जयंती रंगनाथन।
आज से बीस साल पहले दिल्ली में मेरी नई बनी दोस्त ने मुझसे कहा था, यार, मुझे डर लगता है कि मैं बिना दुल्हन बने ही कहीं मर ना जाऊं। उसके मुंह से पहली बार सुना था, दुल्हन बनने और अपने नाम के आगे मिसेज लगाने के लिए अगर कोई लड़का नहीं मिला, तो मैं खुद से शादी कर लूंगी।
शादी कर लो फिर चली जाना
लगभग पैंतीस साल की मेरी वो दोस्त ठीकठाक नौकरी कर रही थी। लेकिन वो अपने जंगपुरा में अपने मम्मी-पापा के साथ ही रहती थी। जब भी वो कहती कि उसे अकेले रहना है, उनका जवाब होता, शादी कर लो फिर चली जाना। उसकी शादी नहीं हो रही थी। मुझे लगता था कि वो शादी के नाम पर समझौता करने को ज्यादा उत्सुक भी नहीं थी। लेकिन उसकी ये हसरतें कि हाय मुझे लहंगा पहनना है, खूब सजना-धजना है, फेरे लेने हैं, हनीमून पर जाना है, को पूरा करने के लिए एक अदद… दूल्हा जरूरी था।
खुद से प्यार… खुद से शादी
दूल्हा जरूरी था… पर अब है नहीं। आज की ताज़ा खबर। गुजरात में वडोदरा में रहने वाली चौबीस साल की क्षमा बिंदु इस महीने की 11 तारीख को खुद से शादी करने जा रही हैं। वो दुल्हन बनेगी और अपने आप से पांच वायदे करेगी, अग्नि के फेरे भी लगाएगी और हनीमून मनाने गोआ भी जाएगी। बिंदु ने तय किया है कि उसे खुद से प्यार है और उसे अपने आपको वो सब देना है जिसकी वो हकदार है। शायद वो हमारे देश की ऐसी पहली लड़की होगी जो अपनी शादी खुद से करने वाली है। सोलोगैमी के बारे में पढ़ा हम सबने है, इसे होता शायद पहली बार देखेंगे।
जो वो आज करने जा रही है…
मैंने अपने आसपास ऐसी कई लड़कियां, महिलाएं देखी हैं जो कई वजहों से सिंगल रह जाती हैं। आज भी हमारे यहां लड़कियों की शादी में कई इफ्स एंड बट्स आते हैं। पैसा, सुंदरता, हैसियत, आज भी बहुत बड़ा रोल निभाते हैं। मिलेनियल लड़कियां जो अपनी शर्तों पर जी रही हैं, अपने सम्मान के साथ रह रही हैं, उनके लिए समाज के कई ढकोसलों और अपमानों को झेलना मुश्किल है। शादी और इससे जुड़ी तमाम रस्मों में पॉजिटिव बदलाव आता दीख ही नहीं रहा। बल्कि दिनोदिन बढ़ता ही जा रहा है।
आप क्षमा बिंदु पर हंस सकते हैं, उसे तमाशा कह कर नकार सकते हैं, पर जो वो आज करने जा रही हैं, उसकी तीव्रता से बच नहीं सकते।
देख रही हूं उसमें अपनी वो पुरानी दोस्त
मैं क्षमा की हंसी, खुशी और उत्साह को महसूस कर पा रही हूं। मैं देख रही हूं उसमें अपनी वो पुरानी दोस्त, जो अचानक ही मेरी जिंदगी से गायब हो गई थी। वो कभी मिलेगी तो उससे कहना चाहती हूं, अपनी हसरतें अधूरी छोड़ कर मत जाओ। और भी रास्ते हैं।
(लेखिका हिंदुस्तान, नई दिल्ली में एग्जीक्यूटिव एडिटर हैं)