डॉ. मयंक चतुर्वेदी।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया जाना और उसके बाद दुनिया भर में भारत का खुलकर विरोध करना वह भी ऐसे दौर में जब भारत जी-20 का सफल आयोजन करके निपटा ही है, यह बताने के लिए पर्याप्‍त है कि कनाडा का जस्टिन ट्रूडो नेतृत्‍व पहले से ही भारत के प्रति एक नकारात्‍मक धारणा रखता है। भारत पर वह जिस खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगा रहा है, आश्‍चर्य है कि उसका कोई साक्ष्‍य कनाडाई सरकार के पास मौजूद नहीं है। फिर भी घूम-घूम कर ट्रूडो भारत के खिलाफ दुनिया भर में हवा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। अब तो यह खबर भी आ सामने आ गई है कि राजनीतिक तौर पर सिखों का कनाडा में भरपूर साथ मिले, इसलिए यहां की ट्रूडो सरकार खालिस्‍तानियों का इस्‍तेमाल अपने स्‍वार्थ के लिए कर रही है। हालांकि जब जस्टिन ट्रूडो भारत आए थे, उस जी-20 शिखर सम्‍मेलन के दौरान भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ मुलाकात में जस्टिन ट्रूडो को खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों पर सख्त हिदायत दी गई थी। किंतु उल्‍टा अपने देश पहुंचते ही निजि स्‍वार्थ के चलते ट्रूडो के सुर बदल गए ।प्रश्‍न है, क्‍या यह पहली बार हुआ है? या भारत को लेकर इस तरह का इतिहास उसका पुराना है। सही पूछिए तो जस्टिन ट्रूडो अपने पिता के ही नक्शे कदम पर चलते हुए खालिस्तानी समर्थकों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। कभी कनाडा में खालिस्‍तानियों के भरपूर समर्थन में उनके पिता भी खड़े रहते थे, यह जानते हुए भी कि एक देश की सम्‍प्रभुता को जो चुनौती दें, उन अपराधियों को अपने देश में पनाह देना वास्‍तव में अपराध को ही बढ़ावा देना है, फिर भी अपने निजि स्‍वार्थों के लिए तत्‍कालीन कनाडाई सरकार इन भारत विरोधी खालिस्‍तानियों को लगातार अपने यहां न सिर्फ रखती रही है, बल्‍कि उन्‍हें जरूरी सामान और सेवा तक उपलब्‍ध कराती रही है। लेकिन अब जब पानी सिर से ऊपर निकल गया तो भारत सरकार को भी कनाडा के विरोध में जाकर अपने लिए खड़ा होना पड़ा है ।

दरअसल भारत, अब पहले वाला भारत नहीं रहा है, जिस पर विकसित देश, दबाव बनाते थे, और भारत उनके दबाव को सहन करता हुआ दिखता था।  ये नया भारत है, जो किसी को न डराने में, न दबाने में विश्‍वास करता है और न ही खुद के लिए दबने में इसका किंचित भी भरोसा है।  जब जी-20 के मंच से भारत पृथ्‍वी को एक इकाई मानते हुए विश्‍व कुटुम्‍ब की अपनी धारणा को अभिव्‍यक्‍ति‍देता है, तो वह साथ में यह भी स्‍पष्‍ट करता चलता है कि पृथ्‍वी एक, हम सब एक-दूसरे के परस्‍पर के सहयोगी हैं, किंतु इसमें किसी को भी यह अधिकार नहीं मिलता कि कोई भी किन्‍हीं को दबाएगा, डराएगा और अपनी सत्‍ता स्‍थापित करेगा, तब भी चुप बैठे रहना है। निश्‍चित ही जो गलत करेगा उसे फिर वैसे ही परिणाम भुगतने होंगे।

वास्‍तव में आज का भारत विश्व कूटनीति को ना सिर्फ समझता है, बल्कि वो कूटनीतिक चालों का जवाब, कूटनीतिक चालों से ही देना जानता है। इसीलिए आप देखेंगे कि जो ट्रूडो भारत से बेर लेकर फिर से कनाडा की सत्‍ता में वापिस आने का स्‍वप्‍न देख रहे हैं, उनकी बातों पर कनाडा की जनता ही विश्‍वास नहीं कर रही। जैसे ही उन्‍होंने भारत को खालिस्‍तानियों के हाथों की कठपुतली बन घेरने का प्रयास किया, खुद उनका जनाधार तेजी से अपने ही देश में खिसक गया। इससे जुड़े आंकड़े तो यहां तक कह रहे हैं कि अभी चुनाव हो जाएंगे तो वे बुरी तरह से परास्‍त होंगे। लेकिन इसके बावजूद भी उनके खालिस्‍तानी प्रेम के पीछे के राज को हमें समझना होगा। क्‍योंकि सत्‍ता में बने रहने एवं बहुत अधिक धन के लिए उनके पिता भी कभी सिखों को समर्थन देते रहे हैं तो आज वे अपने पिता के कदमों का अनुसरण कर रहे हैं। यही कारण है कि खालिस्तानी पिछले 45 वर्षों से कनाडा में पनप रहे हैं।

यह ट्रूडो की दोगली राजनीति ही है कि जो वह कह रहे हैं कि भारत, कनाडा के आंतरिक मामलों में दखलंदाजी कर रहा है और दूसरा कि कनाडा के नागरिक की हत्या हुई है, इसलिए वो गुस्से में हैं। लेकिन आश्‍चर्य है कि ट्रूडो जिसे अपना नागरिक बता रहे हैं, उसकी नागरिकता ही संदेह के घेरे में है। कनाडा के अखबार ग्लोबल न्यूज ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की नागरिकता पर संदेह जताया है. उसने लिखा है कि निज्जर की नागरिक की अर्जी तीन बार खारिज की जा चुकी है,  अत: ये साफ नहीं कि निज्जर को कनाडा की नागरिकता कब और कैसे मिली?

आज भारत पर आरोप लगाने वाले जस्टिन ट्रूडो को इस बात के लिए गंभीरता दिखानी चाहिए थी कि बीते पांच वर्षों में भारत ने कनाडा से ऐसे आतंकियों और अपराधियों को सौंपने के लिए कई बार अपील की है जोकि भारत में अपराध करके भागे हैं और  फर्जी तरीके से कनाडा में जाकर रह रहे हैं । करीब दो दर्जन खालिस्तानी आतंकी और अपराधी आज भी कनाडा में मौजूद हैं और खुले आम अपनी आपराधिक गतिविधियां भी चला रहे हैं।  इसमें खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के अलावा सिद्धू मूसेवाला मर्डर का मास्टरमाइंड गोल्डी बराड़, लखबीर सिंह उर्फ लांडा, चरणजीत सिंह, उर्फ रिंकू रंधावा, अर्शदीप सिंह, उर्फ अर्श डल्ला और रमनदीप सिंह उर्फ रमन जज जैसे गैंगस्टर्स को कनाडा ने अपने यहां शरण दे रखी है।   इसके अलावा एनआईए की वॉन्टेड लिस्ट में शामिल गुरविंदर सिंह, सनोवर ढिल्लन, सतवीर सिंह वारिंग जैसे बड़े अपराधी भी कनाडा में छिपे हुए हैं। (एएमएपी)