‘लड़ाई-वड़ाई माफ करो, मेरा मेरे मनमाफिक इंसाफ करो’।
प्रदीप सिंह।
अब फोटो में देखिए, गडकरी की बगल में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हाथ जोड़े हुए खड़ी हैं। इस मुद्रा में इससे पहले आपने कब देखा था ममता बनर्जी को… और किसके सामने। आपमें से ज्यादातर लोगों को ये याद नहीं होगा। मुझे नहीं लगता है कि ममता बनर्जी किसी के सामने इस तरह से खड़ी हुई नजर आई हों।
‘मेरे लिए परिवार ही मेरी पार्टी’
ममता बनर्जी के मन में क्या भाव चल रहा होगा इसकी बात करता हूं। ममता बनर्जी बोल रही हैं, “दादा…, ओ दादा…, ओ मोदी दादा, आप तो बड़े भाई हो, लड़ाई-वड़ाई माफ करो, मेरा मेरे मनमाफिक इंसाफ करो। देखो मैं कितनी गुड गर्ल बन गई हूं। कितने दिन हो गए हैं, मैंने आपकी पार्टी के किसी नेता को दंगाबाज नहीं बोला। आप सोचिए कि मेरी क्या हालत हो रही होगी। बार-बार मन में आता है कि बोल दूं, अब बोल दूं, फिर लगता है कि नहीं, दादा ही मेरे परिवार को बचा सकते हैं। अब आप ही बताइए दादा… क्या परिवार का हित सोचना गलत बात है। मैं गलत तो नहीं सोच रही। आपकी बात दूसरी है। आप अपनी पार्टी को ही अपना परिवार समझते हैं लेकिन मेरे लिए तो मेरा परिवार ही मेरी पार्टी है। अगर परिवार नहीं बचेगा तो मेरी पार्टी भी नहीं बचेगी, ये बात तो आप अच्छी तरह से समझ रहे हैं। और आप जो कर रहे हैं इस समय, मुझे समझ में आ रहा है कि आपने मेरी कमजोर नस को पकड़ लिया है। दादा मैंने तो धोखेबाज यशवंत सिन्हा को अपने घर से बाहर कर दिया- सोनिया गांधी के मैसेज का जवाब तक नहीं दिया और- शरद पवार का फोन नहीं उठाया। उपराष्ट्रपति चुनाव के वोट में तो उन लोगों के साथ हिस्सा भी नहीं लिया। अब तो मेरी हालत को समझिए दादा। कितने दिन हो गए, मुझे तो लगता है कि बरसों हो गए, भाजपा के किसी नेता की हत्या, उसके घर में आगजनी, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार की खबर ही नहीं छपी। अब आप सोचिए कि मेरा दिन कैसे गुजर रहा है, रात कैसे गुजर रही है। आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं दादा। आप समझदार हैं, जानते सब हैं, बोलते कभी-कभी हैं। मुझे तो अब अपने आप पर शक होने लगा है कि हो सकता है कि ऐसी खबरें आ रही हों लेकिन मुझे सुनाई-दिखाई नहीं दे रही हों।”
‘बस इतनी प्रार्थना’
“दादा देखो, मैंने तो तुम्हारे संदेशवाहक हिमंत विश्वसरमा- जो असम का मुख्यमंत्री है- उससे कितना प्रेम से बात किया। इससे पहले कभी किया था क्या? मैं लोगों से कैसे बात करती हूं आपको पता है न, तो आप सोचो कि मैं क्या-क्या कर रही हूं। आपके डर से नहीं… मैं जानती हूं आप मेरे बड़े भाई हैं इसलिए कर रही हूं। आपके लिए देखिए मिष्ठी दही भी लेकर आई हूं, आपके सामने हाथ जोड़कर खड़ी हूं। आप तो भगवान राम को मानने वाले हैं। मैंने भगवान राम का अपमान किया, उसका विरोध किया, उसकी सजा मुझे मिल गई है। मैं चंडी पाठ करती हूं, तो फिर राम का विरोध कैसे कर सकती हूं। एक बार गलती हो गई दादा, माफ कर दो। आप बोलो तो मैं जय श्रीराम भी बोलने को तैयार हूं। आप तो राम के भक्त हैं, तो आपको ये भी पता होगा कि भगवान राम शरणागत की रक्षा जरूर करते हैं। अब मैं शरण में आ गई हूं तो अपनी तनी हुई भृकुटी को सीधी कर लीजिए। दादा… हमारा भगवान राम से कोई झगड़ा नहीं है। जब भगवान राम से झगड़ा नहीं है तो आपसे कैसे झगड़ा हो सकता है। आप बड़े भाई हो, मैं छोटी बहन हूं, इस बात का ख्याल रखो। आगे से आप जो कहोगे मैं वह करूंगी। आप सिर्फ मेरा ख्याल रखो, मेरे परिवार का ख्याल रखो, बस इतनी ही प्रार्थना है दादा।” (जारी)