अब सही लागत का दाम नहीं मिलने से किसान हो रहे परेशान।
पिछले माह और इससे पहले जुलाई-जून में 250 रुपए किलो बिकने वाला टमाटर अब रिटेल (फुटकर) बाजार में 15 रुपए किलो पर आ गया है। इसे लेकर स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि इसने रसोई का पूरा आर्थिक गणित ही बिगाड़कर रख दिया था। केंद्र की मोदी सरकार को ऊंची खुदरा कीमतों से राहत देने के लिए रियायती दर पर इसके बेचे जाने के लिए खुद से आगे आना पड़ गया था।दरअसल, केंद्र सरकार, भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नेफेड) के माध्यम से टमाटर बेच रही थी। तब कहीं जाकर यह 70 रुपये प्रति किलो पर आए थे। फिर भी यह देश भर की स्थिति नहीं थी, बल्कि कुछ ही क्षेत्रों एवं राज्यों में इस कीमत पर टमाटर मिल पा रहे थे, शेष भारत तो 100 रुपए से ऊपर की कीमत ही एक किलो के लिए अदा कर रहा था। लेकिन अब इसके दाम गिरने से किसानों को नुकसान हो रहा है। किसानों के अनुसार थोक में इसके दाम चार से पांच रुपए प्रति किलो पर आ गए है।
इस संबंध में महाराष्ट्र, मप्र, उत्तर प्रदेश एवं पंजाब, हरियाणा के किसानों का कहना है कि लागत भाड़ा और मजदूरी भी नहीं निकल पा रही। इसलिए किसान अब मंडी तक नहीं पहुंचपाने वाले टमाटर को फेंकने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए किसानों ने केंद्र सरकार से राहत की मांग की है । किसान संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार टमाटर का एक्सपोर्ट बढ़ाए।
उन्होंने कहा है कि भारत का टमाटर बांग्लादेश, नेपाल, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, सऊदी अरब और ओमान सहित कई देशों में जाता है। एक्सपोर्ट बढऩे से किसानों को सही दाम मिलने की उम्मीद है। टमाटर की नई फसल आ गई है, जो अच्छी रही है, इससे दाम कम हुए हैं, लेकिन यदि सरकार इसके एक्पोर्ट पर थोड़ा ध्यान दे दे तो सभी किसानों को उनकी लागत कीमत मिल जाएगी, साथ ही कुछ फायदा भी इस बार की टमाटर खेती से हो सकेगा, अन्यथा, जिन्होंने ने भी देशभर में टमाटर लगाया है, वे सभी किसान आर्थिक रूप से बहुत बड़े नुकसान में चले जाएंगे।(एएमएपी)



