व्यंग्य।
कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल।
आज हम रास्ते से गुजर रहे थे ,तभी लोकतन्त्र कक्का से भेंट हो गई। चूंकि लोकतन्त्र कक्का हमारे पुराने चिर-परिचित हैं। इसलिए हमने उनको सदा की भाँति प्रणाम किया। कक्का ने हाल चाल लेते हुए पूँछा – बिटवा, आज बहुत दिन बाद मिले। वैसे आजकल तुम रहते कहाँ हो ? तुम्हारा कुछ अता – पता नहीं चलता।
हमने कक्का से कहा – हमारा हाल आपसे कहाँ छिपा है वइसे भी आप मेरे बारे में सब जानते ही हैं। लेकिन कक्का एक बात बताइए आजकल देश में बड़ी टेंशन चल रही है । क्या बिटवा – क्या बताओ..! उन्होंने आश्चर्य भरी नजर से पूंछा।
क्या बताएं कक्का – आजकल एक ग्लोबल हंगर इंडेक्स ने देश को 109 वाँ नम्बर दे दिया है। राजनीति के बाजार में बड़ा तूफान मचा हुआ है। उछल कूद और बहसबाजी इसी पर चल रही।
कक्का ने ऊर्ध्व साँस भरी और कहा – अच्छा इस मामूली बात में हलाकान हो रहे हो।
कक्का पूरी राजनीति इसकी मुनादी करते हुए ‘सियासी रोटियां’ सेंक रही है। और आपको ये मामूली सी! बात लग रही है?
अरे, बिटवा। कहाँ पड़े हो इन खच्चरों के चक्कर में। ये हंगर का इंडेक्स तो – ऑलवेज रहता है फिक्स। ये लाॅबी – बांबी के साँप सभी रहते हैं एक दूसरे में मिक्स।
चूँकि हमारा खून यूथ वाला है इसलिए थोड़ा गरम है , इसलिए हमने उनसे नाराजगी के लहजे में कहा – कक्का क्या बात कर रहे हैं आप ?
हाँ, हम सही बात कर रहे हैं। ज्यादा उछलो न! सच्चाई तो ये है कि – हंगर इंडेक्स के खंजर से होता है ग्लोबल नैरेटिव सेट । और फिर भारत के विरुद्ध फेंकी बाॅल को कराया जाता है हिट..!
और उन्हीं कालनेमियों का हो जाता है चिट्ट और पट्ट….!
देखो! कक्का , हमको आपकी जे! बात समझ में नहीं आ रही । पहेलियां न बुझाओ। सच सच बताओ। आखिर कहना क्या चाह रहे हो।
हमारा इतना कहना ही था कि कक्का के प्रश्नों की बारिश शुरू हो गई –
अच्छा तो ये बताओ – ये ग्लोबल हंगर इंडेक्स किसने जारी किया है ? इसे जारी करने वालों का इतिहास क्या है? इसकी विश्वसनीयता क्या है ? और इस वैश्विक भूख सूचकांक को मापने का आधार क्या है ? और इनके खगोल और भूगोल की ‘ हिस्ट्री-मिस्ट्री – केमिस्ट्री’ का पता है कि नहीं?
लोकतन्त्र कक्का के प्रश्नों का हमारे पास कोई जवाब ही नहीं था। इसलिए हमारी हवाइयां उड़ने लगीं। तब हम चुपके से दाँतों तले उंगली दबाए इधर उधर झाँकने लगे।
तभी कक्का ने कहा – अब आया न ऊँट पहाड़ के नीचे । इसीलिए कहते हैं – आगे हर चीज की गहराई समझा करो। फिर चिल्ल पों मचाया करो। मगर, तुम लोगों को समझ है तो देर से आती है।
चलो, कक्का हम एक बात पे जवाब नहीं दे पाए तो आप हमको इतनी खरी खोटी सुनाने लग गए। अच्छा, आपय ये गुत्थी सुलझाओ तब मानेंगे!
देखो बिटवा, तुम लोगों की जनरेशन में डिसीजन – एक रील्स , पोस्ट और एक मैसेज से ले लिया जाता है। इसलिए थोड़ा सुनने का साहस हो तो मैं बात आगे बढ़ाऊँ!
अरे, आप क्या बात कर रहे हैं ? आप जब तक सारी बात नहीं बताएंगे तब तक मैं सुनूँगा। लेकिन कक्का परफेक्शन जरूर होना चाहिए ।
तो सुनो – ये ग्लोबल हंगर इंडेक्स दो यूरोपीय एनजीओ – आयरलैंड के एनजीओ ‘कंसर्न वर्ल्डवाइड’ और जर्मनी का ‘वेल्ट हंगर हिल्फे’ मिलकर जारी करते हैं। इनके पैमाने ये हैं कि –
कुल जनसंख्या में कुपोषित आबादी, 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में समुचित शारीरिक विकास, बच्चों के विकास में रुकावट और बाल मृत्यु दर। इन पैमानों के आधार पर 1 से लेकर 100 अंक दिए जाते हैं, जिसमें अधिक अंकों का अर्थ है अधिक समस्या या अधिक बुरी स्थिति।
अच्छा! आप आगे बताओ।
तो बात ये है कि – इन्होंने भारत की 140 करोड़ की आबादी में सिर्फ़ 3000 लोगों के सैम्पल लेकर भारत पर 109 नम्बर का ठप्पा लगा दिया। न यहां की विविध जलवायु, वातावरण इत्यादि का ध्यान रखा। सोचो क्या इन्होंने पूरे भारत का आँकलन किया ? और तो और ये कोई अन्तर्राष्ट्रीय सरकारी एजेंसी की रपट नहीं है । बल्कि ये ‘ एनजीओ ‘ हैं – जो मनमाने ढँग से कुछ भी प्लांट करते रहते हैं। वइसे एनजीओ के कारनामे तो तुम्हें पता ही होंगे?
कक्का मुझे तो लग रहा आप सरकार के पक्षधर लग रहे हो। इसलिए सरकार की मुखालफत कर रहे हो। क्या राहुल गांधी समेत पूरे विपक्ष को दीवालिया हो गया है जो इस इंडेक्स के आँकड़ों को लेकर बवाल काट रहे हैं।
बिटवा, इसी को तो उथलापन कहते हैं। मैंने इस देश में सन् 1950 से लेकर अब तक अपने 72 बरस काटे हैं। कितनी सरकारें बनीं बिगड़ीं मुझे इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ा।
हां, कक्का। जे बात तो तुम्हारी एकदम सही है।
लेकिन बिटवा तुम लोगों की यही बातें कचोट जाती हैं । मेरा न तो कोई पक्ष है न कोई विपक्ष है । यदि कोई पक्ष है तो वह – भारत देश है। विदेशों द्वारा जब भी भारत के खिलाफ षड्यंत्र किए गए। जब भी भारत की साख को गिराने के प्रयत्न किए गए। भ्रामक प्रचार प्रसार कर भारत को अपमानित करने का प्रयास किया गया, तब तब मैं कराह उठता हूँ ; यह कहते हुए लोकतन्त्र कक्का की आँखों से आँसू छलक आए।
मैंने अपने बैग से पानी की बाॅटल निकाली और कक्का को पानी दिया। कक्का ने थोड़ी राहत की सांस ली, फिर प्रश्नात्मक लहजे में कहने लगे –
तुम ही बताओ क्या कोई पागल भी इनकी इस रिपोर्ट पर विश्वास करेगा ?
क्यों नहीं कक्का। यहाँ तो पूरी फौज खड़ी हुई है। सब सरकार की लानत – मलानत करने के अभियान में जुटे हुए हैं । भीड़ का भेड़तन्त्र सक्रिय हो चुका है। और इस रिपोर्ट को अपने बाप – दादाओं के डीएनए से ज्यादा शुद्ध मान रहा है।
बस, यही तो इस रिपोर्ट का मकसद है। लेकिन इसके पीछे कहानी कुछ और भी है ।
क्या ? कक्का..
‘कंसर्न वर्ल्डवाइड’ का इतिहास ये है कि – ये ईसाई मिशनरियों के एजेण्डे पर काम करता है। ये मनमानी रिपोर्ट तैयार करता है फिर सेवा सहायता के नाम पर भारत सहित विभिन्न देशों में कन्वर्जन ( धर्मांतरण) करवाने वाली मिशनरियों, एनजीओ इत्यादि को ग्लोबल फण्डिंग की मुहिम चलाता है। ताकि उस फण्डिंग के द्वारा कन्वर्जन के लेटेस्ट से लेटेस्ट वर्जन लॉन्च किए जा सकें। ‘वेल्ट हंगर हिल्फे’ भी जर्मनी की पक्षधरता के लिए ग्लोबल लाॅबिंग करता मिल जाता है। इतना ही नहीं जबलपुर से पकड़ा गया पादरी सी.पी. सिंह कुछ माह पहले ही – ‘कंसर्न वर्ल्डवाइड’ के लोगों से मिल जुल रहा था। इस रिपोर्ट का प्लाॅन भी संदिग्ध है।
कक्का , आर यू सीरियस ..! ?
हम्म..! बिटवा, ये तो ग्लोबल पाॅलिटिक्स का गेम प्लाॅन है। जिसमें यहाँ के नेतागण बिना गहराई में जाने समझे। हकीकत को जांचे परखे बिना हो- हल्ला मचाकर सियासी मैदान बनाने में जुट जाते हैं।
अच्छा, थोड़ा सा काॅमन सेंस तुम ही लगाओ –
जिस पाकिस्तान , बंग्लादेश, म्यांमार की इकोनॉमी डूब रही है ।वहां खाने पीने का कंगाल मचा हुआ है। बदहाली – महंगाई से वहाँ की जनता कराह रही है। श्रीलंका के आर्थिक आपातकाल की त्रासदी से सारा संसार वाकिफ ही है। और नेपाल तो भारत के भरोसे ही रह रहा है।
उनसे हामी भरते हुए मैंने कहा – कक्का आपकी बात में दम तो है ।
हाँ, बिटवा और ये घोंचू किसम के – प्रोपेगैंडाजीवी लोग भारत की रैंक जारी कर रहे हैं। इनकी भारत को सर्टिफिकेट बाँटने की अथाॅरिटी क्या है? ये होते कौन है ? और इन एनजीओ की रिपोर्ट्स को अमरीका सहित अनेकों देश जूते के नीचे रखते हैं।
बिल्कुल कक्का। लेकिन..!
लेकिन वेकिन कुछ नहीं। तुम ही जरा! सोचो ये कितनी हास्यास्पद बात कि – जो भारत कोविड के समय में सबको वैक्सीन भेजता रहा हो। श्रीलंका के लिए भोजन, दवा, पाकिस्तान को गेहूं, नेपाल की खाद्यान्न आपूर्ति के साथ साथ अफगानिस्तान को हर रूप में सहायता की हो। और इतना ही नहीं यूक्रेन – रूस युद्ध के समय यूक्रेन को खाद्य आपूर्ति करता रहा आया हो। और देश की इतनी बड़ी आबादी में 80 करोड़ लोगों के लिए मुफ्त राशन कार्यक्रम अभी भी चलाया जा रहा हो । ये सब उस भारत की रैंक बता रहे हैं। ये दानदाता को ही भिखारी बताने में जुटे हैं। पक्का इससे साजिश की दुर्गंध आती है।
कक्का की बातें सुनकर मेरे सामने सारे पन्ने पलटने लगे। मुझे भी लगा कक्का की बातों में वाकई सच्चाई है । और मुझे भी विश्वसनीय हालिया रिपोर्टें स्मरण में हो आईं जिनमें यूएन , आईएमएफ के ताजा आँकड़ों में भारत को विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रुप में उभरता हुआ बताया गया है। और इस इंडेक्स से इतर हमने अपने देश में खाद्यान्न संकट की कोई तस्वीर नहीं देखी है।
लोकतन्त्र कक्का के तथ्यों तर्कों – विश्लेषण के आगे मैं लगातार परास्त होता चला जा रहा था। उनकी सारी बातें मेरे मस्तिष्क में विजुअल्स बनकर दिखने लगीं। कक्का ने शुरुआत में जो कहा था कि – ‘ये सारे इंडेक्स फिक्स हैं’ ; उस पर कक्का की सत्यता के साथ मुहर लगा चुकी थी।
और धीरे धीरे इस ‘ हंगर इंडेक्स के खंजर’ को लेकर मेरे मन में जो टेंशन था- वह पेंशन लेने चला गया। मैंने भी थोड़ी राहत की सांस ली।
फिर कक्का से बोला – कक्का प्लीज़ कॉन्टीन्यू…
लोकतन्त्र कक्का ने कहा – इन दोनों एनजीओ के द्वारा जारी रिपोर्ट में भारत को बदनाम करने व ईसाई मिशनरियों के लिए फण्डिग का माहौल बनाने , धर्मांतरण की लाॅबी को सक्रिय करने की जो ‘बारूदी सुरंग ‘ बिछाई गई थी। अब तुम्हें इसका पता चला या नहीं?
मैं उनके सामने नतमस्तक था। मैंने लोकतन्त्र कक्का को पुनश्च प्रणाम किया। वैसे भी मैंने कक्का के कई घण्टों का समय बर्बाद तो कर ही दिया । इसलिए लोकतन्त्र कक्का अब आगे बढ़ने के मूड में थे । वे चाय का अंतिम कप खत्म कर मुझे समझाते हुए बोले —
बिटवा, आजकल हर जगह बवाल है । भारत को बदनाम करने के लिए ‘ग्लोबल लाॅबी ‘ – हर समय सक्रिय रहती है। वैश्विक मीडिया से लेकर भारत विरोधी देश व विदेश में जितने भी ‘एजेण्डाधारी’ हैं, सबकी नजरों में भारत चढ़ा हुआ है। यहाँ की सरकार को अस्थिर करने के टूलकिट जारी किए जा रहे हैं। और वे अपने एजेण्डे को साधने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। बाकी ये हंगर का दोगला खंजर तो उनकी टूलकिट का एक छोटा सा टूल मात्र है। ये सब इसे आजमाते रहते हैं। इत्ता याद रखो सावधानी हटी नहीं कि दुर्घटना घट गई । सावधान इण्डिया – सतर्क इण्डिया…!
और कक्का ने अपना हाईटेक चश्मा लगाते हुए बोला – हंगर के नापाक खंजर को मारो हंटर ताकि इनके ऐजेण्डे हो जाएँ छू! मंतर । फिर मिलते हैं कहकर वे अपनी यात्रा में आगे बढ़ गए… ! और हम भी अपने रास्ते बढ़ गए.. (एएमएपी)