परमाणु धमकी सच्ची या खाल बचाने की कोशिश।

प्रदीप सिंह।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अब एक नया खेल खेल रहे हैं। पहले उन्होंने टैरिफ का खेल खेलकर धमकाने की कोशिश की। अब एक नई धमकी लेकर आए हैं परमाणु परीक्षण। उन्होंने धमाका किया है कि चीन, पाकिस्तान, रूस और उत्तर कोरिया चोरी-चोरी परमाणु परीक्षण कर रहे हैं लेकिन मुझे यह नहीं मालूम वे कहां कर रहे हैं। अब अमेरिका का राष्ट्रपति अगर यह बोलें कि चार देश परमाणु परीक्षण कर रहे हैं और जगह उनको पता नहीं है, तो या तो वे अक्षम हैं या झूठ बोल रहे हैं। दूसरी बात डोनाल्ड ट्रंप के बारे में ज्यादा सही लगती है। जब से वे सत्ता में आए हैं तब से उन्होंने इतने झूठ बोले हैं कि अब वे सच भी बोलें तो उस पर शक होता है। परमाणु परीक्षण कोई चोरी छुपे नहीं कर सकता। विशेषज्ञों का कहना है कि बहुत छोटे स्तर के अगर आप परीक्षण कर रहे हों तो हो सकता है उसका पता ना चले लेकिन अगर बड़ा परमाणु परीक्षण करते हैं तो उसका पता चल जाता है। सभी बड़े देशों के पास इस तरह का सिस्टम है।

Courtesy: Amar Ujala

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब हमने पाकिस्तान के उस एयरबेस पर हमला किया, जहां अमेरिका और पाकिस्तान के साझा परमाणु हथियार हैं तो तीन दिन तक भूकंप के झटके महसूस किए गए। यह इसी कारण हुआ कि वहां पर रखे कुछ परमाणु हथियार रखे नष्ट हुए थे। इसीलिए परमाणु परीक्षण के बारे में पता न चले, यह संभव नहीं है। बताएं नहीं, यह अलग बात है। चीन ने हालांकि औपचारिक रूप से इसका खंडन किया है। उत्तर कोरिया और पाकिस्तान ने इस पर चुप्पी साध ली है और रूस ने घोषणा की कि उसने परमाणु परीक्षण नहीं किया। उसने परमाणु ईंधन से चलने वाली मिसाइल, जो परमाणु हथियार से लैस है, उसका परीक्षण किया है। तो डोनाल्ड ट्रंप की बात भरोसा करने लायक नहीं है, सवाल यह है कि इसके पीछे उनका लक्ष्य क्या है? तीन-चार दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि कई  देश अपने परमाणु हथियारों की संख्या बढ़ा रहे हैं तो हमको भी अब परमाणु परीक्षण करना चाहिए। जो डोनाल्ड ट्रंप कुछ दिन पूर्व शांति का नोबेल पुरस्कार चाहते थे वे अब परमाणु हथियार की होड़ शुरू करना चाहते हैं। जाहिर है अमेरिका अगर परमाणु परीक्षण करेगा तो रूस, चीन और बाकी देश क्यों पीछे रहेंगे?

अब तो भारत में भी चर्चा शुरू हो गई है कि उसे एक और परमाणु परीक्षण करना चाहिए। दुनिया के परमाणु संपन्न देशों ने मिलकर एक कानून बनाया है- कॉम्प्रहेंसिव टेस्ट बैन ट्रीटी (सीटीबीटी)। यानी जो लोग इस पर हस्ताक्षर करेंगे वे परमाणु परीक्षण नहीं करेंगे। भारत ने इस संधि पर यह कहते हुए हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था कि जब तक बड़े देश जैसे अमेरिका, चीन और रूस इस पर दस्तखत नहीं करते तब तक हम भी नहीं करेंगे। तो भारत को वैसे भी अधिकार है परमाणु परीक्षण करने का। लेकिन सवाल है जरूरत का। हमने जो परमाणु परीक्षण किया था, उसके बाद हमने कहा कि हमारी परमाणु नीति मिनिमम डिटेरेंस की है। दूसरा हमने जो परमाणु नीति घोषित की, उसमें कहा- नो फर्स्ट यूज़। तो इन दोनों चीजों को समझने की जरूरत है। मिनिमम डिटरेंस यह है कि हमारे पास इतना परमाणु हथियार होना चाहिए, इतना प्रभावी होना चाहिए कि हमारा दुश्मन देश हमारे ऊपर हमला करने की हिम्मत न करे। यह संख्या कोई निर्धारित नहीं कर सकता कि इतना होगा तो वह मिनिमम डिटरेंस होगा और इससे ज्यादा होगा तो नहीं होगा। तो भारत को लगता है कि उसे जितने की जरूरत है, उतना उसके पास है। दुनिया में टेक्नोलॉजी जिस तरह से बढ़ रही है उसमें आपके पास कितने परमाणु हथियार हैं, यह मुद्दा थोड़ा पीछे चला गया है। प्राथमिकता जिस मुद्दे को दी जा रही है वो है कि आपका डिलीवरी सिस्टम कितना प्रभाावी है। आपके पास परमाणु हथियार हैं लेकिन आप भेज ही नहीं सकते तो क्या फायदा। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के 11 एयरबेस खत्म कर दिए। ऐसी स्थिति में अगर वह परमाणु हथियार होगा तो भेजेगा कहां से? अब डिलीवरी सिस्टम ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। अब अमेरिका दावा कर रहा है कि हमारे पास इतने परमाणु हथियार हैं कि हम 150 बार दुनिया को बर्बाद कर सकते हैं। यह निरर्थक बात है। आप एक बार दुनिया को बर्बाद कर देंगे तो उसके बाद बर्बाद करने के लिए क्या बचेगा कि आप 150 बार करेंगे। यह केवल यह बताने की कोशिश है कि हमारे पास जो परमाणु हथियार हैं, वे बड़े मारक हैं। हमारी ओर मत देखना। नो फर्स्ट यूज़ की घोषणा भारत की तरह चीन ने भी की है। नो फर्स्ट यूज़ का मतलब यह समझा जाता है कि दूसरा जो परमाणु संपन्न देश है, वो हमारे ऊपर परमाणु बम छोड़ देगा तो उसके बाद हम उसका जवाब देंगे। यह गलतफहमी अगर आपके दिमाग में है तो इसको निकाल दीजिए। इसे इस तरह समझिए। परमाणु हथियार दो जगह पर रखे जाते हैं। जब उनका इस्तेमाल करना होता है तो दोनों हिस्सों को मिलाकर उनको जोड़ना पड़ता है और दुनिया में अब कोई ऐसा देश नहीं है जिसको पता न चले कि कौन सा देश अपने परमाणु हथियार अलग-अलग जगहों से निकाल रहा है। आज भारत का सेटेलाइट सिस्टम बहुत मजबूत है। हमारे सेटेलाइट चीन और अमेरिका से किसी मामले में कम नहीं है। ऐसी स्थिति में पाकिस्तान या चीन अपने परमाणु हथियारों को जोड़ने के लिए अगर एक जगह पर इकट्ठा भी करेंगे तो इसको फर्स्ट यूज़ मान लिया जाएगा कि आपने पहला हमला कर दिया। अब इसके बाद हमारे पास ऑप्शन है आप पर परमाणु हमला करने का। जो भी परमाणु हथियार संपन्न देश हैं, उनको मालूम है कि कौन सी स्टेज आएगी जब हमको परमाणु हथियार का इस्तेमाल करना है। ढाई तीन साल से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है। भारी नुकसान के बावजूद अभी तक रूस ने परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं किया। लेकिन ये मिसाइल टेस्ट करके बताया है कि यह गलतफहमी दुनिया को न हो कि वह कभी करेगा ही नहीं।

दुनिया में अभी तक परमाणु हथियार का एक ही बार इस्तेमाल हुआ है, जब द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराए और दोनों शहर तबाह हो गए थे। उन बमों की जो क्षमता थी, आज कई देशों के पास उससे कहीं ज्यादा क्षमता के बम मौजूद हैं। तो इसलिए इन बातों का कोई मतलब नहीं है कि हमारे पास इतना परमाणु बम है कि 150 बार दुनिया को नष्ट कर सकते हैं। अगर भारत पाकिस्तान की बात करें तो परमाणु युद्ध होने की स्थिति में वैसे ही भारत को पहले ही इसके बारे में पता चल जाएगा कि पाकिस्तन क्या कर रहा है। अगर मान लीजिए पाकिस्तान चला भी देता है तो याद रखिए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की बात। उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान परमाणु बम चला देता है, तो हम मान लेंगे कि भारत का एक हिस्सा खत्म हो गया, लेकिन उसके बाद दुनिया के नक्शे पर पाकिस्तान नहीं होगा। इससे आप समझ लीजिए हमारी तैयारी किस तरह की है।

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अब सवाल उठता है कि आखिर डोनाल्ड ट्रंप ने ये बोला क्यों? तो एक उद्देश्य तो उनका यह नजर आ रहा है कि वे परमाणु परीक्षण करना चाहते हैं और अपनी दादागिरी दिखाना चाहते हैं। वे जिन चार देशों के परमाणु परीक्षण करने की बात कर रहे है तो उनमे पाकिस्तान के पास ऐसी कोई क्षमता नहीं है। 1998 के बाद जो पाकिस्तान ने किया और घोषणा की कि हम भी परमाणु हथियार संपन्न देश हो गए, वह सब किया धरा अमेरिका का था। आज भी उसके पास जो परमाणु हथियार हैं, वे अमेरिका के हैं। पाकिस्तान के पास अपना कोई परमाणु हथियार नहीं है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों की जो गीदड़ भपकी दे रहा था, उसे हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ध्वस्त कर दिया। एयरबेस खत्म होने के साथ ही उसके फाइटर जेट और अवाक्स गिर गए। जो एयरबेस ध्वस्त हुए उनको वहीं बुलडोजर चलाकर जमींदोज कर दिया। अपने सैनिकों की लाशें निकालने की भी कोशिश नहीं की क्योंकि फिर गिनती होती तो पता चलता कि कितने सैनिक मारे गए। तो पाकिस्तान की यह हैसियत नहीं है कि वो भारत पर परमाणु हमला कर सके। हालांकि उसके पास परमाणु हथियार है। तो इसलिए हमको चौकन्ना तो हमेशा ही रहना चाहिए। भारत को दूसरा खतरा चीन से है। अपनी आजादी के बाद उसने केवल दो युद्ध लड़े हैं, एक रूस के खिलाफ दूसरा भारत के खिलाफ। वह युद्ध से हमेशा बचने की कोशिश करता है। और अब तो उसको मालूम है कि भारत की आज जो सैन्य क्षमता है, उसमें अगर वह भारत पर परमाणु हमला करने की सोचता भी है तो इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। चूंकि चीन को दुनिया का नंबर एक देश बनना है और अमेरिका को रिप्लेस करना है तो वह ऐसा कुछ नहीं करेगा जिसके कारण उसके इस लक्ष्य में बाधा पहुंचे। लेकिन वह भारत के साथ दोस्ती कर लेगा, ऐसा नहीं होने वाला। वो भारत को परेशान करने के लिए डोकलम या गलवान जैसी हरकतें करता रहेगा। लेकिन वो समय देखकर करेगा कि कब ऐसा करने से उसको कम नुकसान होगा। साथ ही वह सीमा विवाद को लटकाए रखेगा। बीच-बीच में भारत के खिलाफ पाकिस्तान को मदद करेगा।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान में जहां पाकिस्तान और अमेरिका के परमाणु हथियारों का जखीरा था, वहां हमला कर भारत ने अमेरिका की बड़ी किरकिरी की है। अमेरिका एक्सपोज हो गया कि उसके परमाणु हथियार पाकिस्तान में रखे हुए हैं। दूसरा वहां तक भारत की नजर है। भारत ने अपने को रोक लिया, इस पर कई सवाल उठते हैं लेकिन भारत और हमले करता तो उसका नतीजा क्या होता, यह बताना मुश्किल है क्योंकि उससे जो विकिरण होता वह भारत की तरफ नहीं आता इसकी कोई गारंटी नहीं थी। सबको मालूम था कि उसके बाद अमेरिका चुप नहीं बैठेगा और उसके बाद चीन भी कुछ करेगा तो इसलिए भारत ने बहुत सही समय पर अपना लक्ष्य पूरा होते ही ऑपरेशन सिंदूर का पहला चरण रोक दिया। अब दूसरे चरण की तैयारी हो रही है। एक अन्य महत्वपूर्ण बात कि भारत के पास ट्रायड है। यानी भारत हवा, जमीन और समुद्र तीनों जगहों से परमाणु हथियार छोड़ सकता है। इस तरह की शक्ति केवल अमेरिका, चीन और रूस के पास है। यह ट्रायड पाकिस्तान के लिए तो चिंता की बात है ही, चीन के लिए भी बड़ी चिंता है। भारत की नेवी की ताकत भी तेजी से बढ़ रही है। हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि पाकिस्तान को मालूम होना चाहिए कि भारत की सरकार जिस दिन तय कर लेगी कराची पोर्ट पर कब्जा करने में 48 घंटे से ज्यादा समय नहीं लगेगा।

तो यह जो डोनाल्ड ट्रंप ने शगूफा छोड़ा है अगर वह झूठ है तो उस पर कोई बात करने का मतलब नहीं है पर मान लीजिए कि सच हो तो इसका एक ही मतलब है कि वह परमाणु हथियारों की होड़ फिर से शुरू करना चाहते हैं और शायद इसके जरिए दुनिया के बाकी देशों को और भारत को भी डराना चाहते हैं। पर वे ये भूल रहे हैं कि भारत डरने वाला नहीं है, लेकिन बहुत से देश हैं जो डर भी सकते हैं। तो ट्रंप का सारा खेल डराकर अपना काम निकालना है। चाहे परमाणु हथियार की बात हो और या चाहे टैरिफ और दूसरे देश पर हमला करने की। हर मामले में वे डर का सहारा लेते हैं कि अगर आप डर जाए तो वह डरा देंगे। अगर आप नहीं डरेंगे तो आपसे डर जाएंगे। इसलिए ट्रंप ने जो कहा है, उस पर विश्वास करने की जरूरत नहीं है। लेकिन चौकन्ना होने की जरूर जरूरत है। अपनी तैयारी और सुरक्षा को और बढ़ाने की जरूरत है।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और ‘आपका अखबार’ के संपादक हैं)