भारी शोर बच्चों, बूढ़ों के लिए नुकसानदेह, पड़ोसियों को भी कष्ट।
हमारा आपका सबका अनुभव रहा है कि आम तौर पर लोग शादी, शादी की सालगिरह या जन्मदिन आदि के अवसरों पर शोर मचाऊ डी.जे. यानी डिस्क जाॅकी का इंतजाम कर देते है। इसमें वे अपनी शान समझते हैं। इससे न केवल हमारे आमंत्रण पर समारोह में आए हमारे रिश्तेदार परेशान होते हैं बल्कि पड़ोसियों तक को भारी व्यवधान और असुविधा का सामना करना पड़ता है।डीजे के अराजक मनोरंजन को अपनी सामाजिक हैसियत का मानदंड मानने वाली हमारी मनोवृत्ति पर सोशल मीडिया पर वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर ने एक पोस्ट लिखी है। एक सभ्य सुसंस्कृत समाज के लिए जागरूक लोगों को उसे अवश्य पढ़ना चाहिए। वह कहते हैं: “वैसे तो मेरी इस सलाह पर कोई ध्यान नहीं देगा, पर शालीनता से विरोध दर्ज कराना मैं अपना कर्तव्य समझता हूं।””विवाह जन्मदिन व अन्य समारोहों के अवसर पर शुरू से अंत तक डी.जे. लगातार भारी व कर्कश शोर मचाता रहता है। हालांकि धीमी आवाज में मधुर संगीत बेहतर होता है। सरकार द्वारा निर्धारित आवाज सीमा का कोई ध्यान नहीं रखा जाता। नियमानुसार दिन में 45 से 55 डेसिबल आवाज की अनुमति है। रात में उसकी निर्धारित सीमा और भी कम हो जाती है। पर,आम तौर पर 100 डेसिबल से कम पर कोई डी.जे. नहीं बजाता।
डी.जे. की आवाज में जितनी अधिक कर्कशता होगी,लोग हमें उतना ही बड़ा आदमी मानेंगे,यह मान कर चला जाता है। किसी समारोह में आप अपने अनेक मित्रों -रिश्तेदारों को बुला ही लेते हैं। ऐसे अवसर कम आते हैं। कई लोग दूर-दूर से आते हैं। उनमें से कई आपस में भी रिश्तेदार होते हैं। बहुत दिनों के बाद आपस में मिलने का उनके लिए वह एक अवसर होता है।
उस अवसर का वे सदुपयोग करना चाहते हैं। आपस में दुख-सुख बतियाना चाहते हैं। पर,डी.जे. के कर्कश शोर के बीच वे आपस में ठीक से बातचीत भी नहीं कर पाते। क्योंकि एक दूसरे की आवाज वे ठीक से नहीं सुन पाते।
अधिक शोर का कुपरिणाम बच्चों और बूढ़ों के स्वास्थ्य पर अधिक पड़ता है। ऐसे विशेष अवसरों पर बच्चे तो मां-बाप के साथ जाएंगे ही। पर, बूढ़ों का जाना कोई जरूरी नहीं है। उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखते हुए ऐसे समारोहों में विवेकशील मेजबान किसी उम्रदराज को आमंत्रित न करें। क्योंकि मैं जानता हूं कि अनेक संवेदनहीन लोग बूढ़े और डी.जे. के बीच चुनना हो तो वे किसे चुनेंगे।
ऊंची आवाज वाला डी.जे. लगवाकर कर्कश शोर मचवाने से आपका निकट का अधिकतर पड़ोसी भी परेशान हो जाता है। आपके बारे में उसकी धारणा बदल सकती है। पर डर या लिहाज से आपसे कुछ नहीं बोलता।
अच्छा हो ऐसे शुभ अवसरों पर दूसरों को परेशान करने के बदले आप अपने यहां धीमे स्वर में मधुर संगीत का इंतजाम करें। करके देखिए, लोगबाग आपकी शालीनता की तारीफ करेंगे।”