दो साल बाद 2025 में इनके वास्तविक आंक़ड़े आएंगे। पिछले अनुभव यही बताते हैं कि अमूमन विकास दर के वास्तविक आंकड़े त्वरित अनुमान के काफी कम हो जाते हैं। 2017-18 में विकास दर के मामले में बिहार देश में 14 वें स्थान पर 2018-19 में चौथे नंबर पर, 2019-20 में 13 वें नंबर पर, 2020-21 में 28 वें नंबर पर और 2021-22 में 20 वें नंबर पर रहा।
विकास दर के पिछले आंकड़े बयां कर रहे हकीकत
2017 -18 11.3 10.5 7.91 14
2018-19 10.5 9.3 10.9 04
2019-20 10.5 7.4 4.44 13
2020-21 2.5 -3.2 -7.43 28
2021-22 11.0 8.46 – 20
नोटः स्थिर मूल्य पर विकास दर के ये आंकड़े प्रतिशत में हैं।
क्यों होती है जीएसडीपी आंकड़ों पर ऐसी उलटफेर
राज्य सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का मतलब एक वित्तीय वर्ष में वस्तुओं और सेवाओं का कुल उत्पादन होता है। इसमें मशीनों की घिसाई जैसे कुछ और अवमूल्यन को घटा दिया जाता है। स्थिर मूल्य पर इसी को राज्य की अर्थव्यवस्था का वास्तविक आकार माना जाता है। इसी में सालाना वृद्धि को राज्य का विकास दर माना जाता जाता है। वित्तीय वर्ष समाप्त होने के कुछ ही महीनों बाद केंद्रीय सांख्यिकी संगठन जीएसडीपी और विकास दर का राज्यवार त्वरित अनुमान जारी करता है।-2022-23 का जीएसडीपी अभी जारी किया गया है। त्वरित अनुमान के लिए आंकड़े राज्यों के सांख्यिकी निदेशालय और दूसरी एजेंसियों की ओर से भेजे जाते हैं। अलग-अलग आर्थिक गतिविधियों की पूरी गणना उस समय तक नहीं होने के कारण राज्यों की ओर से इसे केवल अनुमान के आधार पर भेज दिया जाता है। साल भर में जीएसडीपी से जुड़े सेक्टर के आंकड़े काफी कुछ आ जाते हैं। इस आधार पर अगले साल प्रोविजनल डाटा जारी होता है। फिर एजी और दूसरी नियामक संस्थाओं की ओर से औपचारिक वित्तीय लेखे-जोखे के सत्यापन के बाद वास्तविक आंकड़े आते हैं। 2022-23 की जीएसडीपी के वास्तविक आंकड़े 2025 में आएंगे।
देश की तुलना में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय में भी काफी कम वृद्धि हो रही
2017 -184.97% 20
2018-19 8.88% 05
2019-20 2.43% 16
2020-21 -9.99% 29
2021-22 6.93% 262022-23 के त्वरित अनुमान में यह वृद्धि 9.07 फीसदी दिखाई गई है।आबादी की तुलना में देश की अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी में बिहार की हिस्सेदारी आबादी की तुलना में काफी कम है। 2011 की जनगणना के मुताबिक देश की 8.6 फीसदी आबादी बिहार में निवास करती है। 2036 तक इसके 14.5 फीसदी हो जाने का अनुमान है। इस हिसाब से देखे तो 2021-22 में जीएसडीपी में बिहार की हिस्सेदारी केवल 2.63 प्रतिशत रही।2019-20 में 2.76 फीसदी के बाद से यह लगातार घट रही है।