ओडिशा में बीजेपी और बीजेडी के बीच गठबंधन होगा या नहीं, इस पर सस्पेंस अभी भी बना हुआ है। एक समय तो लग रहा था कि दोनों पार्टियों के बीच समझौते की शर्तों पर सहमति बन चुकी है और अलायंस की घोषणा होने ही वाली है। लेकिन यह अंदाजा गलत निकला। बाद में सूत्रों के हवाले से खबरें आईं कि गठबंधन की राह में कुछ बाधाएं बनी हुई हैं। ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ ही होने हैं। समय नजदीक आ रहा है और सीट शेयरिंग पर बात अधर में लटकी हुई है।
बीजेडी के सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने 147में से 57 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। वहीं 21 लोकसभा सीटों में से 13 या फिर 14 पर लड़ना चाहती है। अगर ऐसा होता है तो बीजेडी के पास विधानसभा की 90 सीटें बचेंगी और लोकसभा की सिर्फ 6 या 7 सीटें। इसी बात को लेकर गठबंधन नहीं हो पा रहा है। कुल मिलाकर सारी बात ‘बड़ा भाई’ बनने की है।
वर्तमान की बात करें तो ओडिशा में भाजपा के केवल 23 विधायक हैं। वहीं बीजेडी के 112 विधायक हैं। लोकसभा सीटों की बात करें तो बीजेडी के 12 सांसद हैं। भाजपा के पास 8 ही लोकसभा सांसद हैं। इसके बावजूद इस गठबंधन में भाजपा ही बड़ा भाई बनना चाहती है। इसीलिए बीजेडी नेताओं ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। दूसरी तरफ भाजपा की ओडिशा यूनिट भी चाहती है कि वह राज्य में अकेले ही चुनाव लड़े। बीते चुनावों में बढ़ते वोट शेयर को लेकर यूनिट आश्वस्त है।
भाजपा यूनिट का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता की वजह से पिछले 10 सालों में भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा है। भाजपा को उम्मीद है कि वह विधानसभा के चुनाव में 60 के करीब और लोकसभा में 14-15 सीटें जीत सकती है। अब दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन का कुल मामला शीर्ष नेतृत्व के ही हाथों में है। ओडिशा सरकार में नंबर 2 माने जाने वाले वीके पांडियन का कहना है, राज्य में सरकार बनाने के लिए बीजेडी को भाजपा की जरूरत नहीं है। वहीं केंद्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा को बीजेडी की जरूरत नहीं है।
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उन्होंने कहा, हमारी और भाजपा की दोस्ती राजनीति से ऊपर की है। बता दें कि ओडिशा में 13 मई के बात चुनाव होने हैं। ऐसे में भी दोनों पार्टियों के बीच सहमति बनाने के लिए पर्याप्त समय है। इस बारे में अमित शाह ने कहा, अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। हमारी पार्टी इसपर विचार करेगी। यह बात स्पष्ट है कि ओडिशा में भाजपा को बड़ा फायदा होने वाला है। हमारे कार्यकर्ता भी अनुभव करते हैं कि ओडिशा के लोग पीएम मोदी को कितना प्रेम करते हैं। (एएमएपी)