तुर्की और सीरिया भूकंप से दहल गया है। भारत में भी चार जोन ऐसे हैं जहां भूकंप से भारी क्षति संभव है, इसमें दिल्ली- एनसीआर भी शामिल है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) ने देश को चार सिस्मिक जोन में बांटा है। इस अनुसार दिल्ली में यमुना किनारे और बाढ़ वाले क्षेत्रों के साथ पूर्वी दिल्ली के घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भूकंप से सर्वाधिक क्षति संभव है। केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार भूकंप के तेज झटकों के कारण दिल्ली- एनसीआर समेत चार जोन को बड़ी क्षति हो सकती है जिसमें देश के कई हिस्से शामिल हैं।दिल्ली तीन सिस्मिक फॉल्ट लाइन सोहना फॉल्ट लाइन, मथुरा फॉल्ट लइन और दिल्ली मथुरा फॉल्ट लाइन पर टिकी है। वहीं गुरुग्राम सात फॉल्ट लाइन पर टिका है। फॉल्ट लाइन दो चट्ठानों के बीच के अंतर को कहा जाता है। इनमें जब भी बदलाव या अंतर आता है तो भूकंप महूसस होता है। अंतर जितना अधिक होगा भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर उतनी ही तेज होगी।

लुटियन्स क्षेत्र पर भी खतरा

भूकंप से लुटियन्स क्षेत्र पर भी खतरा है जहां बड़े- बड़े राजनेता रहते हैं। इसके अलावा दिल्ली यूनिवर्सिटी का नॉर्थ कैंपस, करोलबाग, जनकपुरी, पश्चिम विहार और रोहिणी, दिल्ली एयरपोर्ट और हौजखास क्षेत्र भूकंप से खतरे की श्रेणी में दसूरे नंबर पर आता है।

दिल्ली में सर्वाधिक भूकंपमापी

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अनुसार जनवरी 2024 तक देशभर में कुल 115 भूकंपमापी लगे हैं। इसमें से सबसे अधिक 16 भूकंपमापी दिल्ली में लगे हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि भूकंप के छोटे झटकों का पता तो लग सकता है लेकिन बड़े झटकों का पता लगाना मुश्किल होगा।

90 फीसदी भवन सुरक्षित नहीं

पृथ्वी मंत्रालय और एमसीडी द्वारा वर्ष 2020 में किए गए सर्वे में पता चला था कि दिल्ली के 90 फीसदी भवन सिस्मिक जोन-4 के खतरों से निपटने के मानक पर खरे नहीं उतरते हैं। ऊंची- ऊंची इमारतों के निर्माण और भारी भीड़ के कारण आपात स्थिति में राहत और बचाव कार्य भी बुरी तरह प्रभावित हो सकता है जो चिंता का विषय है।

सिस्मिक जोन 5: सबसे खतरनाक जोन

यह सबसे खतरनाक जोन है जहां रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता नौ या उससे अधिक हो सकती है। इसमें देश का पूरा पूर्वोत्तर इलाका, जम्मू- कश्मीर का कुछ हिस्सा, हिमाचल प्रदेश का कुछ हिस्सा, उत्तराखंड का कुछ इलाका, गुजरात का कच्छ, उत्तर बिहार और अंडमान निकोबार द्वीप समूह शामिल है।

सिस्मिक जोन 4: आठ हो सकती है तीव्रता

इस जोन में भूकंप की तीव्रता 4 से आठ रिक्टर हो सकती है। इस जोन में दिल्ली- एनसीआर के इलाकों के साथ जम्मू- कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश के कुछ क्षेत्र आते हैं। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल का उत्तरी इलाका और गुजरात का कुछ हिस्सा आता है।

सिस्मिक जोन 3: भूकंप की तीव्रता सात से कम

केरल, गोवा, लक्षद्वीप, उत्तर प्रदेश, गुजरात और पश्चिंग बंगाल के बचे हुए क्षेत्रों के साथ पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक, चेन्नई, मुंबई, भुवनेश्वर, कोलकाता और बेंगलुरु हैं। यहां भूकंप की तीव्रता सात या उससे कम होती है।

सिस्मिक जोन 2: ये जोन बहुत कम खतरनाक

सेस्मिक जोन 2 को बेहद कम खतरनाक माना जाता है। इस जोन में भूकंप की तीव्रता 4.9 तक हो सकती है। थिरुचिरापल्ली, बुलंदशहर, मुरादाबाद, गोरखपुर, चंडीगढ़ आदि सिस्मिक जोन 2 में आते हैं। अनुमान है कि तीव्रता कम होने से नुकसान की संभावना यहां बेहद ही कम है।

भूकंप आने के बाद क्या करें

1.झटका महसूस होने पर घर या दफ्तर से सुरक्षित स्थान पर चले जाएं।
2.ऐसी स्थिति में पानी, गैस, बिजली के स्विच और उपकरणों को बंद करें।
3.ऐसे स्थानों पर खड़े होने या जाने से बचें जहां बिजली के तार लगे हों।
4.बच्चों को संभाले उन्हें भयभीत न होने दें, शोर बिलकुल भी न मचाएं।
5.भूकंप के कारण ज्वलनशील पदार्थ बिखरा हुआ है तो उससे दूर खड़े रहें।

इमरजेंसी किट बनाकर रखें

1.बैटरी से चलने वाला टॉर्च और अतिरिक्त बैटरी रखें।
2.जरूरी दवाओं के साथ खाने पीने की चीज रख सकते हैं।
3.फोन पास में है तो अपनों की खैर खबर जरूर ले लें।
4.वाटरप्रूफ बैग में मोमबत्ती और माचिस जरूर रखें।
5.नकदी और आधार कार्ड के साथ मोबाइल पास रखें। (एएमएपी)