(19 दिसंबर पर विशेष)


देशभर में प्रतिवर्ष 19 दिसंबर को गोवा मुक्ति दिवस के रूप में मनाया जाता है। आपको बता दें कि भारत की आजादी के बाद भी गोवा पुर्तगालियों के कब्जे में रहा। देश की आजादी के 14 वर्ष बाद भारत के द्वारा चलाये गए ऑपरेशन विजय के द्वारा गोवा को पुर्तगालियों के चंगुल से आजाद करवाया गया। गोवा 19 दिसंबर 1961 को आजाद होकर भारत में शामिल हुआ।

पुर्तगालियों ने 450 वर्षों तक किया शासन

भारत के आजादी के बाद भी कई रियासतें ऐसी थीं जो अभी भी विदेशी ताकतों के हाथों में थीं। इनमें से ही एक राज्य था गोवा जिस पर पुर्तगालियों द्वारा 450 वर्षों तक शासन किया गया था। दरअसल, ब्रिटिश और फ्रांस के सभी कोलोनियल राइट्स के खत्म होने के बाद भी भारतीय उपमहाद्वीप गोवा, दमन और दीव में पुर्तगालियों का शासन था। इसके बाद पुर्तगाली सेना ने बिना किसी शर्त के भारतीय सेना के समक्ष 19 दिसंबर को आत्मसमर्पण किया।

ऐसे शुरू हुई आजादी की लड़ाई

गोवा की आजादी की अलग भारत की आजादी के साथ ही उठती रही। इसकी पहली झलक 18 जून 1946 को राम मनोहर लोहिया द्वारा देखने को मिली जिन्होंने पुर्तगालियों को चुनौती दी। देश की आजादी के बाद तत्कालीन सरकार और प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने गोवा की आजादी के लिए कई बार बातचीत की लेकिन पुर्तगाली किसी भी प्रकार से गोवा को आजाद करने के पक्ष में नहीं थे।

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“ऑपरेशन विजय”

बातचीत से हल न निकलने के बाद भारत सरकार ने गोवा की आजादी के लिए “ऑपरेशन विजय” की घोषणा की और 30000 हजार सैनिकों की टुकड़ी को गोवा की आजादी के लिए भेज दिया गया। इसके बाद पुर्तगाल के 3000 सैनिकों से भारत की ओर से वायु सेना, जल सेना और थल सेना की ओर से आक्रमण किया गया। इस आक्रमण के 36 घंटे के बाद ही पुर्तगालियों ने बिना शर्त के गोवा पर अधिकार छोड़ने का फैसला किया। इसके बाद गोवा भारत में शामिल होकर केंद्र शासित प्रदेश बना। 30 मई 1987 को गोवा को भारत के पूर्ण राज्य का दर्जा प्रदान कर दिया गया और तब से लेकर अभी तक 30 मई को गोवा का स्थापना दिवस मनाया जाता है।(एएमएपी)