इजरायल के आदेश के बाद उत्तर गाजा से फिलिस्तीन के लोगों ने दक्षिण की ओर जाना शुरू कर दिया है. इस बीच सयुंक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतेरेस अपने एक लेख में इजरायल के गाजा पट्टी 24 घंटे में खाली करने के आदेश पर कहा कि इतने कम समय में इस तरह से किसी इलाके को खाली कराना मानवीय लिहाज से बहुत ही विनाशकारी साबित हो सकता है। इसलिए उन्होंने इजरायल इस अपने आदेश पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है और बताने का प्रयास किया है कि हालात को वास्तव में कैसे देखा जाना चाहिए और समस्या कितनी नाजुक और संवेदनशील है।

खराब हो जाएंगे हालात

गुतरेस ने इस आदेश को अमल में लाने पर पैदा होने वाले हालात और उनके नतीजों पर एक चिंता जाहिर की है, न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित अपने लेख में एंतोनियो गुतेरेस ने बताया है हालात पहले से ही खतरनाक है और इस कदम से और बिगड़ जाएंगे. उन्होंने कहा कि यह आदेश करीब 11 लाख लोगों के साथ ऐसे इलाके पर लागू हो रहा है जो पहले ही हवाई बमबारी और कैद झेल रहा है जहां का बुनियादी ढांचा पहले ही खासा नुकसान झेल चुका है. यह सब पलायन को और ज्यादा मुश्किल बनाने का काम कर रहा है।

संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी भी

गुतेरेस ने ध्यान दिया है कि यह आदेश संयुक्त राष्ट्र के लोगों पर भी लागू होता है जो कि गाजा पट्टी में कार्यरत हैं. इसके अलावा करीब दो लाख लोग संयुक्त राष्ट्र की इमारतों में शरण लिए हुए हैं, जिसमें स्कूल, स्वास्थ्य केंदर और क्लीनिक तक शामिल हैं. गाज की आधी आबादी 18 साल के कम उम्र के लोगों की है. यानि इनमें बच्चे बहुत अधिक हैं।

हिंसा फैलने से रोकने की जरूरत

गुतेरेस ने कहा कि कोशिश की जा रही है कि नई तरह की हिंसा को रोका जा सके या विवाद को वेस्ट बैंक और उससे भी अधिक इलाकों में फैलने से रोका जा सके. और इससे पहले कि और ज्यादा मासूम और निर्दोष लोगों की जान जाए इस स्थिति से आपात रूप से निकलने के रास्ते खोजने की जरूरत है।एंतोनियो गुतेरेस मानते हैं कि यह समय हिंसा को फैलने से रोकने का है. गाजा खाली कराने से हालात खराब हो जाएंगे।

अंतरराष्ट्रीय कानून की जरूरत

इसके लिए ना केवल संयुक्त राष्ट्र और उनके सहयोगों को तेजी से गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने के साथ ही सुनिश्चित करने के प्रयास करने चाहिए कि गाजा में बंधकों को छोड़ा जाए साथ ही गाजा में ईंधन पानी, और भोजन मुहैया कराने की इजाजत होनी चाहिए. इस मुद्दे पर गुतेरेस ने कहा कि जिनेवा कन्वेंशन सहित अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानूनों का सम्मान होना चाहिए और उन्हें लागू किया जाना चाहिए।

बढ़ रहा है घृणा भाव

गुतेरेस कहते हैं कि साफ है कि पश्चिम एशिया में होने वाली घटनाएं दुनिया के समुदायों का ध्रुवीकरण कर रही हैं और घृणा भाव को बढ़ा रही है. उन्होंने दोनों ही पक्षों इजरायल के यहूदियों और फिलिस्तीनियों की पीड़ा को रेखांकित किया और ध्यान दिलाया कि दोनों पक्षों पर कितने जुल्म हुए हैं. जहां यहूदियों को सदियों से जगह जगह से निकाल फेंका गया, वहीं फिलिस्तीन भी अपनी ही जमीन से वंचित रखे जा रहे हैं. उनकी समस्याओं का किसी राजनैतिक समाधान की कोई आस नहीं है।

दोनों पक्षों का सम्मान

इस मामले में शांति प्रयासों की दुनिया ने नजरअंदाज किया है. लेकिन इससे हमास की कार्यों को सही नहीं ठहराया जा सकता है. लेकिन हमास के गुनाहों की सजा फिलिस्तीन के लोगों को देना भी ठीक नहीं है. इसके समाधान के लिए इजरायली और फिलिस्तीनियों दोनों को पूरी पहचान मिलनी चाहिए और दोनों के नजरियों और दोनों की सच्चाई को पहचान मिलनी चाहिए।गुतेरेस ने कहा कि हम सभी को मिल कर वास्तविक और स्थायी समाधान के लिए काम करना होगा. ऐसे समाधान जो साझा मानवता पर आधारित हों और इतिहास और हालात द्वारा अलग करने के बावजूद लोगों को एक साथ रहने की जरूरत का सम्मान कर सकें. उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंसा और खून खराबे का चक्र रुकना बहुत जरूरी है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सहयोग के बिना दोनों पक्ष समाधान हासिल नहीं क सकते। (एएमएपी)