दरअसल, बसवराज पाटिल लिंगायत समुदाय के नेता हैं। वह धाराशिव (उस्मानाबाद) तालुक में उमरगा के मुरुम के मूल निवासी हैं। राजनीतिक हलकों में बसवराज पाटिल को पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री शिवराज पाटिल चाकुरकर के बेटे के रूप में जाना जाता है। वह कांग्रेस के वफादार हैं और औसा निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने वर्ष 2009 और वर्ष 2014 में औसा से दो चुनाव जीते। विधायक के पहले ही कार्यकाल में कांग्रेस ने उन्हें राज्यमंत्री का पद दिया। हालांकि, वर्ष 2019 में अभिमन्यु पवार से हार के बाद बसवराज पाटिल को कांग्रेस में कुछ हद तक दरकिनार कर दिया गया था। कांग्रेस का दावा है कि पाटिल के हाथ का साथ छोड़ने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। पार्टी नेता अभय सालुंके ने बताया कि उनके साथ छोड़ने से कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि वह 2019 के चुनाव में हारने के बाद से जनता के साथ संपर्क में नहीं थे।
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बताया जा रहा है कि बसवराज पाटिल भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले से मुलाकात कर चुके हैं और बहुत जल्द उनकी मौजूदगी में अपने कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा में शामिल हो सकते हैं। इस संबंध में बसवराज पाटिल ने अब तक चुप्पी साध रखी है। मालूम हो कि हाल के दिनों में महाराष्ट्र कांग्रेस के कई सीनियर नेताओं ने पार्टी छोड़ी है। इनमें अशोक चव्हाण, मिलिंद देवड़ा और बाबा सिद्दीकी जैसे प्रमुख चेहरे शामिल हैं। कांग्रेस छोड़ने के बाद चव्हाण बीजेपी में शामिल हुए हैं। वहीं, देवड़ा अब एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ हैं। यहां यह बताना जरूरी है कि इन दोनों नेताओं को राज्यसभा चुनाव के लिए उम्मीदवार बनाया गया है। दूसरी ओर, बाबा सिद्दीकी उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ गए हैं। (एएमएपी)