राजीव रंजन।

22 जनवरी, 2024 को श्री रामजन्मभूमि मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा के साथ ही भारत में एक नए युग का सूत्रपात होने जा रहा है। श्री रामजन्मभूमि मंदिर के लिए पांच शताब्दियों तक चले संघर्ष में साधु-संतों सहित हजारों लोगों ने अपनी आहुति दी है। इनके सबके बीच विश्व हिन्दू परिषद् के पूर्व अध्यक्ष स्व. अशोक सिंहल (1926-2015) ध्रुवतारे की तरह चमक रहे हैं। 1980 और 90 के दशक में श्री रामजन्मभूमि मंदिर के आंदोलन को जन-आंदोलन बनाने का काम अशोक सिंहल ने किया था।

दुनिया के महान कार्य इच्छाशक्ति से संपन्न हुए हैं और अशोक सिंहल जी में गजब की इच्छाशक्ति थी। उन्होंने अपनी इच्छाशक्ति की बदौलत श्रीराम जन्मभूमि की मुक्ति के सपने को साकार करने के लिए पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरो दिया था।

Ashok Singhal – the Hindutva warrior who led the Ram Janmabhoomi movement |  Picture Gallery Others News - The Indian Express

विश्व में अशोक सिंहल जी की जो ख्याति है, वह मुख्य रूप से श्री रामजन्मभूमि आंदोलन के सफल संचालन के कारण है। अशोक जी ने करोड़ों हिन्दुओं के आस्था के महान प्रतीक श्री रामजन्मभूमि मंदिर के निर्माण के संकल्प की सिद्धि का आह्वान किया। संकल्प को सिद्ध करने के लिए पूरे देश में कई प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया गया। श्रीराम जन्मभूमि को प्राप्त करने के लिए 1528 ईस्वी से निरंतर संघर्ष चल रहा था। अंततः हिन्दू समाज की विजय हुई।

श्री रामजन्मभूमि के लिए देशव्यापी जनजागरण का प्रचंड अभियान 8 अप्रैल 1984 को को शुरू हुआ। उस दिन दिल्ली के विज्ञान भवन में भारत के अनेक धार्मिक संत एकत्र हुए और प्रथम धर्म संसद का आयोजन हुआ। इसी धर्म संसद में व्यापक जनजागरण का संकल्प लिया गया। पूरे देश में राम जानकी रथयात्रा के माध्यम से जनजागरण अभियान चला। अशोक जी ने एक बार बताया था कि श्रीराम जन्मभूमि मंदिर आंदोलन के दौरान मन में कई प्रकार के प्रश्न उठ रहे थे। तब देवराहा बाबा ने कहा था, “एक बार शिलान्यास हो जाने दो, लोगों को यह विश्वास हो जाएगा कि मंदिर कार्य संपन्न होगा। यदि यह नहीं होगा, तो लोगों ने आपके ऊपर जो विश्वास किया है, वह विश्वास बिखर जाएगा। देश एक बार पुनः बंट जायेगा।” सन् 1989 में पूज्य देवराहा बाबा की उपस्थिति में शिलापूजन का निर्णय लिया गया। पूरे देश से पौने तीन लाख पूजित शिलाएं अयोध्या पहुंचीं। 9 नवंबर, 1989 को भावी राम मंदिर का शिलान्यास सम्पन्न हुआ। उसके बाद से मंदिर निर्माण के आंदोलन में एक दिन भी शिथिलता नहीं आई। अशोक जी के कुशल नेतृत्व में आंदोलन दिनोंदिन व्यापक होता गया और देश के हर प्रांत के असंख्य लोगों ने इसमें पूरी श्रद्धा और शक्ति के साथ हिस्सा लिया।

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2 नवम्बर, 1990 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने रामभक्तों पर गोलियां चलवा दीं। यह नृशंस नरसंहार राम विरोधी तथा मुस्लिम परस्त राजनीति की पराकाष्ठा था। मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि ‘अयोध्या में परिन्दा भी पर नहीं मार सकता’, लेकिन अशोक जी ने एक अद्भुत की योजना बनाई और हजारों रामभक्तों के साथ अयोध्या में प्रकट हो गए। उनके व्यक्तित्व में अद्भुत निर्भीकता और संकल्पशक्ति का समावेश था। वे “सौगंध राम की खाते हैं, हम मंदिर वहीं बनाएंगे” के उद्घोष का प्रतीक बन गए।

आज उसी स्थान पर मंदिर बन रहा है और ऐसा भव्य व दिव्य मंदिर बन रहा है कि पूरी दुनिया अयोध्या की ओर टकटकी लगाए देख रही है। आज अशोक सिंहल इस मंदिर के स्वप्न को साकार होता देखने के लिए हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन जो भी इस मंदिर को देखेगा पुण्यात्मा अशोक सिंहल जी की छवि सहज ही उसकी आंखों के सामने साकार हो उठेगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)