‘धुरंधर’ में अक्षय खन्ना ने सिखाया वास्तविक जीवन में सफलता का सबक।

संजय कथूरिया।
‘धुरंधर’ में अक्षय खन्ना के रोल ने हमें एक ऐसा लाइफ लेसन सिखाया (जीवन का पाठ) है जिसे अगर हम अपना लें तो हमें अनस्टॉपेबल बनने से कोई नहीं रोक सकता। अगर हम म्यूच्यूअल फंड इंडस्ट्री की भाषा में बात करें तो अक्षय खन्ना ने यह प्रूफ कर दिया है कि 2013-14 में एक स्माल कैप एक्टर आज 2025 का लार्ज कैप एक्टर बन सकता है।

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बात को समझते हैं।  इन दिनों हर तरफ बॉलीवुड फिल्म ‘धुरंधर’ की चर्चा है। अक्षय खन्ना का ‘धुरंधर’ में लीड रोल नहीं है। उनका साइड रोल है। लीड रोल है रणवीर सिंह का। पर उन्होंने फिल्म में  जो कमाल  का अभिनय किया है, जो उनकी एपिक एंट्री हुई है एक वायरल गाने पे। या फिर वो उनका एपिक डायलॉग “रहमानत डकैत की दी हुई मौत बड़ी कसाईनुमा होती है।” इस लेवल की एक्टिंग की है कि लोग वस्तुतः मुख्य भूमिका को तो भूल ही चुके हैं। सिर्फ अक्षय खन्ना की बात हो रही है- उन्हें लेजेंड कहा जा रहा है… क्योंकि उनको बेस्ट रोल नहीं मिला पर उन्होंने अपने रोल में अपना बेस्ट किया है।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी  को ही लीजिए। उनकी पहली फिल्म 1999 में आयी ‘सरफरोश’ थी। आपको पता भी नहीं होगा। वो उस पिक्चर में थप्पड़ खा रहे थे। फिर 2003 में मुन्ना भाई एमबीबीएस में आए। उसमें भी वो थप्पड़ खा रहे थे। पर इसी एक्टर ने हर रोल में अपना बेस्ट दिया। 2016 में इन्होंने एक हॉलीवुड मूवी की जिसका नाम था ‘लायन’, वो भी निकोल किडमिन के साथ। और आज ये फिर से एक हॉलीवुड मूवी कर रहे हैं जिसका नाम है ‘लक्ष्मण लुपेस’।

अभिनेता केके मेनन  याद कीजिए जिन्होंने ‘शौर्य’ में ब्रिगेडियर प्रताप का एपिक रोल निभाया था… उनका मेन रोल नहीं था। उनका साइड रोल था। पर उन्होंने इतनी अच्छी एक्टिंग की, इतना अच्छा मोनोलॉग दिया कि राहुल बोस, जिनका मेन रोल था, वो भी साइडलाइन हो गए।

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इन सबसे हमें लर्निंग (सीख) क्या मिलती है? लाइफ में आपको बेस्ट रोल नहीं मिलेगा। पर आपको जो रोल मिला है आपको उसमें अपना बेस्ट करना पड़ेगा। हम लोग जॉब करते हैं तो सोचते हैं कि जब मैनेजर बन जाऊंगा तो मैं अपना बेस्ट दूंगा। बिज़नेस करते हैं तो सोचते  हैं कि जब मेरा बिज़नेस ₹1 करोड़ का हो जाएगा तब मैं अपना बेस्ट दूंगा। फ्रीलांसिंग करते हैं  तो सोचते हैं- अरे, यह क्लाइंट तो मुझे सिर्फ ₹10,000 दे रहा है। मैं अपना बेस्ट क्यों दूं? जब कोई क्लाइंट आएगा और  ₹1 लाख देगा तब मैं अपना बेस्ट करूंगा।

इस अप्रोच से ना ही आपको बेस्ट रोल मिलेगा, ना बेस्ट क्लाइंट मिलेगा, ना बेस्ट बिजनेस होगा। करना क्या है? जो रोल मिला है उसमें अपना बेस्ट कीजिए। चाहे जॉब, बिजनेस, फ्रीलांसिंग, फैमिली कुछ भी हो- हर छोटे से छोटे रोल में अपना बेस्ट दीजिए। अक्षय खन्ना, नवाजुद्दीन सिद्दीकी और के.के. मेनन की ये लर्निंग्स अगर हम अपनी लाइफ में उतार लें तो हमें अनस्टॉपेबल होने से कोई नहीं रोक पाएगा। अब आप अपना बेस्ट दे रहे हैं कि नहीं… यह फैसला आप खुद कीजिए।
(लेखक विश्व बैंक के पूर्व प्रमुख अर्थशास्त्री और वर्तमान में जाने माने निवेश विशेषज्ञ हैं)