संदेशखाली विवाद ने पश्चिम बंगाल में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। बीजेपी ने टीएमसी पर महिलाओं की सुरक्षा में विफल रहने का आरोप लगाया। टीएमसी ने बीजेपी पर विवाद को भड़काने का आरोप लगाया है।

पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना जिले में स्थित बांग्लादेश की सीमा से सटे संदेशखाली क्षेत्र का नाम 5 जनवरी से पहले शायद ही किसी ने सुना होगा। अब संदेशखाली का नाम हर अखबार के पन्ने पर छाया हुआ है। आखिर संदेशखाली में क्या है विवाद, क्यों यहां के लोग ममता बनर्जी से हैं नाराज?

बड़ी संख्या में संदेशखाली की महिलाएं पिछले कुछ दिनों से ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही हैं। इस बीच प्रदर्शनकारी महिलाओं और पुलिस के बीच झड़प की खबर भी आई।

महिलाओं का आरोप है कि ममता की पार्टी टीएमसी के नेता शेख शाहजहां ने उनका यौन उत्पीड़न किया और फिर जबरन जमीनों पर कब्जा कर लिया।

महिलाओं की मांग है कि टीएमसी नेता शाहजहां शेख और उसके गुर्गों को गिरफ्तार किया जाए। महिलाओं ने पुलिस पर आरोपियों से सांठ-गांठ करने का आरोप भी लगाया है। पीड़ित महिलाओं के समर्थन में बीजेपी नेता भी सड़क पर उतर आए हैं।

संदेशखाली का मुद्दा पर राजनीतिक रंग रूप ले चुका है। बीजेपी और टीएमसी एकदूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। बीजेपी ने टीएमसी सरकार पर महिलाओं की सुरक्षा में फेल होने का आरोप लगाया है। टीएमसी ने बीजेपी पर राजनीतिक फायदे के लिए विवाद को भड़काने का आरोप लगाया है।

अब पहले जानिए कैसे शुरू हुआ संदेशखाली में विवाद

बात है 5 जनवरी 2024 की, जब प्रवर्तन निदेशालय की टीम राशन घोटाला मामले में जांच करने टीएमसी नेता शाहजहां शेख के संदेशखाली वाले आवास पर छापेमारी करने पहुंची थी। वहां ईडी की टीम पर हमला किया गया और उन्हें वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया। हमले में कुछ अधिकारियों को चोट भी आई।

ED की टीम पर पत्थरबाजी का आरोप तृणमूल कांग्रेस के नेता शाहजहां शेख के समर्थकों पर लगा है। उस दिन के बाद से शाहजहां शेख फरार है। किसी को भी नहीं पता शाहजहां शेख कहां है। ईडी की ओर से समन भेजने के बावजूद पेश नहीं हुए।

इस घटना के एक महीने बाद फिर 8 फरवरी से संदेशखाली की स्थानीय महिलाओं ने शाहजहां शेख और उनके समर्थकों के खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। तब से लगातार हर दिन प्रदर्शन हो रहे हैं।

ये विवाद तब बढ़ गया जब 9 फरवरी को प्रदर्शनकारी महिलाओं ने शाहजहां शेख के समर्थक हाजरा के स्वामित्व वाले तीन पोल्ट्री फार्म में आग लगा दी। महिलाओं ने आरोप लगाया कि ये फार्म ग्रामीणों से जबरदस्ती छीनी गई जमीन पर बनाए गए थे।

प्रदर्शनकारी महिलाओं के आरोप

प्रदर्शनकारी महिलाओं ने शाहजहां शेख और उसके समर्थकों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। दावा है कि शाहजहां शेख के गुर्गे रात में आकर जबरन उठाकर ले जाते थे और सुबह छोड़ दिया करते थे। उनसे रातभर काम कराया जाता था। सभी से कहा जाता था रात 12 बजे मीटिंग है जाना ही है। कोई भी पीड़ित महिला डर के चलते कैमरे के सामने नहीं बोलती थी। पुलिस से शिकायत की मगर कभी कोई मदद नहीं की। सरकार पर भी भरोसा नहीं है।

एक दूसरी प्रदर्शनकारी महिला ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस के लोग गांव में घर-घर जाकर सर्वे करते हैं। किसी घर में कोई सुंदर महिला या लड़की दिखती है तो उसे पार्टी ऑफिस ले जाया जाता है। फिर उस महिला को कई रातों तक वहीं रखा जाता है। महिलाओं ने शाहजहां शेख के करीबी माने जाने वाले टीएमसी नेता उत्तम सरदार और शिबप्रसाद हाजरा पर भी शामिल होने का आरोप लगाया है।

हालांकि शाहजहां शेख के करीबी शिबू हाजरा ने सफाई देते हुए कहा है कि महिलाओं के यौन उत्पीड़न के सभी आरोप झूठे हैं। उन्हें साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। सीपीएम और बीजेपी पर आरोप लगाया।

जांच के घेरे में संदेशखाली

विवाद बढ़ने के बाद 12 फरवरी को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने संदेशखाली का दौरा किया। यहां की महिलाओं से मुलाकात के बाद राज्यपाल ने मीडिया से कहा, ‘मैंने संदेशखाली की माताओं और बहनों की बातें सुनी। मुझे विश्वास नहीं हुआ कि रबिन्द्र नाथ टैगोर की धरती पर ऐसा भी हो सकता है।

आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू

13 फरवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा ने घटना पर स्वत: संज्ञान लिया। कोर्ट ने ममता सरकार से मामले पर 20 फरवरी तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। इसके बाद 14 फरवरी को हाईकोर्ट संदेशखाली में लागू की गई धारा 144 रद्द कर दी।

13 फरवरी को ही बंगाल की महिला पुलिस टीम ने संदेशखाली का दौरा किया था। डीआईजी सीआईडी के नेतृत्व में राज्य महिला आयोग ने प्रदर्शनकारी महिलाओं से पूछताछ की। अगले दिन पुलिस ने बयान जारी कर कहा कि पूछताछ में किसी भी महिला ने बलात्कार की कोई शिकायत नहीं की। सभी आरोप और शिकायतों की विधिवत जांच की जाएगी। आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।

राज्य महिला आयोग के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग ने घटनास्थल का दौरा किया। एनसीडब्ल्यू ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि टीएमसी नेताओं ने महिलाओं का उत्पीड़न किया है। कई महिलाओं की शिकायत की है। ये नेता महिलाओं से उनकी जमीन छीन लेते हैं या फिर उनके घर के पुरुष सदस्यों को जबरन गिरफ्तार करते हैं।

इसके अलावा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया है। अन्नपूर्णा देवी के नेतृत्व वाली इस कमेटी में प्रतिमा भौमिक, बीजेपी सांसद सुनीता दुग्गल, कविता पाटीदार, संगीता यादव और बृजलाल शामिल हैं। ये कमेटी अपनी रिपोर्ट जेपी नड्डा को सौंपेगी।

संदेशखाली पर गरमा रही है राजनीति!

बंगाल बीजेपी अध्यक्ष सुकांता मजूमदार के नेतृत्व में पार्टी संदेशखाली में तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है। बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने ममता सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, ‘घर-घर जाकर ममता के गुंडे छोटी उम्र की हिंदू परिवार की बहुओं को उठवाकर उनका बलात्कार हो रहा है, उनपर न कुछ कहती हैं और कहने वाले को विधानसभा से सस्पेंड करा देती हैं।

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने मामले पर एनआईए से जांच की मांग की है। उधर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि एक महिला मुख्यमंत्री को अपने राज्य की पीड़ित महिलाओं का साथ देना चाहिए था। लेकिन वह अपराध करने वालों को बचाने में लगी हैं। ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का अधिकार नहीं। उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए, पीड़ितों को तभी इंसाफ मिल सकेगा।

वहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में संदेशखाली पर बोलते हुए कहा, हमने पूरे मामले पर कार्रवाई की है। बीजेपी बाहर से लोगों को बुलाकर माहौल खराब कर रही है। भाजपा के लोग नकाब पहनकर इस मामले पर बयानबाजी कर रहे हैं। संदेशखाली आरएसएस का बंकर बन चुका है। यहां पहले भी दंगे हो चुके हैं। मैंने कभी किसी के साथ अन्याय नहीं होने दिया और न ही होने दूंगी।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा संदेशखाली का मामला

15 फरवरी को संदेशखाली का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। एडवोकेट अलख आलोक श्रीवास्तव ने याचिका दायर कर अदालत से मांग की है कि मामले की जांच और मुकदमा राज्य के बाहर ट्रांसफर किया जाए।

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी जांच की मांग की है। मणिपुर की तरह 3 जजों की कमेटी बनाने की गुजारिश की है। इसके अलावा पीड़ितों को मुआवजा दिए जाने और मामले में लापरवाही करने दोषी पुलिसकर्मियों पर भी एक्शन लिया जाए।

RSS का गढ़ है संदेशखाली?

संदेशखाली विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है। 2016 से टीएमसी इस सीट पर लगातार दो बार जीत चुकी है। 2021 विधानसभा चुनाव में टीएमसी के उम्मीदवार सुकुमार महता ने बीजेपी के उम्मीदवार को करीब 40 हजार वोटों से हराया था।

2016 से पहले तक इस सीट पर वाम मोर्चा मजबूत था। 1977 से 2011 तक संदेशखाली विधानसभा सीट पर लगातार भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का कब्जा रहा था। बीजेपी ने अबतक एक बार यहां जीत हासिल नहीं की है।

संदेशखाली सीट बशीरहाट लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में आती है। लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी यहां कभी जीती नहीं है। लोकसभा में लगातार तीन बार से टीएमसी जीत रही है।

2019 चुनाव में टीएमसी नेता नुसरत जहां से करीब चार लाख वोटों से बीजेपी उम्मीदवार को हराया था। इससे पहले 1980 से 2004 तक सीपीएम का गढ़ रहा था। 2019 लोकसभा चुनाव में टीएमसी नेता

महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राज्य है बंगाल?

साल 2019 में गांव कनेक्शन के एक सर्वे में पाया गया कि देश में पश्चिम बंगाल की महिलाएं खुद को सबसे ज्यादा असुरक्षित महसूस करती हैं। 19 राज्यों के 18,267 परिवारों से सर्वे में पूछा गया था कि उनके घर की महिलाएं घर से बाहर निकलते वक्त खुद को कितना सुरक्षित महसूस करती हैं।

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सर्वे में सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल की 72।9 फीसदी लोगों ने कहा कि ऐसा माहौल ही नहीं है कि घर से बाहर निकलने पर सुरक्षित महसूस किया जाए। 23।4 फीसदी लोगों ने कहा कि दिन में फिर भी बाहर निकला जा सकता है लेकिन रात में बाहर निकलना बिल्कुल सुरक्षित नहीं है।

क्यों सुलग रहा है बंगाल का संदेशखाली

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े मानें तो वो भी कुछ यही तस्वीर बयान करते हैं। एसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं के गुमशुदा (मिसिंग) होने के मामले में पश्चिम बंगाल दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। 2018 में जहां महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 33,964 महिलाओं के मिसिंग होने की रिपोर्ट दर्ज हुई, वहीं उससे कम जनसंख्या वाले राज्य पश्चिम बंगाल में 31,299 ऐसे मामले दर्ज हुए। इनमें कोलकाता, नादिया, बारासात, बराकपुर, मुर्शिदाबाद में सबसे ज्यादा मामले आए।

इतना ही नहीं महिलाओं के खिलाफ अपराध मामले में भी पश्चिम बंगाल अग्रणी राज्यों में शामिल है। एसीआरबी के अनुसार, 2020 में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा करीब 49 हजार मामले यूपी में देखे गए। इसके बाद दूसरे नंबर यूपी से आधी आबादी वाले राज्य पश्चिम बंगाल (36,439) में आए। (एएमएपी)