मुंह पर भोलापन और आंखों में मक्कारी लाइए फिर…

ओशो।
एक से एक योगासन दुनिया में प्रचलित हैं! अभी नये-नये योगासन निकले हैं। एक का नाम है- चमचासन!

विधि

सबसे पहले सीधे खड़े हो जाइए। मुंह पर भोलापन और आंखों में मक्कारी लाइए। फिर क्रमशः भोलापन को दीनता में बदलिए और मक्कारी को चाटुकारिता में परिवर्तित कीजिए। अब टांगों को सीधा रख कर धीरे-धीरे झुकते हुए नासिका को जमीन पर पहले से रखे हुए जूतों पर रगड़िए। और गहरी-गहरी श्र्वास लीजिए। कुहनियों को पेट से सटा कर दोनों हाथ जोड़ कर प्रणाम की मुद्रा बनाइए। जब तक जूते हटा न लिए जाएं तब तक सीधे खड़े मत होइए। प्रारंभ में इस आसन में कठिनाई होती है और स्वाभिमान आड़े आता है, किंतु एक सप्ताह के निरंतर अभ्यास से स्वाभिमान का सत्यानाश हो जाएगा और साधक एक सुयोग्य चमचा बन कर आशातीत लाभ उठाएगा।

चमचासन के लाभ

नहीं नौकरी मिल रही बैठे हो बेकार। चमचासन की कृपा से, हो जाए उद्धार।।
हो जाए उद्धार, उदासी दूर भगाओ। बिना परिश्रम इनक्रीमेंट प्रमोशन पाओ।।
फटी हुई तकदीर तुम्हारी सिल सकती है। चमचासन से मुफ्त नौकरी मिल सकती है।।

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क्लर्कासन

पुराने आसन तो थे ही थे, नये और जुड़ते जा रहे हैं! दूसरा एक नया आसन अभी मैंने सुना है- क्लर्कासन! यह आसन कुर्सी पर और मेज की सहायता से होता है।

विधि

सर्वप्रथम कुर्सी पर तन कर बैठ जाइए, बिलकुल सीधे बैठ जाइए। और मस्तिष्क में फाइलों की कल्पना करिए। दाहिनी काल्पनिक फाइलों को बाएं हाथ में उठा कर बाईं ओर रखने जैसी क्रिया कीजिए। पुनः दाहिने हाथ से बाईं फाइल को झटके के साथ दाहिनी ओर फेंकने का उपक्रम कीजिए। अब एक काल्पनिक सिगरेट को दो अंगुलियों के बीच दबा कर श्र्वास अंदर खींच कर कुंभक कीजिए। अर्थात धुएं को भीतर रोकिए, फिर उसी धुआं मिश्रित श्र्वास का नासिका-रंध्रों द्वारा रेचन कीजिए। संपूर्ण क्रिया को पांच बार दोहराइए। अंतिम बार रेचक क्रिया करते समय मुंह को गोल बना कर जैसे अंग्रेजी का ओ बोलते समय बनाया जाता है, झटके से श्र्वास छोड़िए ताकि वायुमंडल में धुएं के वर्तुलाकार छल्ले तैरने लगें। अब दोनों हाथों को कुर्सी के हत्थों पर टिका कर दोनों पैरों को सिकोड़ कर उठाइए और आहिस्ता-आहिस्ता मेज पर लंबे कर आराम फरमाइए। आप चाहें तो खर्राटे भी भर सकते हैं।

क्लर्कासन के लाभ

घर से दफ्तर को चलो, कर नाश्ता भरपेट। उलटो-पलटो फाइलें, सुलगाओ सिगरेट।।
सुलगाओ सिगरेट, इत्र का फाहा सूंघो। पांव मेज पर फैला कर, जी भर कर ऊंघो।।
घर बच्चों के कारण, रह गया रेस्ट अधूरा। दफ्तर में हो जाए, नींद का कोटा पूरा।।
आवश्यक कुछ काम, कागजी छोड़ो ऐसे। ओवरटाइम बने, प्राप्त हों दुगुने पैसे।।

न तो पुराने, न नये- किसी आसन, किसी क्रिया, किसी धार्मिक विधि में मत उलझ जाना। तुम आतुर दिखते हो उलझने को।