5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में से 4 के आज नतीजे आ रहे हैं और इन चुनाव परिणामों में कई सारे ऐसे नेता हैं जो पहले से सांसद हैं और अब विधानसभा भी जीत गए या जीतने की ओर अग्रसर हैं। ऐसे में अब ये सवाल उठता है कि जो सांसद विधानसभा चुनाव भी जीत गए अब उन्हें क्या करना होगा। एक विशेषज्ञ के मुताबिक विधानसभा चुनाव जीतने वाले कई सांसदों को अब अगले 14 दिन के भीतर विधानसभा और संसद सदस्यता में से किसी एक को चुनना होगा। अगर ये नहीं किया तो अपने आप ही उनकी संसद सदस्यता चली जाएगी।
पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 21 सांसदों को मैदान उतारा है। इनमें से कुछ जीत गए और कुछ जीत की ओर अग्रसर हैं। ऐसें में जो सांसद विधानसभा चुनाव जीत गए, उन्हें अब जल्द ही सांसदी और विधायकी में से किसी एक को चुनना पड़ेगा।

बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतारे 21 सांसद

इसको लेकर एक विशेषज्ञ ने संविधान के प्रावधानों का हवाला देते हुए यह बताया कि विधानसभा चुनाव जीतने वाले सांसदों को 14 दिन के अंदर किसी एक को चुनना होगा और अगर ये नहीं कर पाए तो खुद ही वे अपनी संसद सदस्यता खो देंगे। बता दें कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने विधानसभा चुनाव में केंद्रीय मंत्रियों नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते समेत 21 सांसदों को चुनाव मैदान में उतारा था। भाजपा ने राजस्थान और मध्य प्रदेश में सात-सात, छत्तीसगढ़ में चार और तेलंगाना में तीन सांसदों को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया था।

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क्या कहता है नियम?

अब विधानसभा चुनाव जीतने वाले सांसदों को अगले 14 दिन में इनमें (विधानसभा सदस्यता और संसद सदस्यता) से एक का चयन करना होगा। संविधान विशेषज्ञ और लोकसभा के पूर्व महासचिव पी.डी.टी. आचारी ने संविधान के अनुच्छेद 101 के तहत 1950 में राष्ट्रपति द्वारा जारी ‘एक साथ दो सदनों की सदस्यता का प्रतिषेध संबंधी नियम’ का हवाला देते हुए कहा, ”यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो 14 दिन की अवधि समाप्त होने पर वे संसद की सदस्यता खो देंगे। हालांकि, वे राज्य विधानसभा के सदस्य बने रह सकते हैं।” मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को मतगणना जारी है।(एएमएपी)