1.39 लाख हृदय, 17556 किडनी और 10860 कैंसर पीड़ित बालकों का इलाज।
बच्चों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1998 में राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम लागू किया। इसके बाद वर्ष 2014 में केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके फलस्वरूप वर्ष 2014 से गुजरात में स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम को स्कूल स्वास्थ्य-राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (एसएच-आरबीएसके) के तहत जाना गया। इस कार्यक्रम के तहत राज्य में वर्ष 2014 से अभी तक यानी कुल 9 वर्ष में राज्य के 12.75 करोड़ बच्चों का स्वास्थ्य जांच की गई।
177 का किडनी, 26 का लीवर ट्रांसप्लांट
इनमें 01लाख, 39 हजार, 368 बच्चों के हृदय संबंधित बीमारी होने पर इलाज और सर्जरी की गई। 17 हजार, 556 बच्चों के किडनी संबंधी बीमारी होने पर इलाज किया गया। इनमें 177 बच्चों का किडनी ट्रांसप्लांट किया गया। 10 हजार, 860 बच्चों के कैंसर संबंधी बीमारी का इलाज किया गया। 26 बालकों का लीवर ट्रांसप्लांट, 198 बच्चों का बोनमेरा ट्रांसप्लांट, 2738 बच्चों का कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की गई। इसके अलावा 6987 बच्चों का क्लब फूट, 6064 बच्चों का कलेफट लिप-पेलेट का इलाज किया गया।

वर्ष 2022-23 की बात करें तो इस एक साल के दौरान 17544 बच्चों का हृदय संबंधित इलाज किया गया। इसके अलावा 724 बच्चों का किडनी, 337 बच्चों का कैंसर का इलाज किया गया। 13 बच्चों का किडनी और एक बालक का लीवर, 10 बच्चे का बोनमेरो ट्रांसप्लांट किया गया। 297 बच्चे का कॉक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की गई। 952 बच्चों को क्लब फूट, 315 बच्चों को कलेफट लिप-पेलेट का इलाज किया गया।
शुक्रगुजार हैं बच्चों के माता-पिता
स्कूल स्वास्थ्य राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम अंतर्गत हृदय की सर्जरी कराने वाले शाहनवाज नासिरखान पठान की माता शाहजहान पठान कहती हैं कि आज उनके बेटे की तबियत ठीक है। सर्जरी के बाद कोई तकलीफ नहीं हुई। यह सब नि:शुल्क किया गया। शुरुआत में मेरे पांच साल के बच्चे को निमोनिया के बाद सिविल अस्पताल में जांच कराने के बाद हृदय में छेद होने की बात कही गई थी। सभी तरह की रिपोर्ट के बाद बेटे को यूएन मेहता हॉस्पिटल में शिफ्ट कराया गया। यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों ने नि:शुल्क सर्जरी की। निजी अस्पताल में इसकी महंगी चिकित्सा होती जो हमारी नि:शुल्क की गई। सरकार के कारण हम पर कोई आर्थिक बोझ नहीं पड़ा।
सरकार के इस स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत नवजात शिशु से लेकर 5 वर्ष तक के आंगनबाड़ी बालकों, कक्षा 1 से 12 में पढ़ाई करने वाले सभी बालकों, 18 वर्ष तक के बालकों, आश्रमशाला, मदरसा, चिल्ड्रन होम समेत अन्य सभी तरह के बच्चों की स्वास्थ्य जांच कर उचित इलाज का प्रबंधन किया जाता है।(एएमएपी)



