साल 2023 खत्म होने की ओर है। इस साल भारत में कई विवादों ने जन्म लिया। विवादों के हिसाब से यह साल बहुत ही अलग रहा। साल की शुरुआत से लेकर आखिरी तक कई कॉन्ट्रोवर्सीज सामने आईं। आइये जानते हैं इस साल की सबसे बड़े विवाद, जो मीडिया की सुर्खियां बनीं।साल 2023 में मणिपुर में जातीय हिंसा, बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर महिला पहलवानों के आरोप, फिल्म द केरल लव स्टोरी, फिल्म आदिपुरुष विवाद, बीबीसी डॉक्यूमेंट्री बैन, संसद की सुरक्षा में चूक, हरदीप सिंह निज्जर की हत्या, प्रेसिंडेंट ऑफ भारत विवाद, इंडिया गठबंधन, मराठा आरक्षण, जाति आधारित जनगणना और रामचरितमानस को लेकर विवादास्पद बयान जैसे मुद्दे मीडिया में छाए रहे।

महिला पहलवानों के आरोप

साल 2023 की सबसे बड़े विवादों में से एक डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष और भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न मामला भी है। महिला कुश्ती पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। इसके बाद विनोद फोगाट और साक्षी मलिक समेत भारतीय पहलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया था।

मणिपुर हिंसा

भारत के नॉर्थ इस्ट का राज्य मणिपुर हिंसा की आग में महीनों तक जलता रहा। इसे लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार विपक्ष के निशाने पर रही। मणिपुर की जातीय हिंसा में 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। वहीं भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह महिला पहलवानों से छेड़खानी के आरोप में फंसे रहे। महिला रेसलर्स ने उनपर यौन शोषण का आरोप लगाया और दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दिया।

मराठा आरक्षण और कनाडा-भारत विवाद

वहीं महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन ने 30 अक्टूबर को हिंसक रूप ले लिया, जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई। आंदोलनकारियों ने कई जिलों में तोड़फोड़ की। वहीं कनाडा और भारत के बीच रिश्ते बहुत खराब हो गए। इसकी वजह कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट्स का हाथ होने का आरोप लगाया जाना था।

जातिगत जनगणना और इंडिया आलायंस

बिहार के कई विपक्षी दलों का एकजुट होना भी सुर्खियों में रहा। विपक्षी दलों ने बीजेपी को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए इंडिया अलायंस बनाया। वहीं जी 20 की बैठक के निमंत्रण कार्ड पर प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की बजाय प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा जाना भी सुर्खियों में रहा। वहीं विपक्षी दलों द्वारा जातिगत जनगणना की मांग भी सुर्खियों में रही। जाति आधारित जनगणना को लेकर पूरे देश में चर्चा हुई।

केरला स्टोरी

फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ सिनेमाघरों में आने से पहले ही विवादों में घिर गई थी। कई राज्यों में इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाया गया। इस फिल्म के ट्रेलर में कथित तौर पर दिखाया गया था कि केरल से 32000 लड़कियों का धर्म परिवर्तन किया गया। इसके बाद आईएसआईएस भेज दिया गया। विवादों में घिरता देख मेकर्स ने 32000 लड़कियों के दावे को बदलकर 4 लड़कियों की कहानी बताई। धर्म परिवर्तन से जुड़ी इस फिल्म का मुद्दा संसद तक पहुंच गया। हालांकि, विवादों से घिरे रहने के बावजूद फिल्म ‘केरला स्टोरी’ की तरह ही हिट हुई और बॉक्स ऑफिस पर करोड़ों का बिजनेस कर गई।

आदिपुरुष

साल की सबसे बड़ी कॉन्ट्रोवर्सीज में से एक ‘आदि पुरुष’ फिल्म भी रही। यह फिल्म एक-दो नहीं बल्कि कई कारणों से विवादों में घिरी रही। निर्देशक ओम राऊत, लेखक मनोज शुक्ला और सैफ अली खान समेत अन्य कालाकारों पर आरोप लगा कि फिल्म के माध्यम से हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया गया। देश के कई हिंदू संगठन व साधु-संतों ने इस फिल्म पर बैन लगाए जाने की मांग उठाई। देश भर में मचे बवाल के बाद निर्माता ने माफी मांगी। इसके साथ ही फिल्म के कई एडिट्स किए, डायलॉग्स भी बदले गए, इसके बाद भी फिल्म कुछ खास काम नहीं कर पाई।

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रामचरितमानस

सपा नेता और एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को लेकर विवादास्पद बयान दिए थे, जिसपर इस साल खूब बवाल मचा। यह विवाद अभी तक जारी है। दरअसल, सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते। सब बकवास है, जिसे तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। उन्होंने सरकार से रामचरितमानस के आपत्तिजनक अंश हटाने या पूरी पुस्तक को बैन करने की बात कही थी। इसके साथ ही रामचरितमानस की प्रतियां फाड़ने और जलाने के मामले में  सपा नेता मौर्य समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इस विवाद से देश की सियासत में हलचल मच गई थी।

स्टालिन सनातन धर्म

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन के ‘सनातन धर्म’ को खत्म करने के बयान भी विवादों में रहा। दरअसल, दयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ बताया। उन्‍होंने कहा था कि इसे खत्‍म किया जाना चाहिए। उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया, डेंगू और मच्छरों से होने वाले बुखार से की थी। स्‍टालिन ने कहा था कि ऐसी चीजों का विरोध नहीं करना चाहिए, बल्कि नष्ट कर देना चाहिए। उनके इस बयान से सियासी उबाल आ गया था।(एएमएपी)