देश के नक्शे में खंडवा ढूंढ़ने में भले ही आपको वक्त लगे लेकिन किशोर कुमार से जुड़ी कोई भी बात याद करेंगे तो वहां खंडवा पूरी शिद्धत से आपको नजर आ जाएगा. मरहूम गायक-अभिनेता किशोर कुमार की आज पुण्यतिथि है. खंडवा उनका अपना शहर था. जन्म स्थली ऐसी जो ताउम्र उनके दिल-दिमाग पर छायी रही. वो हर सांस में और हर बात में खंडवा को याद करते थे. उनकी समाधि भी खंडवा में ही है. उनकी याद में आज समाधि स्थल पर उनके चाहने वालों का मेला लगा और दूध-जलेबी का प्रसाद चढ़ाया गया।
‘मेरे सामने वाली खिड़की में’, ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’ जैसे सदाबहार गीत आज भी खूब सुने जाते हैं। सत्तर और अस्सी के दशक में किशोर कुमार सबसे महंगे गायक थे। उन्होंने उस वक्त के सभी बड़े सितारों के लिए अपनी आवाज दी। किशोर दा को इंडस्ट्री में दिग्गज एक्टर अशोक कुमार के भाई होने के बावजूद भी अपनी जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी।
किशोर अत्यंत मासूम और भोले थे। खंडवा और निमाड़ की दोष रहित धूल से सनी, कस्बाई धवल संस्कृति से भरी उनकी परवरिश ने उन्हें अंदर से भी शुद्ध रखा हुआ था। धोखा देना, फरेब करना, मतलबी होना, उन्हें बिल्कुल नहीं सुहाता था। जो अंदर के असली किशोर को समझता और उससे मिलना चाहता, बस उसी से मिलते थे। वह ईर्ष्या और स्वार्थ की दुनिया से दूर रहते। अपने आप में, घर पर संगीत और हॉरर फिल्मों के शौक में मस्त रहते या फिर अपने प्रिय पेड़ों, जिनके नाम उन्होंने गोवर्धन, झटपट झटापट, जनार्दन, रघुनंदन, गंगाधर आदि रखे थे, उनसे बात करते।
किशोर कुमार को अपनी जन्मस्थली और शहर खंडवा से काफी लगाव था. बॉलीवुड हो हॉलीवुड हो या टॉलीवुड…किशोर कुमार की पहचान ही किशोर कुमार खंडवा वाले के रूप में होती थी. वो जब भी देश-विदेश जाते थे तो अपना परिचय किशोर कुमार खंडवा वाले के रूप में ही देते थे. आज उसी खंडवा वाले किशोर कुमार की 35 वीं पुण्यतिथि है. देश के अलग अलग हिस्से से लोग उनकी समाधि पर आकर उन्हें सुरों के माध्यम से श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

दूध-जलेबी खाएंगे खंडवे में बस जाएंगे

किशोर कुमार को अपने पैतृक शहर खंडवा से जीवन भर लगाव रहा. फिर चाहें वो फिल्म हो या देश-विदेशो में किया जाने वाला कोई स्टेज शो. अपने कार्यक्रम की शुरुआत में परिचय देने में खंडवा का नाम वो लेना नही भूलते थे. अंदाज कुछ इस तरह का था. जिसके खंडवा वासी आज भी मुरीद हैं. इतना ही नही बॉलीवुड में रहकर किशोर कुमार को खंडवा की लालाजी की जलेबी भी हमेशा याद आती रही. बचपन में जिस लालाजी की जलेबी वो खाते थे वो दुकान खंडवा में आज भी वैसी ही बरकरार है. मुंबई में भी हमेशा वो लाला की जलेबी की चर्चा किया करते थे. इसके लिए किशोर कुमार ने एक जुमला भी निकाला था. “दूध-जलेबी खाएंगे खंडवे में बस जाएंगे”. यही कारण है कि उनकी समाधि पर उनकी पसंदीदा दूध जलेबी का भोग हर साल लगाया जाता है।

अधूरा रह गया सपना

किशोर कुमार की समाधि पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे खंडवा महापौर एवं खंडवा विधायक सहित तमाम जनप्रतिनिधियों ने किशोर कुमार के प्रिय नगमे गुनगुना कर उन्हें गीतों के माध्यम से श्रद्धांजलि दी. खंडवा महापौर अमृता यादव ने तेरे मेरे मिलन की ये रैना गाकर करके उन्हें अद्भुत श्रद्धांजलि दी. 90 के दशक में बॉलीवुड से किशोर कुमार का अचानक मोहभंग हो गया था. मायानगरी से दूर हो किशोर कुमार खंडवा में ही बसना चाहते थे. उस साल अपनी पत्नी और जॉनी वाकर के साथ एक प्रोग्राम भी उन्होंने खंडवा के तपाड़िया गार्डन में दिया था. साल 1987 की दीपावली इसी घर में मनाकर नई शुरुआत करने की तैयारी थी. लेकिन उनका यह सपना..सपना बनकर ही रह गया और 13 अक्टूबर 1987 को वे हम सबको छोड़कर चले गए।

खंडवा में सदा के लिए बस गए किशोर दा

किशोर कुमार की आखिरी इच्छा के अनुरूप उनके पार्थिव शरीर को मुम्बई से खंडवा लाया गया और सभी के लिये इसे दर्शनार्थ रखा गया. उसके बाद खंडवा के गौरीकुंज के उनके बंगले से उनकी अंतिम यात्रा निकाली गयी. यहीं उनका अंतिम संस्कार किया गया. उनके समाधिस्थल पर रोज लोग आते हैं और श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं. आज भले ही किशोर कुमार हमारे बीच नही हैं लेकिन अपने गीतों और अदाकारी के जरिए हमेशा जिंदा रहेंगे।
हरफनमौला किशोर दा के पांच कमसुने किस्से…1. किशोर कुमार अपने अजीबो-गरीब व्यवहार के लिए जाने जाते थे. उनके साथ काम करने का मतलब नाकों चने चबाने जैसा था. यही वजह है कि लोग उनके साथ काम करने से बचते थे. लेकिन उनकी डिमांड इतनी ज्यादा थी कि उनके बिना काम भी नहीं चलता था. एक बार की बात है कि एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में जाने-माने निर्देशक ऋषिकेश मुखर्जी किशोर कुमार से मिलने उनके घर गए, लेकिन उनके वाचमैन ने उन्हें बेइज्जत करके भगा दिया. ऐसा किशोर दा के कहने पर ही हुआ. दरअसल, किशोर कुमार ने एक बंगाली ऑर्गनाइजर के लिए शो किया था. उसने उनको पूरे पैसे नहीं दिए थे. गुस्से में आकर किशोर दा ने अपने गेट कीपर से कहा कि कोई भी बंगाली बाबू घर पर आए तो उसे भगा देना. ऋषिकेश मुखर्जी भी बंगाली थे. गेटकीपर ने उन्हें वही स्टेज शो का ऑर्गनाइजर समझकर भगा दिया था।

2. किशोर कुमार पैसों के लेकर बहुत ज्यादा सतर्क रहा करते थे. पैसा उनके लिए सबकुछ था. वो गाने के लिए बहुत पैसा लेते थे. अपने जमाने के सबसे महंगे गायक थे. उनका गला खराब भी रहे तो भी यदि किसी ने गाने के लिए पैसा दे दिया, तो वो ठीक हो जाता था. वो उसी गले के साथ बेहतरीन गाना गा देते थे. एक बार उन्होंने अपने एक दोस्त से कहा था कि देखो जब हम मरने वाले होंगे तब सारा पैसा अपनी छाती पर बांध लेंगे तब मरेंगे. कहा जाता है कि उनके पास जब भी कोई प्रोड्यूसर आता तो सबसे पहले ये जानते थे कि साथी गायक कितना पैसा ले रहे हैं. जैसे कि पूछते थे कि लता कितना ले रही है. यदि प्रोड्यूसर ने बोल दिया कि वो 80 हजार रुपए ले रही हैं, तो वो तुरंत कहते कि ठीक है, फिर मुझे 90 हजार रुपए दे देना. उनकी डिमांड इतनी ज्यादा रहती थी कि प्रोड्यूसर को मुंहमांगी रकम देनी ही पड़ती थी।

3. किशोर कुमार के बारे में कहा जाता है कि वो पूरे पैसे लिए बिना अपना काम पूरा नहीं करते थे. एक बार की बात है किशोर दा किसी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. प्रोड्यूसर ने उन्हें आधे पैसे दिए और आधे देने में आनकानी करने लगा. इस नाराज होकर एक दिन वो आधे मेक-अप करके ही शूटिंग सेट पर आ गए. उनको देखकर जब डायरेक्टर ने उनसे पूरा मेक-अप करने के लिए कहा तो उन्होंने कहा, ”आधा पैसा, आधा काम. पूरा पैसा, पूरा काम.” इसी तरह बॉलीवुड के मशहूर निर्माता आरसी तलवार ने एक बार किशोर कुमार के पैसे रोक लिए थे. इसके बाद किशोर कुमार अपना पैसा निकलवाने के लिए हर सुबह तलवार के घर पहुंच जाते. वहां जाकर चिल्लाते थे, ”हे तलवार, दे दे मेरे आठ हजार.” उनकी पत्नी लीना चंदावरकर ने बताया था कि वो एकदम बच्चों जैसे थे. छोटी-छोटी बातों से भी खुश हो जाते थे, लेकिन नाराज भी जल्दी होते थे।

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4. लोग अक्सर घरों में कुत्ते से सावधान का बोर्ड लगाते हैं, लेकिन किशोर कुमार ने अपने घर के बाहर ‘किशोर कुमार से सावधान’ का बोर्ड लगवा कर रखा था. एक बार प्रोड्यूसर-डायरेक्टर एचएस रवैल उन्हें पैसे चुकाने घर गए. पैसे देने के बाद जब वह किशोर कुमार से हाथ मिलाने लगे तो उन्होंने रवैल का हाथ मुंह में डाला और काटने लगे, यह देखकर रवैल सकपका गए तो किशोर बोले- क्या आपने साइनबोर्ड नहीं देखा? उनकी अजीबो-गरीब हरकते देखकर पहले लोग सकपकाते, लेकिन बाद में आनंद भी खूब लेते थे. वो अपना काम मजे में किया करते थे. कभी सेट पर उनको गंभीर नहीं देखा गया. उनकी मनमानी हरकतों से तंग आकर एक बार एक डायरेक्टर ने कोर्ट की मदद मांगी थी. उसने बाकायदा कोर्ट से एक एग्रीमेंट लिया, ताकि अगर शूटिंग के दौरान किशोर उनकी बात न मानें तो वह उनपर केस कर सके।

5. किशोर कुमार के बेटे अमित कुमार ने अपने पिता के किस्से शेयर किए थे. उन्होंने बताया कि एक बार जब उनकी फिल्म की शूटिंग खत्म हुई और यूनिट के लोग उनसे पैसे मांगने आए तो किशोर बोले ये इतना ज्यादा कैसे हो गया, इतना तो नहीं होना चाहिए. ये डायरेक्टर अपने आप को क्या समझता है. मैं प्रोड्यूसर हूं चलो भगाओ इस डायरेक्टर को इतना ज्यादा खर्चा कर रहा है, कौन है डायरेक्टर?’ इस पर सबने कहा- आप ही तो हैं. इतना सुनते ही वो शरमा गए और तेज ठहाकों के साथ हंसने लगे. अमित कुमार ने बताया कि किशोर दा को बाजार जाकर छोटी छोटी चीजें और तरह तरह के आइटम खरीदने का बहुत शौक था. एक बार वो ऐसे ही बाजार गए, जहां अचानक मसूर की दाल देखकर उन्होंने तुरंत मसूरी घूमने का प्लान बना लिया. इस घटना से ही समझा जा सकता है कि किशोर दा कितने मनमौजी स्वभाव के थे। (एएमएपी)