दिग्विजय सिंह और मणिकराव ठाकरे भी रहे विफल।
चुनाव के से पहले कांग्रेस के लिए मुश्किलें
2024 लोकसभा चुनाव और उससे पहले 2023 में तेलंगाना में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में गुटबाजी कांग्रेस के लिए चिंताएं बढ़ा सकती है। एक ओर जहां सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के साथ मिलकर रफ्तार बढ़ा रही है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में कांग्रेस से मुख्य विपक्षी दल का दर्जा भी छीन लिया है।
रेड्डी के अलावा ठाकरे ने मल्लू भाटी विक्रमार्क, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एन उत्तम कुमार रेड्डी, रेणुका चौधरी, वी हनुमंत राव, मोहम्मद अली शब्बीर और अंजन कुमार यादव समेत कई नेताओं से भी मुलाकात की है। खबर है कि इनमें से कुछ नेताओं ने 10 दिसंबर को तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) में हुए बदवाव पर सवाल उठाए हैं।

वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि कई पदों पर रेड्डी के ऐसे समर्थकों को मौका दिया गया, जो दूसरी पार्टियों से आए हैं। जबकि, दशकों से कांग्रेस के लिए काम करने वालों को नजरअंदाज कर दिया गया। इन आरोपों को देखते हुए रेड्डी के करीबी माने जाने वाले 12 पीसीसी सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी (AICC) ने इस्तीफा मंजूर नहीं किया है।
टीपीसीसी में हो सकते हैं बदलाव
कहा जा रहा है कि दोनों गुटों की बातें सुनने के बाद ठाकरे टीपीसीसी राजनीतिक मामलों की समिति में बदलाव की मांग कर सकते हैं। साथ ही वह नाराज चल रहे कुछ नेताओं को भी इसमें शामिल करने की बात कर सकते हैं। उन्होंने नेताओं से एकजुट रहने की अपील की है।
पदयात्रा होगी अहम
नेताओं के साथ बैठकों में ठाकरे ने विधानसभा चुनाव की रणनीति को लेकर भी चर्चा की है। उन्होंने कांग्रेस के लिए नेताओं से एकजुट रहने और रेड्डी की पदयात्रा को समर्थन देने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि पदयात्रा को मिली प्रतिक्रिया राज्य में कांग्रेस की स्थिति के संकेत दे सकती है। (एएमएपी)



