इससे पहले मामले में सुनवाई के दौरान भी जस्टिस रॉबर्ट जे ने इस बात पर जोर दिया था कि भारत के ब्रिटेन के साथ अच्छे संबंध हैं। ऐसे में ब्रिटेन को 1992 की भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि का सम्मान करना जरूरी है।
विशेष पीएमएलए कोर्ट ने घोषित किया था आर्थिक अपराधी
इससे पहले विशेष पीएमएलए कोर्ट द्वारा दिसंबर 2019 में भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 के अनुसार नीरव मोदी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया था। जिसके बाद वह लंदन भाग गया था। तीन साल पहले नीरव मोदी को ब्रिटेन की स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस ने 13 मार्च 2019 को लंदन से गिरफ्तार किया था, जिसके बाद से वह साउथ वेस्ट लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में कैद है।
नीरव मोदी पर 7000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप
बता दें कि नीरव मोदी ने पीएनबी से करीब 7000 करोड़ रुपये का घोटाला किया था। जिसके बाद वह विदेश भाग गया था। फिलहाल वह लंदन की एक जेल में है। भारत सरकार उसे वापस लाने की हर संभव कोशिश कर रही है। नीरव मोदी ने 2017 में अपनी कंपनी फायरस्टार डायमंड के जरिए प्रतिष्ठित रिदम हाउस बिल्डिंग खरीदी थी। उसका प्लान इसे हेरिटेज प्रॉपर्टी में बदलने का था। माना जाता है कि उसने ज्यादातर संपत्तियां पीएनबी घोटाले से हासिल रकम से खरीदी थी।
क्या नीरव के पास है कोई विकल्प ?
जिस तरह भारत में हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाती है, उसी तरह ब्रिटेन में भी ये सिस्टम चलता है। ऐसे में अब जब हाई कोर्ट से नीरव मोदी की याचिका को खरिज किया गया है, तो उनके पास अब सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प मौजूद है। नीरव की लीगल टीम सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकती है। अगर, बात की जाए नियमों की तो, हाई कोर्ट के आदेश के 14 दिन के भीतर सुप्रीम कोर्ट में फैसले को चुनौती दी जा सकती है। अब कहने को नीरव के पास ये विकल्प मौजूद जरूर है, लेकिन वहां पर उसकी सुनवाई होगी, इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता।
असल में ब्रिटेन में सुप्रीम कोर्ट हर मुद्दे पर सुनवाई नहीं करता है, सिर्फ उन मामलों को तवज्जो दी जाती है जो जनहित में होते हैं। ऐसे में सबसे पहले तो नीरव मोदी की लीगल टीम को ये साबित करना पड़ेगा कि उनकी याचिका जनहित में है या फिर उसका जनहित से कुछ वास्ता है। उस स्थिति में ही सुप्रीम कोर्ट प्रत्यर्पण के खिलाफ उसकी याचिका पर सुनवाई करेगा।
सबसे जरूरी बात यह है कि अगर कोर्ट के आदेश को चुनौती देनी है तो सबसे पहले कोर्ट ऑफ अपील से इसकी इजाजत मांगी जाती है। अगर वहां से इजाजत नहीं मिलती, तब सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मांगी जा सकती है। यह सब करने के बाद भी अगर नीरव मोदी को सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिलती, तो उस स्थिति में भी वो कुछ दूसरे कानूनी रास्तों का रुख कर सकता है। उसकी तरफ से European Court Of Human Rights जाया जा सकता है। ऐसे में नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ जरूर हुआ है, लेकिन इसके लिए कई मुश्किलों से गुजरना होगा। (एएमएपी)