स्मरण:  रामोजी राव (16 नवंबर 1936 – 8 जून 2024)

#santoshtiwariडॉ. संतोष कुमार तिवारी।
जो लोग कभी हैदराबाद गए होंगे और वहां का रामोजीराव फिल्म सिटी देखा होगा, तो उसकी स्मृतियाँ वे जीवन भर भूल नहीं पाएंगे। डेढ़ हजार एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैला हुआ यह दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म सिटी है। 8 जून 2024 को सुबह इस फिल्म सिटी के संस्थापक रामाजोजी राव नहीं रहे। वह 88 वर्ष के थे। उन्हें 5 जून को हैदराबाद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। आज भारत में जितने भी बड़े मीडिया संस्थान हैं, उनमें एकाध को छोड़कर, वे मौजूदा के मालिकों के पूर्वजों द्वारा स्थापित किए गए थे। रामोजी राव का मीडिया संस्थान उन्होंने स्वयं स्थापित किया था और अपने जीवन काल में ही वह देश का ही नहीं दुनिया का जाना-माना संस्थान हो गया है।

सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ झारखंड रांची में कम्युनिकेशन विभाग का प्रमुख होने के नाते मैं अपने विद्यार्थियों को Etv में ट्रेनिंग के लिए भेजता था। बाद में उनमें से कई वहां ही नौकरी भी करने लगते थे। Etv रामोजीराव का था और उनके फिल्म सिटी के अन्दर ही था। उनकी ओर से हमारे विद्यार्थियों को वहां 15 दिन मुफ्त रहने की व्यवस्था की जाती थी और मुफ्त खाना भी दिया जाता था। वह खाना भी बहुत अच्छा शाकाहारी खाना होता था। मैं भी उस फिल्म सिटी में सन् 2011 या 2012 में रुका था। वहां क्या नहीं है- वहां एयरपोर्ट है, रेलवे स्टेशन है, न्यूयार्क की प्रसिद्ध Statue of Liberty है। जरा सी देर में वहां स्कूल तैयार हो जाएगा, अस्पताल बन जाएगा, जरूरत पड़ने पर हनुमानजी खड़े कर दिए जाएंगे। उस फिल्म सिटी में जेल भी है, नदी भी है, झरने भी हैं और चिड़ियाघर भी है। उस फिल्म सिटी में फाइव स्टार, सेवेन स्टार होटल भी हैं और कॉटेजेज हैं डॉर्मिट्रीज़ हैं। लोगों की सुविधा के लिए उस फिल्म सिटी में रामोजी राव की बसें भी चलती हैं। फिल्म बाहुबली समेत अनेक फिल्मों की शूटिंग वहीं हुई। वह फिल्म सिटी हैदराबाद के बाहरी इलाके में है। जब हमारे बच्चे अपनी ट्रेनिंग पूरी करके वहां से वापस रांची जाने लगे, तो उनको उतनी दूर से हैदराबाद-सिकन्दराबाद रेलवे स्टेशन जाने में दिक्कत होती। तो इस कारण मैंने Etv के मैनेजर से अनुरोध किया कि इन बच्चों के लिए किसी ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था कर दें। तो उन्होंने उनके ट्रांसपोर्ट के लिए अपनी एक बस का अरेंजमेंट कर दिया था। यह सब रामोजीराव के कुशल मैनेजमेंट के कारण संभव हो सका।

मेरे विचार से रामोजीराव जैसा विजनरी आज भारत के मीडिया-मालिकों में दूसरा कोई नहीं है।

रामोजी राव ने कई तेलगु फ़िल्में भी बनाईं। उन्हें कई एवार्ड भी मिले। वर्ष 2016 में मोदी सरकार ने उन्हें पदम् भूषण एवार्ड से सम्म्मानित किया था।

रामोजीराव के इनाडु अखबार ने तेलगू पत्रकारिता को नए आयाम दिए। रामोजीराव ने इनाडु स्कूल ऑफ़ जर्नलिज्म भी स्थापित किया था। उसमें एडमिशन मुश्किल से होता था अर्थात कम्पटीशन बहुत था। लेकिन जिसका एडमीशन हो जाता था, उसे 5000 रूपए प्रतिमाह की स्कालरशिप मिलती थी।

रामोजीराव की राजनीति में भी बहुत गहरी दखल थी। वह एन टी रामाराव के इतने निकट लोगों में थे कि उनकी कैबिनेट मीटिंग कभी-कभी रामोजीराव फिल्म सिटी में उनके घर पर होती थीं। एन टी आर के ज़माने में तेलगु देशम पार्टी को आगे बढाने में और उसे सत्ता में लाने में रामोजीराव और उनके अखबार इनाडू का बड़ा हाथ था। बाद में उनकी करीबी चंद्रबाबू नायडू से हो गई थी, जिनकी आंध्र प्रदेश में एक बार फिर सरकार बनने जा रही है।

जब मैं रामोजीराव फिल्म सिटी में रुका हुआ था, तब मैंने उनसे मिलने की इच्छा जाहिर की, पर मेरी इच्छा पूरी न हो सकी, क्योंकि रामोजीराव का बेटा बहुत बीमार था और अगले कुछ दिनों में ही उसका निधन हो गया था।

मीडिया जगत में रामोजीराव भारत रत्न थे। यदि केंद्र की मोदी सरकार उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजे तो अच्छा ही होगा।

(लेखक सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं)