक
4 श्री नरिंदर सिंह कपानी (मरणोपरांत) विज्ञान और इंजीनियरिंग अमेरिका
5 मौलाना वहीदुद्दीन खान आध्यात्मिकता दिल्ली
6 श्री बी बी लाल पुरातत्व दिल्ली
7 श्री सुदर्शन साहू कला ओडिशा
पद्म भूषण(10)
1 कृष्णन नायर शांताकुमारी चित्राकला केरल
2 तरूण गोगोई (मरणोपरांत) जनसेवा असम
3 श्री चंद्रशेखर कंबारा साहित्य और शिक्षा कर्नाटक
4 सुमित्रा महाजन जनसेवा मध्यप्रदेश
5 श्री नृपेंद्र मिश्र लोक सेवा उत्तर प्रदेश
6 श्री रामविलास पासवान (मरणोपरांत) जनसेवा बिहार
7 श्री केशुभाई पटेल (मरणोपरांत) जनसेवा गुजरात
8 श्री कल्बे सादिक (मरणोपरांत) अध्यात्म उत्तर प्रदेश
9 श्री रजनीकांत देवदास श्रॉफ व्यापार और उद्योग महाराष्ट्र
10 श्री तरलोचन सिंह जनसेवा हरियाणा
पद्म श्री (102)
गुलफाम अहमद कला उत्तर प्रदेश
पी अनीता खेल तमिलनाडु
रामास्वामी अन्ना वरापू कला आंध्र प्रदेश
सुब्बू अरूमुगम कला तमिलनाडु
प्रकाशराव आशावादी साहित्य और शिक्षा आंध्र प्रदेश
भूरी बाई कला मध्य प्रदेश
राधेश्याम बरले कला छत्तीसगढ़
धर्म नारायण बर्मा साहित्य और शिक्षा पश्चिम बंगाल
लक्ष्मी बरुआ समाज सेवा असम
बीरेंद्र कुमार बसक कला पश्चिम बंगाल
रजनी बेक्टर व्यापार उद्योग पंजाब
पीटर ब्रूक कला यूनाइटेड किंग्डम
संगखुमी बुकालच्वाक समाज सेवा मिजोरम
गोपीराम बरगायन बुराभकत कला असम
बिजोय चक्रवर्ती जनसेवा असम
सुजीत चट्टोपाध्याय साहित्य और शिक्षा पश्चिम बंगाल
जगदीश चौधरी (मरणोपरांत) समाज सेवा उत्तर प्रदेश
सुल्ट्रीम चोनजोर समाज सेवा लद्दाख
माउमा दास खेल पश्चिम बंगाल
श्रीकांत दतर साहित्य और शिक्षा यूएसए
नारायण देबनाथ कला पश्चिम बंगाल
चुटनी देवी समाज सेवा झारखंड
दुलारी देवी कला बिहार
राधे देवी कला मणिपुर
शांति देवी समाज सेवा ओडिशा
वयन डिबिया कला इंडोनेशिया
दादूदन गढ़वी साहित्य और शिक्षा गुजरात
परशुराम आत्मराम गंगावने कला महाराष्ट्र
जय भगवान गोयल साहित्य और शिक्षा हरियाणा
जगदीश चंद्र हलदर साहित्य और शिक्षा पश्चिम बंगाल
मंगल सिंह साहित्य और शिक्षा असम
अंशु जम्सेनपा खेल अरुणाचल प्रदेश
पुर्णमासी जानी कला ओडिशा
माथा बी मंजम्मा जोगाती कला कर्नाटक
दामोदरन कैथा प्राम कला केरल
नाम देव सी कांब्ले साहित्य और शिक्षा महाराष्ट्र
महेश भाई और नरेश भाई कनोडिया (मरणोपरांत) कला गुजरात
रजत कुमार साहित्य और शिक्षा ओडिशा
रंगास्वामी लक्ष्मीनारायण कश्यप साहित्य और शिक्षा कर्नाटक
प्रकाश कौर समाज सेवा पंजाब
निकोलस कजानस साहित्य और शिक्षा ग्रीस
के केशव सामी कला पुडुचेरी
गुलाम रसूल खान कला जम्मू कश्मीर
लाखा खान कला राजस्थान
संजीदा खातून कला बांग्लादेश
विनायक विष्णु खेडेकर कला गोवा
नीरु कुमार समाज सेवा दिल्ली
लाजवंती कला पंजाब
रतन लाल विज्ञान और अभियांत्रिकी अमेरिका
अली मानिकफन नवोन्मेष लक्षद्वीप
रामचंद्र मांझी कला बिहार
दुलाल मंकी कला असम
नानाद्रो बी मारक कृषि मेघालय
रेवबेन माशांग्वा कला मणिपुर
चंद्रकांत मेहता साहित्य और शिक्षा गुजरात
रतनलाल मित्तल चिकित्सा पंजाब
माधवन नामबियार खेल केरल
श्याम सुंदर पालीवाल समाज सेवा राजस्थान
चंद्रकांत शांभाजी पांडव चिकित्सा दिल्ली
सोलोमान पप्पाया साहित्य, शिक्षा, पत्रकारिता तमिलनाडु
पप्पामल कृषि तमिलनाडु
कृष्ण मोहन पाथी चिकित्सा ओडिशा
जसवंती बेन जमुनादास पोपट व्यापार उद्योग महाराष्ट्र
गिरीश प्रभोने समाज सेवा महाराष्ट्र
नंदा प्रस्टी साहित्य और शिक्षा ओडिशा
केके रामचंद्र पुलावर कला केरल
बालन पुथेरी साहित्य और शिक्षा केरल
बिरुबाला राभा समाज सेवा असम
कनक राजू कला तेलंगाना
बॉम्बेजयश्री रामनाथ कला तमिलनाडु
सत्याराम रियांग कला त्रिपुरा
धनंजय दिवाकर सचदेव चिकित्सा केरल
अशोक कुमार साहू चिकित्सा उत्तर प्रदेश
भूपेंद्र कुमार सिंह संजय चिकित्सा उत्तराखंड
सिंधु ताई सपकाल समाज सेवा महाराष्ट्र
चमनलाल सप्रू (मरणोपरांत) साहित्य और शिक्षा जम्मू
रोमन शर्मा साहित्य, शिक्षा, पत्रकारिता असम
इमरान शाह साहित्य और शिक्षा असम
प्रेमचंद्र शर्मा कृषि उत्तराखंड
अर्जुन सिंह शेखावत साहित्य और शिक्षा राजस्थान
रामयत्न शुक्ला साहित्य और शिक्षा उत्तर प्रदेश
जितेंद्र सिंह शंटी समाज सेवा दिल्ली
करतार पारस राम सिंह कला हिमाचल प्रदेश
करतार सिंह कला पंजाब
दिलीप कुमार सिंह चिकित्सा बिहार
चंद्रशेखर सिंह कृषि उत्तर प्रदेश
सुधा हरिनारायण सिंह खेल उत्तर प्रदेश
बीरेंद्र सिंह खेल हरियाणा
मृदुला सिन्हा (मरणोपरांत) साहित्य और शिक्षा बिहार
केसी शिवशंकर (मरणोपरांत) कला तमिलनाडु
गुरुमां कमलीसोरेन समाज सेवा पश्चिम बंगाल
माराची शुब्बूरमन समाज सेवा तमिलनाडु
पी सुब्रमण्यन (मरणोपरांत) व्यापार उद्योग तमिलनाडु
नीदूमोलू सुमती कला आंध्र प्रदेश
कपिल तिवारी साहित्य और शिक्षा मध्य प्रदेश
फॉदर वॉल्स (मरणोपरांत) साहित्य और शिक्षा स्पेन
थिरूवेंगदम वीरा राघवन चिकित्सा तमिलनाडु
श्रीधर वेंबू व्यापार उद्योग तमिलनाडु
के वाई वेंकटेश खेल कर्नाटक
उषा यादव साहित्य और शिक्षा उत्तर प्रदेश
कर्नल काजी सज्जाद अली जाहिर जनसेवा बांग्लादेश
(लेखक के ‘पाञ्चजन्य’ में प्रकाशित आलेख के साथ अन्य स्रोतों से प्राप्त इनपुट समाहित)