जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि जल जीवन मिशन से लाखों बच्चों की जीवन को बचाया जा रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कि इस दूरगामी सोच से देश में नागरिकों को स्वस्थ और समृद्धि बनाया जा रहा है।  शेखावत ने ‘हर घर नल से जल’ योजना को देश के नागरिकों के लिए स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक बताया और कहा कि आम जन के हित की यह अत्यंत सफल योजना है और श्री मोदी के इस विजन का लाभ देश के करोड़ों लोगों को मिल रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने एक्स पर कहा, “जल जीवन मिशन के माध्यम से प्रत्येक वर्ष 1.36 लाख बच्चों की प्राण रक्षा हो रही है। यह तथ्य नोबेल पुरस्कार विजेता माइकल क्रेमर ने दिया है। मोदी जी के विजन से ‘हर घर जल’ का नारा हर घर स्वास्थ्य और समृद्धि को भी लक्षित।”

उल्‍लेखनीय है कि जलशक्ति मंत्रालय का राष्ट्रीय जल मिशन, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने आज यहां महरौली के शम्सी तालाब, जहाज महल में ‘जल इतिहास उत्सव’ का आयोजन किया जिसका उद्देश्य जल विरासत स्थलों की सुरक्षा के प्रति सार्वजनिक चेतना बढ़ाना, जनता के बीच स्वामित्व की भावना उत्पन्न करना, पर्यटन को बढ़ावा देना और ऐसी विरासत संरचनाओं का जीर्णोद्धार करना है। यह भव्य आयोजन 15 से 30 नवंबर तक देश के विभिन्न जिलों में 75 ‘प्राकृतिक जल विरासत संरचनाओं’ में मनाए जा रहे “जल विरासत पखवाड़े” के समापन का प्रतीक है।

जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा है कि जल जीवन मिशन से लाखों बच्चों की जीवन को बचाया जा रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कि इस दूरगामी सोच से देश में नागरिकों को स्वस्थ और समृद्धि बनाया जा रहा है।

शेखावत ने ‘हर घर नल से जल’ योजना को देश के नागरिकों के लिए स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक बताया और कहा कि आम जन के हित की यह अत्यंत सफल योजना है और श्री मोदी के इस विजन का लाभ देश के करोड़ों लोगों को मिल रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने एक्स पर कहा, “जल जीवन मिशन के माध्यम से प्रत्येक वर्ष 1.36 लाख बच्चों की प्राण रक्षा हो रही है। यह तथ्य नोबेल पुरस्कार विजेता माइकल क्रेमर ने दिया है। मोदी जी के विजन से ‘हर घर जल’ का नारा हर घर स्वास्थ्य और समृद्धि को भी लक्षित।”

गौरतलब है कि जलशक्ति मंत्रालय का राष्ट्रीय जल मिशन, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने आज यहां महरौली के शम्सी तालाब, जहाज महल में ‘जल इतिहास उत्सव’ का आयोजन किया जिसका उद्देश्य जल विरासत स्थलों की सुरक्षा के प्रति सार्वजनिक चेतना बढ़ाना, जनता के बीच स्वामित्व की भावना उत्पन्न करना, पर्यटन को बढ़ावा देना और ऐसी विरासत संरचनाओं का जीर्णोद्धार करना है। यह भव्य आयोजन 15 से 30 नवंबर तक देश के विभिन्न जिलों में 75 ‘प्राकृतिक जल विरासत संरचनाओं’ में मनाए जा रहे “जल विरासत पखवाड़े” के समापन का प्रतीक है।

पानी की जांच को लेकर कई गंभीर सवाल

लोगों के स्वास्थ्य पर इसका विपरीत असर पड़ता है। ऐसे क्षेत्रों में पेयजल की आपूर्ति किसी बांध, पोखर, तालाब और जलाशय से की जाएगी। फिलहाल देश की पेयजल आपूर्ति में भूजल की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत है। जल जीवन मिशन में पानी की गुणवत्ता को गंभीरता से लिया गया है। जल शक्ति मंत्री शेखावत ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि पानी की जांच को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए जा रहे थे।

कभी भी कराई जा सकती है पानी की जांच

इसके मद्देनजर मिशन ने कोविड-19 की जांच प्रणाली से बहुत कुछ सीखा है। इसके लिए पूरे देश में एक नेशनल ग्रिड विकसित की जा रही है। इससे कहीं भी और कभी भी पानी की जांच कराई जा सकती है। घरेलू सेंसर टेक्नालाजी के माध्यम से देश के 100 स्थानों पर सालभर से पानी की आपूर्ति हो रही है। इससे हमें हर क्षण पानी की गुणवत्ता, मात्रा और निरंतरता का पता चल रहा है। यह प्रणाली राष्ट्रीय स्तर पर लागू की जा सकती है।

देश के 48,000 गांवों में भूजल की गुणवत्ता बेहद खराब

जलशक्ति मंत्री के अनुसार देश में चिह्नित 48, 000 गांव ऐसे हैं जहां भूजल की गुणवत्ता बेहद खराब है। इन गांवों को विशेष प्राथमिकता दी गई है। गंगा के मैदानी क्षेत्रों (गंगेटिक जोन) में भूजल आर्सेनिक युक्त है। राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश समेत कुछ और राज्यों में फ्लोराइड की समस्या है। कुछ जगहों के भूजल में यूरेनियम की समस्या भी पाई गई है।

अन्य राज्यों के भूजल में आयरन

पूर्वोत्तर क्षेत्र के त्रिपुरा समेत अन्य राज्यों के भूजल में आयरन मिला है। ये सभी तत्व स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। इसके अलावा कई जगहों का भूजल खारा है, जिसे पीना संभव नहीं है। ऐसे सभी राज्यों से अपने यहां ‘मल्टी सरफेस और मल्टी विलेज स्कीम’ बनाने को कहा गया है ताकि स्थानीय स्तर पर बांध, पोखर, तालाब और जलाशयों से पानी की आपूर्ति हो सके। इसे बनने में दो से तीन साल का समय लग सकता है। इसीलिए ऐसे गांवों में स्वच्छ पेयजल आपूर्ति के लिए तात्कालिक तौर पर कम्युनिटी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं।

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जलाशयों में पानी संग्रह करने को किया जा रहा प्रोत्साहित

गांवों के नए, पुराने और छोटे-बड़े जलाशयों में बरसाती पानी संग्रह करने को प्रोत्साहित किया जा रहा है। भूजल के अधिक दोहन से देश के 1000 से अधिक ब्लाक डार्क एरिया घोषित हो चुके हैं। शेखावत ने एक सवाल के जवाब में बताया कि भूजल को लेकर चिंतनीय सात राज्यों के 79 जिलों को चिह्नित किया गया है। इन जिलों में विश्व बैंक की छह हजार करोड़ रुपये की वित्तीय मदद से अटल भूजल योजना की पायलट स्कीम चालू हो चुकी है। देश में पहली बार आपूर्ति के उलट मांग आधारित पानी की स्कीम शुरू हुई है। इससे लोगों को जल की अहमियतता का भी आभास होगा।  (एएमएपी)