हितेश शंकर।
बेंगलुरु में हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रतिनिधि सभा में लिए गए दो महत्वपूर्ण निर्णयों से राजनीतिक विश्लेषकों ने यह आशय निकाला कि संघ नई उड़ान भरने की तैयारी में है। 67 वर्षीय दत्तात्रेय होसबाले को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सरकार्यवाह (महासचिव) चुना गया। सरसंघचालक के बाद यह संगठन का दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद माना जाता है। बैठक में वरिष्ठ नेता राम माधव को संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में नियुक्त करने का फैसला लिया गया। इसकी भी मीडिया में खूब चर्चा हो रही है। राम माधव पहले संघ से भाजपा में महासचिव बनकर गए थे। अब उनकी फिर से संघ में वापसी हुई है। क्या इन निर्णयों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश और दुनिया में विस्तार की नई संभावनाओं व आयामों को तलाशने में जुटा है। क्या संघ की रणनीतिक पैठ और मजबूत करने के लिए व्यापक सम्पर्क रखने वाले होसबाले को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई है।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी शाखा, आम लोग प्रायः इतना ही समझते हैं। संघ का जो विस्तार हुआ है उसमें शाखा धुरी है और  अन्य अनुषांगिक संगठन इसकी परिधि को विस्तार देते हैं। इन आनुषांगिक संगठनों में से एक बड़ा संगठन है अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद -एबीवीपी। दत्तात्रेय होसबाले जी के सार्वजनिक जीवन का लगभग तीन दशक का समय अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में बीता है। नई पीढ़ी को संघ से जोड़ने का काम उन्होंने किया है। देशभर में उनका एक बड़ा संपर्क है। होसबाले 1968 में तेरह वर्ष की आयु में संघ के स्वयंसेवक बन गए थे। 1972 में एबीवीपी से जुड़े और 15 वर्ष तक एबीवीपी के अखिल भारतीय संगठन महामंत्री रहे। 1975 से 1977 तक आपात काल के दौरान होसबाले जी की जेपी आंदोलन में अत्यंत सक्रिय भूमिका रही और मीसाबंदी के तौर पर जेल में रहे।

बहुआयामी उपलब्धियां

Major RSS rejig, Hosabale replaces Bhaiyaji JoshiMajor RSS rejig, Hosabale replaces Bhaiyaji Joshi - Mangalorean.com

होसबाले जी को संघ के आनुषंगिक संगठनों के विस्तार का  व्यापक अनुभव है इसके अलावा देश के भौगोलिक विस्तार की भी उन्हें अच्छी और जमीनी समझ व पकड़ है। होसबाले कई भाषाओं के जानकार हैं। अंग्रेजी, मराठी, तमिल, हिंदी, संस्कृत, कन्नड़। इसके अलावा उन्हें मीडिया और खासकर भाषाई मीडिया की अच्छी समझ है।  जनसंचार को लेकर उनकी रुचि और जानकारी को इस बात से भी समझा जा सकता है कि कन्नड़ में निकलने वाली प्रतिष्ठित पत्रिका ‘असीमा’ के संस्थापक संपादक भी होसबाले जी ही थे। विश्वभर में फैले भारतवंशियों में भी वे अच्छा प्रभाव, प्रसार और संपर्क रखते हैं। विश्व विद्यार्थी युवा संगठन के संस्थापक महामंत्री रह चुके हैं। एक बड़ी बात यह कि होसबाले जी विश्व के अनेक देशों में अनेक बार प्रवास पर रहे हैं। कई भाषाएं जानते हैं, विश्व के कई देशों में उनके अच्छे संपर्क हैं, संघ के अलग अलग संगठनों का काम सांगठनिक सूक्ष्मताओं  और क्षेत्रगत परिस्थितियों की जटिलताओं के साथ अच्छे से जानते हैं। जहां जहां रहे वहां वहां उन्होंने अत्यंत जीवंतता के साथ अपनी भूमिका निभाई और जीवंत संपर्क बनाए।

यह रिप्लेसमेंट नहीं

Mohan Bhagwat, RSS Chief, Calls For Talks On Reservation In Atmosphere Of Harmony

मुझे लगता है कि सरसंघचालक मोहन राव भागवत जी के दो कथनों के आलोक में इस बदलाव को देखना चाहिए पहला यह कि ‘परिवर्तन अपरिवर्तनीय नियम है।’
संघ में होसबाले जी को सरकार्यवाह बनाया जाना 12 वर्ष तक सरकार्यवाह रहे भैय्याजी जोशी के रिप्लेसमेंट के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए। यह एड आन है। ऐसा इसलिए क्योंकि संघ में हर व्यक्ति यूनीक यानी अद्वितीय है और अपनी अनूठी शैली में कुछ नया जोड़कर जाता है। हर एक की अपनी कुछ विलक्षण प्रतिभाएं और शौर्यताएं हैं। भैय्याजी जोशी अपनी प्रतिभाओं और विशेषताओं के कारण बेजोड़ रहेंगे।  संघ को लेकर पर्याप्त प्रतिकूलताओं के दौर में लो प्रोफाइल रहकर संगठन विस्तार की चुनौती का दौर भैया जी के सरकार्यवाह रहते पार हुआ है यह कैसे भूला जा सकता है।

विचलन की आशंका

Dattatreya Hosabale elected Sarkaryavah of RSS, to replace Suresh Bhaiyyaji Joshiभागवत जी का एक अन्य कथन यह है कि ‘अनुकूलता अपने साथ विचलन की सबसे ज्यादा आशंकाएं लेकर आती है।’ आज जब संघ के लिए कार्य विस्तार की बहुत अनुकूल परिस्थितियां दिखती हैं तब विचलन की हरसंभव आशंका को झुठलाते हुए न सिर्फ गति बनाए रखना, अपितु इसे बढ़ाना, यह चुनौती दत्ताजी को सौंपी गई है।

जीवंत संपर्क

दत्तात्रेय होसबाले का नये लोगों से बहुत जीवंत संपर्क है। आधुनिक तकनीक और कम्युनिकेशन की अच्छी समझ रखते हैं। अभी संघ का प्रसार बढ़ रहा है। अगर संघ समय के साथ लगातार कदमताल करता दिख रहा है तो उसका कारण यह है कि संघ अपने आप को कभी पुराना नहीं पड़ने देता इसलिए समय के साथ नया होता जाता है। संघ के पास हर क्षेत्र में हर विधा में नये लोग हैं, किसी भी समस्या का समाधान संघ ना दे सके ऐसा नेतृत्व का संकट किसी भी क्षेत्र में संघ के सामने नहीं है। दत्ता जी के बारे में कहा जाता है वे नये लोगों को प्रोत्साहित भी करते हैं और स्वयं भी ‘आईडियाज’ से भरपूर हैं।

राम भी, माधव भी

BJP acting tough with terrorists & their supporters, says Ram Madhav- The New Indian Express

राम माधव जी को संघ ने कुछ समय के लिए राजनीति में यानी भारतीय जनता पार्टी में भेजा था। अब बढ़ते कार्य आयामों को देखते हुए संघ ने उन्हें बुलाया है। भारतीय राजनीति के विविध मुद्दों, चुनौतियों और अवसरों पर केंद्रित शोध केंद्र के रूप में इंडिया फाउंडेशन का भी एक वैश्विक प्रभाव रहा है  तो इसके पीछे राम माधव जी का व्यापक संपर्क दूरदर्शिता और मुद्दों की बारीक समझ ही थी। संघ के कार्यकर्ता के लिए कार्य का क्षेत्र महत्वपूर्ण होता है। उसे जो भी दायित्व सौंपा गया हो- वह चाहे राजनीति हो, गोसेवा हो या विदेश विभाग हो- इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
वापसी संघ के लिए ‘एड आन’
मेरा मानना है कि सुरक्षा से जुड़े विषयों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में उभर रहे नए आयामों की दृष्टि से राम माधव जी का संघ में पुनः दायित्व लेना एक ‘एड आन’ है। इससे सांगठनिक स्तर पर नई भू-राजनीतिक स्थितियों को समझने, निपटने और संपर्को को व्यापक करने का एक अच्छा समीकरण दिखाई देता है। कश्मीर और पूर्वाेत्तर को लेकर राम माधव जी ने बहुत अच्छा काम किया है। उनका भू-रणनीति के जानकारों के साथ अच्छा संपर्क है, वैश्विक संपर्क हैं और सुरक्षा मामलों की अच्छी जानकारी है। चीन और पाकिस्तान को लेकर उनकी समझ के तो तमाम विशेषज्ञ भी कायल हैं।
(लेखक ‘पांचजन्य’ के संपादक हैं। यह आलेख उनकी अजय विद्युत के साथ हुई बातचीत पर आधारित है)