हाथरस की घटना पर राजनीति करनेवालों को लोकप्रिय कवि
डॉ. कुमार विश्वास ने खरी खोटी सुनाई

आपका अखबार ब्यूरो । 
“बहनों और बेटियों की चीख़ों पर ख़ामोश रहने वाले हस्तिनापुर खंडहर में बदल जाते हैं और फिर वहां लाशों पर रोने वाला भी कोई नहीं बचता है।” लोकप्रिय कवि डॉ. कुमार विश्वास ने हाथरस में बलात्कार की घटना पर सरकारों की ख़ामोशी पर अपना ग़ुस्सा प्रकट करते हुए यह बात कही।

बुधवार, 30 सितम्बर को फेसबुक लाइव के जरिए जनता से संवाद करते हुए उन्होंने इस मामले पर राजनीति करने वालों को जमकर खरी खोटी सुनाई। लोगों से इस घटना पर अपनी ख़ामोशी तोड़ने की अपील करते हुए डॉ. विश्वास ने कहा कि “सत्ताओं से सवाल पूछिए। मैंने भी सवाल पूछे हैं। अपनी पार्टी के नेता के ख़िलाफ़ भी सवाल उठाया था। उस वक़्त मेरे साहस का सम्मान करने वाले लोग आज चुप क्यों हैं ?”

 

माफ़ करें इस ग़ुस्से के लिए… इन आंसुओं के लिए ! पर खुद के प्रति बहुत बेबस सा लग रहा है सब कुछ 😢

Posted by Dr. Kumar Vishwas on Wednesday, 30 September 2020

महिला नेत्रियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि “जया बच्चन से लेकर स्मृति ईरानी तक सब चुप हैं, सबका ग़ुस्सा सेलेक्टिव है।” उन्होंने कहा कि “बेख़ौफ़ सवाल करना इस वक़्त की सबसे बड़ी ज़रूरत है। हमने राजस्थान में वसुंधरा से लेकर मप्र में कमलनाथ की सरकार तक, सबसे सवाल पूछा है और अब योगी सरकार से भी पूछेगें।” पीड़िता के जबरन दाह संस्कार पर दु:ख व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि “ये कैसी संवेदनशीलता है। बलात्कार उजाले में करते हो और अंतिम संस्कार अंधेरे में करते हो ?”
उन्होंने किसानों के मुद्दों पर बात करते हुए कहा कि देश के 60% लोगों के जीवन के बारे में निर्णय होते वक़्त संवाद और बहस होनी चाहिए थी।
हाथरस की घटना का राजनीतिकरण करके समाज को तोड़ने वाले लोगों को भी उन्होंने ख़ूब लताड़ा और कहा कि “गिद्धों को भी शर्म होती है, वे मरने का इंतज़ार करते हैं, तुम तो मरने का भी इंतज़ार नहीं करते।”
इस दौरान उन्होंने मीडिया पर भी प्रहार किया। एजेंडा सेट करने वाले पत्रकारों के बारे में तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि “आज जब वे पत्रकार ट्वीट करते हैं तो मुझे वे बेशर्म दलाल लगते हैं।”
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