टाटा कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया है, ‘कंपनी यह अपडेट देना चाहती है कि उसने संभावित ट्रांजैक्शन को लेकर बिसलेरी के साथ बातचीत बंद कर दी है। साथ ही यह भी कन्फर्म करना चाहती है कि कंपनी ने इस मामले को लेकर कोई डेफिनेटिव एग्रीमेंट या बाइडिंग कमिटमेंट नहीं किया है।’ इकनॉमिक टाइम्स ने पिछले साल नवंबर में अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि वह 6000-7000 करोड़ रुपये में टाटा ग्रुप को कंपनी बेचेगी। हालांकि, इस महीने की शुरुआत में आईं मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि वैल्यूएशन की वजह से बातचीत फिलहाल ठप्प हो गई है।
डील से 1 बिलियन डॉलर जुटाना चाहते थे बिसलेरी ओनर
मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के हवाले से ब्लूमबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बिसलेरी के मालिक इस डील से करीब 1 बिलियन डॉलर जुटाना चाहते थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि टाटा ग्रुप के साथ बातचीत इसलिए अटक गई क्योंकि कंपनियां वैल्यूएशन पर रजामंद नहीं थीं। टाटा कंज्यूमर प्रॉडक्ट्स के पास हिमालयन नेचुरल मिनरल वाटर और टाटा वाटर प्लस ब्रांड्स हैं। बिसलेरी के अधिग्रहण से टाटा ग्रुप, पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर सेगमेंट में टॉप पोजिशन पर पहुंच जाता।
करीब 2 साल से चल रही थी बात
बिसलेरी को लेकर अलग-अलग समय पर कई कंपनियों के दिलचस्पी दिखाने की खबरें आती रही हैं। टाटा ग्रुप के साथ कंपनी की बातचीत करीब 2 साल से चल रही थी। टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन और टाटा कंज्यूमर के सीईओ सलिल डिसूजा से मिलने के बाद बिसलेरी के चेयरमैन रमेश चौहान ने नवंबर में कहा था कि उन्होंने टाटा ग्रुप को कंपनी बेचने का मन बना लिया है।(एएमएपी)