अजय गोस्‍वामी।

पिछले कुछ दशकों में महिलाओं के हालात सुधरे हैं। घर, परिवार और बच्चों का पालन पोषण करते हुए जाने कब महिलाओं ने घर की दहलीज को लांघ लिया और अब वो हर क्षेत्र में आगे ही आगे बढ़ रहीं हैं। शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र देखने में आएगा जिसमें महिलाओं की मौजूदगी नहीं होगी। राजनीति, सामाजिक कार्य, मीडिया, कंप्‍यूटर, हवाई जहाज, ट्रेन, दफ्तर, खेल, मनोरंजन यानी की अब कोई भी क्षेत्र महिलाओं की उपस्थिति से अछूता नहीं रहा है। और सबसे बड़ी बात तो यह है कि सीमा पर दुश्मनों से भी देश को बचा रही हैं। महिलाओं का ही ये हौसला है कि अपने कार्यबल से आसमान को छू रहीं हैं।अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर इतिहास बन चुकी महिलाओं को याद करना ही अब काफी नहीं है, बल्कि भविष्‍य में उन्‍हें साफ सुथरा और सुरक्षित माहौल देकर उनके कंधे से कंधा मिलाकर चलना भी पुरुषों की जिम्‍मेदारी बनती है। उम्‍मीद की जानी चाहिए कि इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर पुरुष संकल्‍प लेंगे कि वे जहां महिलाएं कार्य कर रहीं हैं या फिर जिन क्षेत्रों में आगे आना चाहती हैं वहां उन्‍हें अबला नहीं सबला होने का अहसास कराएंगे। यही समय की मांग भी है और विकसित भारत, विश्‍व गुरु बनते भारत, समृद्ध और शक्ति शाली देश तथा बेहतर परिवार की आधार शिला भी है।

राजनीति की बात करें तो भारतीय राजनीति में महिलाओं का दबदबा लगातार बढ़ रहा है। हालांकि इतिहास भी इस बात को कहता है कि परिवार से लेकर भारतीय परंपराओं और राजनीति में महिलाओं ने उपस्थिति दर्ज कराई है। पर तब बात और थी और अब बात और है। वर्तमान में हर राजनीतिक दल में महिलाओं की भूमिकाओं का विस्तार हो रहा है। राजनीति में महिलाएं अग्रणी हैं। बीते साल ही भारत सरकार राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को और अधिक बढ़ाने और सुनिश्चित करने के लिए विधानसभा और लोकसभा चुनाव में नारी शक्ति अधिनियम लेकर आई है। भारतीय राजनीति में दमदार महिलाओं की बात करें तो बरबस ही पूर्व प्रधानमंत्री स्‍व. इंदिरा गांधी का नाम दिमाग में कौंध जाता है। जिनके लिए कहा जाता था कि जब जीवन में हताशा, निराशा और असफलता घेरे तो इंदिरा को याद करना।

इंदिरा गांधी

इंदिरा गांधी को भारत की ‘लौह महिला’ (आयरन लेडी) कहा जाता है। वे राजनीति की निष्णात खिलाड़ी थीं। इंदिरा गांधी ने पंडित जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री के सान्निध्य में राजनीति सीखी थी। नेहरू की पुत्री होने के नाते राजनीति विरासत में मिली थी जिसे उन्होंने अपनी दृढ़ता व मेधा शक्ति के बलबूते पर बखूबी अंजाम दिया था। 1959 और 1960 के दौरान इंदिरा गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनीं। शास्त्री के निधन के बाद 1966 में इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनीं। बांग्लादेश के निर्माण में 1971 में उनकी अहम भूमिका रही थी।

द्रौपदी मुर्मु

द्रौपदी मुर्मु भारत की 15वीं और वर्तमान राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत राजनीतिज्ञ हैं। वह भारत के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने वाली अनुसूचित जनजातीय समुदाय से आने वाली पहली महिला हैं।

सोनिया गांधी

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को भारतीय राजनीति की सबसे ताकवर शख्सियतों में गिना जाता है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया ने अपने बच्चों की खातिर राजनीति से दूरी बना ली थी, लेकिन 1996 में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी की डूबती नैया को पार लगाने के लिए सोनिया ने कांग्रेस की कमान संभाली। और कांग्रेस को फिर से सत्ता में वापसी कराई थी।

मायावती

बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती उत्तरप्रदेश जैसे राज्य की चार बार मुख्यमंत्री रही चुकी हैं । मायावती का राजनीति करने का अपना एक अलग अंदाज है। कांशीराम के बाद मायावती ने ही बसपा को संभाला है। लोग उन्हें बहनजी के नाम से पुकारते हैं।

प्रतिभा पाटिल

प्रतिभा देवी सिंह पाटिल भारत की पूर्व राष्ट्रपति हैं। प्रतिभा पाटिल जुलाई 2007 में भारत की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं। भारत के राष्ट्रपति के रूप में अपने चुनाव से पहले राजस्थान की राज्यपाल रहीं थीं।

मीरा कुमार

मीरा कुमार ने भारतीय संसद में लोकसभा की पहली महिला अध्‍यक्ष बनकर एक नई इबारत लिखी थी। मीरा कुमार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से हैं। इन्होंने पंद्रहवीं लोकसभा में बिहार के सासाराम लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था।

राबड़ी देवी

राबड़ी देवी राष्ट्रीय जनता दल से 1997 में बिहार की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। मुख्यमंत्री के तौर पर उनका पहला कार्यकाल दो साल का रहा जो कि 12 फरवरी 1999 को खत्म हुआ था। दूसरी बार उन्होंने मुख्यमंत्री के तौर पर पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। राबड़ी देवी की बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद की पत्नी है।

सुमित्रा महाजन

सुमित्रा महाजन देश की ताकतवर महिलाओं में से एक हैं। वो लोकसभा अध्‍यक्ष पद पर आसीन होने वाली भारत की दूसरी महिला हैं। सुमित्रा महाजन भारतीय राजनेत्री एवं भारत के सोलहवीं लोकसभा की अध्यक्ष थीं।

ममता बनर्जी

ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री है, उनकी गिनती देश की बड़ी राजनेताओं में होती है। रेल मंत्री भी रह चुकी हैं। ममता बंदोपाध्याय भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल की वर्तमान मुख्यमंत्री एवं राजनैतिक दल तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख हैं। लोग उन्हें दीदी कहकर बुलाते हैं। ममता बनर्जी 2011 से बंगाल की मुख्यमंत्री हैं। वह पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री पद संभालने वाली पहली महिला हैं ।

वसुंधरा राजे

वसुंधरा राजे राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री हैं। वे राजस्थान भाजपा की उपाध्यक्ष रह चुकी है। उनकी मेहनत और कार्यशैली को देखते हुए 1998- 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रि‍मंडल में राजे को विदेश राज्यमंत्री बनाया गया।

जयराम जयललिताजयराम जयललिता भारतीय राजनीतिज्ञ और अभिनेत्री थीं। उन्‍होंने छह कार्यकालों में चौदह वर्षों से अधिक तक तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया । 1960 के दशक के मध्य में जयललिता एक प्रमुख फिल्म अभिनेत्री के रूप में प्रसिद्ध हुईं।1991 में जयललिता पहली बार और तमिलनाडु की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनीं।

सेना में महिलाएं :-

पहली लेफ्टिनेंट जनरल पुनीता अरोड़ा
भारतीय सेना में शामिल हो चुकी पुनीता अरोड़ा ने सबसे पहले मार्ग खोला। पुनिता भारतीय नौसेना की पहली लेफ्टिनेंट जनरल थीं। आजादी से पहले पाकिस्तान के लाहौर में 13 अक्टूबर 1932 को जन्मीं पुनीता 2004 में भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं।

पहली शहीद महिला किरण शेखावत
भारतीय सेना में महिलाएं अपनी जान देने से पीछे नहीं हट रहीं। शहीद होने का गौरव सबसे पहले किरण शेखावत को मिला। राजस्थान के सेफरागुवार में जन्मी किरण ऑन ड्यूटी शहीद होने वाली महिला अधिकारी हैं। 2010 में वो भारतीय नौसेना में भर्ती हुई थीं। 24 मार्च 2015 की रात गोवा में डॉर्नियर निगरानी विमान दुर्घटमाग्रस्त हो गया था, जिसमें किरण ने अपनी जान गंवा दी।

पहली महिला एयर मार्शल पद्मावती बंदोपाध्याय
एयर फोर्स की पहली महिला एयर मार्शल थीं। 1968 में पद्मावती बंधोपाध्याय वायुसेना में शामिल हुईं और 34 सालों तक देश की सेवा की। साल 2002 में उन्हें एयर वाइस मार्शल के पद पर पद्मावति को पदोन्नति मिली।

साहित्य अकादमी आयोजित करेगा 11 से 16 मार्च तक विश्‍व का सबसे बड़ा साहित्योत्सव

कारगिल गर्ल गुंजन सक्सेना
गुंजन सक्‍सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मनों के सामने अपना दमखम दिखाया था। वो पहली महिला पायलट थीं, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान लड़ाई में भारत की तरफ से पाकिस्तानी सेना को टक्कर दी थी। गुंजन सक्सेना को शौर्य वीर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।

स्वॉर्ड ऑफ ऑनर प्राप्त कैडेट दिव्या अजित कुमार
दिव्या अजित कुमार पहली महिला कैडेट हैं, जिन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर हासिल हुआ। जब उनके नाम ये उपलब्धि दर्ज हुई तब वो महज 21 साल की थीं। सितंबर साल 2010 में कप्तान दिव्या अजित कुमार सेना के वायु रक्षा कोर में नियुक्ति मिली।

(लेखक वरिष्‍ठ पत्रकार है।) (एएमएपी)