अब तक भूकंप से 6200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी।

तुर्की के लिए सोमवार का दिन आफत लेकर आया। तड़के 4.17 मिनट पर भूकंप के पहले झटके ने कई जिंदगियां छीन लीं। इसके बाद लगातार आते रहे भूकंप के झटकों और आफ्टरशॉक ने कई बड़े शहरों को मलबे में तब्दील कर दिया। इस बीच एक्सपर्ट्स ने बताया कि यह भूकंप इतना ताकतवर था कि इससे तुर्की 10 फीट तक खिसक गया है।इटली के भूकंप विज्ञानी डॉ कार्लो डोग्लियोनी ने बताया कि सीरिया की तुलना में तुर्की की टेक्टोनिक प्लेट्स पांच से छह मीटर तक खिसक सकती हैं। दरअसल तुर्की कई प्रमुख फॉल्टलाइन पर स्थित है, जो एनाटोलियन प्लेट, अरेबियन प्लेट और यूरेशियाई प्लेट से जुड़ा हुआ है, जिस वजह से यहां भूकंप आने का जोखिम अधिक रहता है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि एनाटोलियन प्लेट और अरैबियन प्लेट के बीच की 225 किलोमीटर की फॉल्टलाइन टूट गई है।

उन्होंने कहा कि हालांकि, अभी सिर्फ शुरुआती डेटा के आधार पर ऐसा कहा जा रहा है। अगले कुछ दिनों में सैटेलाइट्स से अधिक सटीक जानकारी मिल पाएगी। डरहम यूनिवर्सिटी के स्ट्रक्चरल जियोलॉजी के प्रोफेसर डॉ। बॉब होल्डवर्थ ने कहा कि भूकंप की तीव्रता को देखते हुए टेक्टोनिक प्लेट का शिफ्ट होना तर्कसंगत है। दरअसल भूकंप की तीव्रता और टेक्टोनिक प्लेट्स के खिसकने के बीच सीधा-सीधा संबंध है। इसमें कुछ भी ऐसा नहीं है कि जो अटपटा लगे।

बता दें कि सोमवार तड़के सवा चार बजे के बाद से लेकर अब तक तुर्की में 550 बार धरती कांप चुकी है। तुर्की और सीरिया में अब तक भूकंप से 6200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। राष्ट्रपति अर्दोगन ने देश के दस प्रांतों में तीन महीने के लिए इमरजेंसी की घोषणा कर दी गई है। स्कूलों को 13 फरवरी के लिए बंद कर दिया गया है। भारत समेत 70 देशों ने तुर्की के लिए मदद का हाथ बढ़ाया है।

तुर्की की जमीन के नीचे क्या हो रहा है

इस नक्शे में आपको स्पष्ट तौर पर दिख रहा है कि एनाटोलियन माइक्रोप्लेट्स एजियन माइक्रोप्लेट्स की तरफ बढ़ रही हैं। उधर अरेबियन टेक्टोनिक प्लेट तुर्की की प्लेट को दबा रहा है। ऊपर से यूरेशियन प्लेट अलग दिशा में जा रही है। इन प्लेटों की धक्का-मुक्की से ताकत निकल रही है, उसी से पूरी धरती कांप रही है।

असल में तुर्की की टेक्टोनिक प्लेट दो हिस्से में बंटी है। पहली जिस पर इमारतें बनी हैं। दूसरी उससे काफी नीचे। आप देखेंगे कि नीचे वाली प्लेट पहले पीछे थी। जो अब दबाव की वजह से लगातार आगे बढ़ रही है। यही नहीं ये भी हो सकता है कि निचली प्लेट के खिसकने के चलते ऊपर की जमीन फट जाए। बीच में एक बड़ी दरार बन जाए। या पूरा देश दो हिस्सों में बंट जाए। क्योंकि माइक्रोप्लेट्स छोटी और कमजोर होती है। एनाटोलियन माइक्रोप्लेट्स बहुत ताकतवर नहीं हैं।

कितने प्लेटों पर बसा है तुर्की और आसपास का इलाका

तुर्की चार टेक्टोनिक प्लेटों के जंक्शन पर बसा हुआ है। इसलिए किसी भी प्लेट में जरा सी हलचल पूरे इलाके को हिला देता है। तुर्की का ज्यादातर हिस्सा एनाटोलियन माइक्रोप्लेट्स पर है। इस प्लेट के पूर्व में ईस्ट एनाटोलियन फॉल्ट है। बाईं तरफ अरेबियन प्लेट है। दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम में अफ्रीकन प्लेट है। जबकि, उत्तर दिशा की तरफ यूरेशियन प्लेट है।

विपरीत दिशा में घूम रही है तुर्की के नीचे की जमीन

तुर्की के नीचे मौजूद माइक्रोप्लेट्स विपरीत दिशा में घूम रहा है। यानी एंटीक्लॉकवाइज। इन छोटी प्लेट्स को अरेबियन प्लेट धकेल रही है। घूमती हुई एनाटोलियन प्लेट को जब अरेबियन प्लेट से धक्का लगता है, तब यह यूरेशियन प्लेट से टकराती है। इसे भूकंप आते हैं। वो भी दो-दो बार। पहले अरेबियन प्लेट की टक्कर से। दूसरा यूरेशियन की टक्कर से।

असल में एनाटोलियन माइक्रोप्लेट्स बाल्टी में तैरते किसी कटोरी की तरह है। जो चारों तरफ से आने वाले दबाव की वजह से इधर-उधर तैर रहा है। जिस दिशा से भूगर्भीय ताकत आएगी वह उसके विपरीत दिशा में चली जाएगी। एनाटोलियन माइक्रोप्लेट्स यूरेशियन प्लेट से अलग हो चुकी है। अब इसे अरेबियन प्लेट दबा रहा है। जबकि यूरेशियन प्लेट इस दबाव को रोक रही है। अफ्रीकन प्लेट लगातार एनाटोलियन के नीचे सरक रही है। ये घटना साइप्रस के नीचे हो रहा है।

जानिए क्या होती हैं टेक्टोनिक प्लेट्स

हमारी पृथ्वी प्रमुख तौर पर चार परतों से बनी है। यानी इनर कोर, आउटर कोर, मैंटल और क्रस्ट । क्रस्ट सबसे ऊपरी परत होती है। इसके बाद होता है मैंटल। ये दोनों मिलकर बनाते हैं लीथोस्फेयर। लीथोस्फेयर की मोटाई 50 किलोमीटर है। जो अलग-अलग परतों वाली प्लेटों से मिलकर बनी है। जिसे टेक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं।

क्यों आता है भूकंप?

धरती के अंदर सात टेक्टोनिक प्लेट्स हैं। ये प्लेट्स लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेट आपस में टकराती हैं। रगड़ती हैं। एकदूसरे के ऊपर चढ़ती या उनसे दूर जाती हैं, तब जमीन हिलने लगती है। इसे ही भूकंप कहते हैं। भूकंप को मापने के लिए रिक्टर पैमाने का इस्तेमाल करते हैं। जिसे रिक्टर मैग्नीट्यूड स्केल कहते हैं। (एएमएपी)