डॉ. मयंक चतुर्वेदी।
भारत के गोल्ड रिजर्व और विदेशी मुद्रा भण्डार में बढ़ोत्तरी, जीडीपी में 8.4 फीसदी की गति
देश की आर्थिक गति को लेकर एक के बाद एक अच्छी खबरें आ रही हैं, पहले केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े जारी किए, जिसमें सामने आया कि कैसे जीडीपी 8.4 फीसदी की गति से आगे बढ़ी है। फिर दूसरी खबर आई फॉरेन करेंसी एसेट्स में हुई बढ़ोतरी की। गत 23 फरवरी को समाप्त सप्ताह के दौरान फॉरेन करेंसी एसेट्स (एफसीए) में 2.41 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। अब अपना एफसीए भंडार बढ़ कर यूएसडी 548.188 बिलियन का हो गया है। इसी फरवरी महीने की 23 तारीख को समाप्त सप्ताह के समय में भारत के स्वर्ण भंडार (गोल्ड रिजर्व) में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यह गोल्ड रिजर्व में 472 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज करने में सफल रहा है। आज भारत का सोने का भंडार यूएसडी 47.848 बिलियन का हो गया है।
इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने बताया कि भारत के विशेष आहरण अधिकार या स्पेशल ड्रॉइंग राइट (एसडीआर) में भी बढ़ोतरी हुई है। एसडीआर 80 मिलियन डॉलर बढ़ कर 18.197 बिलियन डॉलर हो गया है। आज रिजर्व बैंक यह भी बता रहा है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास रखे हुए देश के मुद्रा भंडार में भी बढ़ोतरी हुई है। आलोच्य सप्ताह के दौरान इसमें यूएसडी 9 मिलियन की बढ़ोतरी हुई है। अब यह बढ़ कर यूएसडी 4.839 बिलियन हो गया है।
जीएसटी कलेक्शन 12.5 फीसदी बढ़कर 1.68 लाख करोड़ रुपये से अधिक हुआ
देश में एक खबर गुड्स एंड सर्विस टैक्सि (जीएसटी) कलेक्शन पर बेहतरीन आंकड़ों के रूप में भी सामने आई है । वित्त मंत्रालय के आंकड़ों से इसका पता चलता है कि फरवरी में सालाना आधार पर जीएसटी कलेक्शन 12.5 फीसदी बढ़कर 1.68 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। फिर देश का शेयर मार्केट आज जिस ऊंचाईयों को छू रहा है, उससे भी लगता है कि आनेवाले समय में भारत दुनिया की तमाम बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ देगा । इस ग्रोथ को देखकर अब कई आर्थिक विश्लेषक भी यह मान रहे हैं कि जिस तरह से भारत इस समय अपने कार्यों से दुनिया को आश्चर्य में डाल रहा है, उससे लगता है कि 21वीं सदी भारत को दुनिया की टॉप पॉवर बना देगी ।
इस तरह से दुनिया के सभी देशों को चौंका रहा है भारत
अर्थ जगत के जानेमाने विश्लेषक और बैंकिंग सेक्टर में लम्बे समय से काम कर रहे प्रहलाद सबनानी मानते हैं, ‘‘ वित्तीय वर्ष 2023-24 की तृतीय तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर ने भारत सहित विश्व के समस्त आर्थिक विश्लेशकों को चौंका दिया है। इस दौरान, भारत में सकल घरेलू उत्पाद में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि हासिल हुई है जबकि प्रथम तिमाही के दौरान वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत एवं द्वितीय तिमाही के दौरान 7.6 प्रतिशत की रही थी। पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान वृद्धि दर 4.4 प्रतिशत रही थी। साथ ही, क्रेडिट रेटिंग संस्थान इकरा ने इस वर्ष तृतीय तिमाही में 6 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान एवं भारतीय स्टेट बैंक ने भी 6.9 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जताया था। कुल मिलाकर, लगभग समस्त वित्तीय संस्थानों के अनुमानों को झुठलाते हुए सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत की रही है। ’’
सबनानी कहते हैं कि आज जो आर्थिक विकास दिखाई दे रहा है, उसका एक कारण यह भी है कि ‘‘ केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक क्षेत्र में लगातार किए जा रहे सुधारों के चलते एवं पूंजीगत खर्च में लगातार की जा रही बढ़ौतरी से भी भारतीय अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में केंद्र सरकार द्वारा 10 लाख करोड़ रुपए की राशि इस मद पर खर्च की गई है, जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में इस मद पर 7.5 लाख करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई थी। वहीं, वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट में पूंजीगत खर्च की राशि को बढ़ाकर 11.11 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है। दूसरे, भारत में कर (प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष) के संग्रहण में भी अपार सुधार दिखाई दे रहा है। कर ढांचे को आसान बनाकर सम्बंधित नियमों के अनुपालन में सुधार कर, कर संग्रहण में 20 प्रतिशत के आसपास की वृद्धि हासिल की गई है। ’’
उन्होंने बताया कि ‘‘ देश में अनौपचारिक क्षेत्र भी तेजी से औपचारिक क्षेत्र में बदल रहा है, इससे कर संग्रहण के साथ साथ रोजगार के अवसर भी औपचारिक क्षेत्र में अधिक निर्मित हो रहे हैं तथा विनिर्माण एवं सेवा क्षेत्र में कार्यरत कर्मचारियों को अतिरिक्त आर्थिक लाभ मिलते दिखाई दे रहे हैं। कुल मिलाकर, अब भारतीयों को आर्थिक क्षेत्र में लगातार अच्छे समाचार मिलने लगे हैं क्योंकि भारत रोजाना किसी न किसी क्षेत्र में नित नए रिकार्ड बनाता दिखाई दे रहा है। इस प्रकार, अब भारतीयों को नित नए रिकार्ड सुनने की आदत बना लेनी चाहिए। ’’
भारत 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की विकास दर हासिल करने की ओर तेजी से बढ़ रहा
सबनानी का साफ कहना है कि ‘‘ वित्तीय वर्ष 2023-24 के तृतीय तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद के विशेष रूप से उद्योग क्षेत्र एवं सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर के आंकड़ों को देखकर तो अब यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि भारत आगे आने वाले वर्षों में 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की विकास दर हासिल करने की ओर तेजी से आगे बढ़ रहा है एवं अगले लगभग 4 साल के अंदर ही विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वर्तमान में भारत विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। साथ ही, भारतीय शेयर बाजार भी बाजार पूंजीकरण के मामले में वर्तमान में विश्व में चौथे स्थान से तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा। क्योंकि, भारत में आर्थिक विकास की तीव्र गति को देखते हुए विदेशी निवेशक एवं विदेशी निवेश संस्थान, दोनों ही भारतीय पूंजी बाजार में अपने निवेश को निश्चित ही बढ़ाएंगे। ’’
भारत की आर्थिक विकास दर में धार्मिक पर्यटन और संस्कृति का बहुत बड़ा योगदान
इसके साथ ही इनका मानना यह भी है कि भारत में वित्तीय वर्ष 2023-24 की तृतीय तिमाही में अनुमानों से कहीं अधिक वृद्धि दर हासिल करने के पीछे दरअसल हाल ही के समय में आर्थिक क्षेत्र के साथ साथ सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्रों में हो रहे परिवर्तन भी मुख्य भूमिका निभाते नजर आ रहे हैं, इस ओर सामान्यतः विदेशी अर्थशास्त्रियों एवं वित्तीय संस्थानों का ध्यान शायद नहीं जा रहा है। हाल ही के समय में भारत में अब विभिन्न त्यौहार अत्यधिक उत्साह के साथ मनाए जा रहे हैं। इन त्यौहारों, शादियों से खर्च में अपार वृद्धि हो रही है। इस खर्च का पूरा पैसा भारतीय अर्थव्यवस्था में आ रहा है, जिससे आर्थिक वृद्धि दर में तेजी दिखाई देने लगी है।…दूसरे, भारत में हाल ही के समय में धार्मिक पर्यटन में अपार वृद्धि देखने में आई है।…अयोध्या, वाराणसी, उज्जैन, हरिद्वार, वृंदावन आदि धार्मिक स्थलों पर पर्यटकों की अपार वृद्धि दिखाई दे रही है। अयोध्या में तो प्रभु श्रीराम के मंदिर के शिलान्यास के बाद से लगातार औसतन प्रतिदिन 2 लाख से अधिक पर्यटक अयोध्या पहुंच रहे हैं। इससे न केवल स्थानीय बल्कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिल रहा है। धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में यही हाल देश के अन्य राज्यों का भी है ।
देश में एक जिला और एक प्रोडक्ट जैसी योजनाएं पैदा कर रहीं नया रोजगार
माडर्न ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशंस में समूह निदेशक और प्रोफेसर पुनीत कुमार द्विवेदी देश के आर्थिक विकास के लिए पूरी तरह से केंद्र सरकार की इच्छाय शक्ति और उन तमाम योजनाओं को मानते हैं, जिन्हें लागू करने के लिए मोदी सरकार कई विरोधों को सहन करने के बाद भी डटी रही और व्यवहारिक धरातल पर उन्हें लागू करने में सफल रही है। देश में एक जिला और एक प्रोडक्ट जैसी तमाम आर्थिक योजनाओं के कारण से आज देश में बेरोजगारी दर कम हुई है।
प्रोफेसर पुनीत कुमार कहते हैं कि ‘‘ इस सरकार में जीएसटी कलेक्शन ही अपने आप में देश की छोटी-बड़ी सभी औद्योगिक ईकाईयों को आगे बढ़ानेवाला साबित हुआ है। इसके कारण से आज एमएसएमई सेक्टर में बहुत तेज ग्रोथ दर्ज की जा सकी है। इंडस्ट्री के लिए यह फंड का पूल है। जैसे पानी धूप से वाष्पिकृत होकर फिर ऊपर से नीचे आता है और सभी को संतुष्ट करता है, वैसे ही आज देश का जीएसटी कलेक्शन है। इसके कारण से देश में चारो ओर विकास की गति देखने को मिल रही है। जगह-जगह पर नए-नए छोटे उद्योग आज सामने आ रहे है। अधोसंरचना संबंधी विकास भी हो रहा है ’’
प्रो. पुनित कुमार कहते हैं कि वित्त मंत्रालय ने अभी बताया है कि घरेलू लेनदेन बढ़ने से फरवरी में जीएसटी संग्रह 12.5 फीसदी बढ़कर 1.68 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों में कुल सकल जीएसटी संग्रह 18.40 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। यह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के टैक्स कलेक्शन से 11.7 फीसदी अधिक है। निश्चित ही जब जीएसटी संग्रह बढ़ता है तो सरकार के पास अधिक पैसा होता है, जिसका कि उपयोग वह विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं को फंड देने के लिए करती है।
भारत की अर्थव्यवस्था के लिए खुशखबरी, विकास दर 6.8 फीसदी रहने का अनुमान
दुनिया के निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था में भरोसा बढ़ा
डॉ. द्विवेदी यह भी कहते हैं कि भारत की ग्रोथ का वर्तमान में सहज अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि दुनिया के देशों में रह रहे निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति भरोसा बढ़ा है । यही कारण है कि आज भारत की फॉरेन करेंसी एसेट्स लगातार वृद्धि करता हुआ दिखाई देता है। इस फॉरेन करेंसी एसेट्स में 2.41 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी देखी जा रही है। भारत का एफसीए भंडार बढ़ कर यूएसडी 548.188 बिलियन का हो गया है। यहां ध्यान देनेवाली बात है, यह तब है जब भारत डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसे गैर अमेरिकी मुद्राओं में आई कमी या बढ़ोत्तंरी के प्रभावों को भी शामिल करते हुए अपनी आर्थिक समीक्षा एवं आंकड़े जारी करता है।
भारत के विकास का एक कारण बहुत हद तक क्षेत्रीय विषमताओं का दूर होना भी
वे कहते हैं कि कुल मिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आज जितनी भी आर्थिक जगत से जुड़ी या अन्य योजनाएं चल रही हैं, वे भारत सेंट्रिक हैं । इनके नेशन सेंट्रिक होने से हर क्षेत्र में विकास होता हुआ दिखाई देता है। क्षेत्रीय विषमताओं को दूर करने में इस सरकार ने अत्यधिक सफलता पाई है। इसलिए ही आज देश के आम जन में अपनी सफलता को लेकर एक विश्वास देखने को मिलता है। इसके साथ ही इनका मानना यह भी है कि यदि भारत आगे भी इसी तरह से इकोनॉमिक ग्रोथ करता रहा तो भविष्य में दुनिया की सबसे बड़ी महाशक्ति के रूप में सभी के सामने होगा।(एएमएपी)