भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अमर स्वतंत्रता सेनानी मास्टर दा सूर्य सेन की पलटन में शामिल होकर अंग्रेजों के दांत खट्टे करने वाली वीरांगना प्रीति लता वादेदार की वीरगाथा बांग्लादेशी फिल्मकार प्रदीप घोष ने सेल्युलायड पर उतारा है।
वीरकन्या प्रीतिलता के नाम से बन रही इस फिल्म के निर्देशक प्रदीप घोष का मानना है कि यह फिल्म भारत और बांग्लादेश के लोगों को राष्ट्रवाद की भावनाओं से ओतप्रोत कर एक सूत्र में बांधेगी। कोलकाता में आयोजित एक विशेष समारोह में प्रदीप घोष ने कहा कि प्रीतिलता की वीरगाथा सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि एक आंदोलन है। इस फिल्म का निर्माण चट्टग्राम आंदोलन से जुड़ी संस्था बिप्लवतीर्थ चट्टग्राम स्मृति परिषद से जुड़ीं वरिष्ठ समाजसेवी लीला पुरकायस्थ फिल्म की निर्माता हैं। 1932 के चट्टग्राम आंदोलन पर आधारित इस फिल्म की शूटिंग चट्टग्राम में ही की गई है। मास्टर दा सूर्य सेन के साथ जिन लोगों ने चट्टग्राम आंदोलन में हिस्सा लिया था, उसमें प्रीति लता का नाम सबसे ज्यादा चर्चित है। तब के जमाने में महिला सशस्त्र क्रांतिकारी के उदाहरण विरले ही मिलते थे। 23 सितंबर 1932 को मास्टर दा के प्लान के मुताबिक प्रीतिलता ने अन्य साथियों के साथ मिलकर चट्टग्राम में यूरोपियन क्लब पर हमले किए थे। हमले की वजह थी वहां बड़ी संख्या में अंग्रेजों की मौजूदगी में डर का माहौल कायम करना। भारतीयों को नीचा दिखाने के लिए यहां लिखा जाता था कि भारतीयों और कुत्तों का प्रवेश प्रतिबंधित है। मात्र 21 साल की प्रतिलता ने बहादुरी से न केवल हमला किया बल्कि पकड़े जाने से पहले अपने पास मौजूद पोटेशियम साइनाइड खाकर वीरगति को प्राप्त हो गई थी, लेकिन अंग्रेजों के हाथ नहीं आईं। इसी बहादुरी पर प्रदीप घोष ने फिल्म बनाई है।
प्रदीप घोष अब तक 19 फिल्में बना चुके हैं, जिनमें से एक फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है। उन्होंने बताया कि आजादी की लड़ाई की तरह ही इस वीरकन्या पर बनी फिल्म की राह में भी कई रोड़े आए। कभी वित्तीय संकट तो कभी महामारी की वजह से लॉकडाउन। उन्होंने बताया कि प्रीतिलता के बचपन का रोल करने के लिए कलाकार तो आसानी से मिल गई थी, लेकिन युवा प्रीति लता के संघर्ष और आजादी की लड़ाई के प्रति बहादुरी को दिखाने और उसे समझने के लिए अभिनेत्री नहीं मिल पा रही थी। फिल्म का एक-एक दृश्य बेहद बारीकी से फिल्माया गया है। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि फिल्म में सिर्फ छह मिनट के एक दृश्य के लिए 18 घंटे तक शूटिंग करनी पड़ी थी।
वीरकन्या प्रीतिलता टीजर रिलीज हो चुका है, जबकि फिल्म अगले माह यानि नवंबर में रिलीज होगी। प्रदीप ने बताया कि 1930 के स्वतंत्रता संग्राम के 90 सालों के बाद इस वीर कन्या को लेकर कोई फिल्म बांग्लादेश में बन रही है। उन्होंने बताया कि बांग्लादेश की विख्यात लेखिका सेलिना हुसैन की प्रीति लता पर लिखे गए उपन्यास वीरकन्या प्रीति लता पर यह फिल्म आधारित है। बांग्लादेशी अभिनेत्री नुसरत एंब्रोज तिशा ने इसमें प्रतिलता की मुख्य भूमिका निभाई है। क्रांतिकारी रामकृष्ण विश्वास का रोल कर रहे हैं मनोज प्रमाणिक जबकि मास्टर दा सूर्य सेन की भूमिका कमरुज्जमा टापू ने निभाई है। वर्ष 2019-20 के दौरान बांग्लादेश सरकार ने इस फिल्म के लिए आर्थिक अनुदान भी दिया था।