डॉ. मयंक चतुर्वेदी ।
मंदिर देवता का घर है, भक्तों के लिए वह पूजा स्थल है, श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धा भाव है और यही मंदिर आध्यात्म की शरणस्थली के रूप में प्रत्येक जिज्ञासू के लिए मोक्ष का कारक और ज्ञान देने के लिए ज्ञानस्थल अर्थात् गुरुकुल है। हिन्दू सनातन धर्म के आधार स्तम्भों में से एक मंदिर पर जो टिप्पणी मद्रास हाई कोर्ट ने की है, उस पर न सिर्फ हिन्दुओं को गौर करना चाहिए बल्कि यह उनके लिए अधिक गंभीरता से विचार करने का विषय है जोकि देवता पर विश्वास नहीं रखते, उससे जुड़ी किसी आस्था पर ऐसे लोगों का कोई भरोसा नहीं, किंतु जाना मंदिर चाहते हैं वह भी मजे की भावना से आबद्ध होकर या किसी आसमानी जिद्द को पूरा करने की मंशा से ।
बहुसंख्यक समाज को आपस में लड़ाने की कोशिशें
आप देखेंगे कि पिछले कई वर्षों के दौरान स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ऐसी घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है, जोकि बहुसंख्यक समाज को अपमानित करने, उन्हें आपस में लड़ाने और तोड़ने वाली हैं। दुर्भाग्य है कि भारत को मजहब के आधार पर विभाजित करनेवाले तो अपने मंसूबों में कामयाब रहे, लेकिन समस्या जस की तस है। अब लगने लगा है कि स्वतंत्र भारत ने जो अपने लिए लोकतंत्रात्मक शासन व्यवस्था का रास्ता चुना, वही इस देश के बहुसंख्यकों के लिए संकट बनकर सामने आ रहा है।
बहुसंख्यक होने के बाद भी हिन्दुओं की प्रताड़ना जारी
बहुसंख्यक होने के बाद भी हिन्दुओं की प्रताड़ना तरह-तरह से जारी है, जिसके विरोध में न्याय पाने के लिए उन्हें हर बार न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ता है। अयोध्या का राममंदिर तो एक बानगी भर है, कभी उनके धार्मिक जुलूस को यह कहकर रोक दिया जाता है कि यहां बहुसंख्या में मुसलमान रहते हैं, इसलिए वे सड़क पर से अपना धार्मिक आयोजन (जुलूस) नहीं निकाल सकते हैं। कभी वक्फ बोर्ड उनकी जमीनों और मंदिरों पर अपने होने का दावा ठोक देता है। तो कभी धार्मिक सौहार्द बिगड़जाने का हवाला देकर रामनवमी के कार्यक्रमों-जुलूस एवं इसी प्रकार की अन्य यात्राओं को निकालने की अनुमति नहीं दी जाती है।
BIG NEWS 🚨 Madras High Court says Non-Hindus can’t enter Tamil Nadu temples as temples are not Picnic spots.
Court also directed the Tamil Nadu HR&CE department to install boards in all Hindu temples, stating that non-Hindus are not permitted beyond the ‘Kodimaram’ (flagpole)… pic.twitter.com/xYuSacEimb
— Times Algebra (@TimesAlgebraIND) January 31, 2024
हिन्दू समाज को कमजोर करने की साजिश
मंदिरों को टार्गेट करना, हिन्दुओं के गले रेतना, लव जिहाद के माध्यम से और अन्य प्रलोभन तथा भय दिखाकर कन्वर्जन कराना, जिहाद के नाम पर बेगुनाओं को मौत के घाट उतार देना और इस्लामिक खलीफा राज की स्थापना करते हुए भारत को दारुल-हरब से दारुल-इस्लाम में बदलदेने के तमाम षड्यंत्र अब तक देश भर में कई बार सामने आ चुके हैं और सतत हो रहे हैं। अनेक जगहों से हिन्दू इसलिए पलायन को मजबूर हुआ है, क्योंकि लगातार उसे निशाना बनाया जा रहा था। देश के भाग कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक अनेक स्थानों पर घटी ऐसी कई घटनाएं आज इस बात की साक्षी हैं कि कैसे इस देश के बहुसंख्यक हिन्दू समाज को कमजोर करने और उसकी संख्या कम करने समेत उसे जड़ से समाप्त करने के षड्यंत्र लगातार किए जा रहे हैं।
हिन्दूओं आस्था की आस्था पर आघात
देखा जाए तो इस तरह की तमाम घटनाएं वर्तमान में यह बता रही हैं कि बहुसंख्यक समाज के सामने अपनी धार्मिक मान्यताओं को मानते हुए जीवन यापन करते रहने का चुनौती पूर्ण संकट आ खड़ा हुआ है! ऐसे में मद्रास हाईकोर्ट से आया आदेश भी इस बात पर मुहर लगा देता है कि इस्लाम, ईसाईयत या हिन्दू विरोध में किए जा रहे क्रिया कलाप कोई सामान्य बात नहीं है। यह योजनाबद्ध तरीके से किए जा रहे वो प्रयास हैं, जिनमें हिन्दू आस्था को कमजोर करना केंद्र में है और इसीलिए ही उस पर बार-बार तरह-तरह से आघात किया जा रहा है।
Non-Hindus can’t enter Tamil Nadu temples, says Madras High Court
On the panel with @kittybehal10: @PentapatiPullar and @narayanantbjp pic.twitter.com/mhvDIgZ51G
— NDTV (@ndtv) January 31, 2024
मंदिरों में गैर-हिंदुओं के घुसने की घटनाएं
मद्रास हाईकोर्ट ने मंदिरों में गैर-हिंदुओं के घुसने की हालिया घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा है कि हाल ही में अरुलमिघु ब्रहदेश्वर मंदिर में दूसरे धर्म से संबंधित व्यक्तियों के एक समूह ने मंदिर परिसर को पिकनिक स्थल के रूप में माना था और मंदिर परिसर के अंदर मांसाहारी भोजन किया, जोकि हिन्दू आस्था के अनुसार अनुचित था। इसी तरह, 11 जनवरी को गेर हिंदू कुछ लोग मदुरै के अरुलमिघु मीनाक्षी सुंदरेश्वर मंदिर में गर्भगृह के पास अपने धर्म की पुस्तक या ग्रंथ लेकर चले गए थे और वहां वे अपने धर्म की किताब या ग्रंथ पढ़ने का प्रयास कर रहे थे।
मंदिरों में गैर-हिंदुओं द्वारा हो रहे कई अनुचित काम
मद्रास हाई कोर्ट में पलानी हिल टेंपल डिवोटीज ऑर्गनाइजेशन के संयोजक डी सेंथिलकुमार ने याचिका दाखिल कर मंदिरों में गैर-हिंदुओं की एंट्री पर रोक लगाने की माँग की थी। यह प्रश्न खड़ा करते हुए कि हिंदुओं के मंदिर में गैर-हिंदुओं का क्या काम? वाली इस याचिका में मंदिरों में गैर-हिंदुओं के कई अनुचित कामों की जानकारी दी गई और बताया गया कि कैसे कुछ समय पहले तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर में मुस्लिमों के एक गुट ने माँस खाया था। हंपी के मशहूर मंदिर में भी एक ग्रुप माँस करता पकड़ा गया था। यही नहीं, उत्तर प्रदेश के एक मंदिर में एक मुस्लिम युवक ने नमाज पढ़ी । पलानी मंदिर में बुर्काधारी महिलाओं और मुस्लिम युवक ने टिकट खरीदा। जब कर्मचारियों ने मना किया तो वह बदतमीजी करते हुए कहा कि पहाड़ एक पर्यटन स्थल है और वहाँ कोई भी घुमने जा सकता है।
हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी – मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट या पर्यटक स्थल नहीं
वस्तुत: ऐसे तमाम धार्मिक विषयों को लेकर डी सेंथिलकुमार जब न्यायालय की शरण में गए तो हाईकोर्ट की तरफ से याचिका स्वीकार करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया गया कि वे मंदिरों के इंट्री गेट, ध्वजस्तंभ के पास और मंदिर के प्रमुख स्थानों पर ‘गैर-हिंदुओं को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है’ वाले बोर्ड लगाएं। हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी है कि मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट या पर्यटक स्थल नहीं कि कोई भी घूमने चला आए। हिंदुओं को अपने धर्मानुसार आचरण करने, उसे मानने, प्रचार-प्रसार करने और उसका पालन करने का मौलिक अधिकार है। ये घटनाएं पूरी तरह से संविधान के तहत हिंदुओं को दिए गए मौलिक अधिकारों में हस्तक्षेप हैं। फिर भले ही ये मंदिर ऐतिहासिक हों। न्यायालय ने यह भी कहा है कि सरकार मंदिरों में उन गैर-हिंदुओं को अनुमति न दें जो हिंदू धर्म में विश्वास नहीं करते हैं। यदि कोई गैर-हिंदू मंदिर में दर्शन करना चाहता है तो उससे वचन लेना होगा कि उसे मंदिर के देवता में विश्वास है और वह हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और प्रथाओं का पालन करेगा।
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मंदिर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश को रोकना गलत नहीं
न्यायालय का साफ कहना है, मंदिर संविधान के अनुच्छेद 15 के अंतर्गत नहीं आते। इसलिए किसी मंदिर में गैर-हिंदुओं के प्रवेश को रोकने को गलत नहीं कहा जा सकता। इसलिए, हिंदुओं के रीति-रिवाजों, प्रथाओं के अनुसार उनके मंदिरों की पवित्रता को बनाए रखना और किसी भी तरह की अनैतिक घटनाओं से मंदिरों की रक्षा करना मेरा (न्यायालय का) कर्तव्य है। कुल मिलाकर देश भर में हिन्दू मंदिरों और समुदाय के साथ इस समय जो चल रहा है, वह कहीं न कहीं बहुसंख्यक हिन्दू समाज के अस्तित्व को चुनौती देनेवाला कृत्य है। जिसे लोकतंत्रात्मक गणराज्य भारत में किसी भी स्तर पर स्वीकार नहीं किया जा सकता; अच्छा हो, कि भारत का अल्पसंख्यक समाज खासकर इस्लाम और ईसाईयत को माननेवाले इस बात की गंभीरता को समझें । अन्यथा विकसित और आर्थिक रूप से मजबूत होते भारत को गर्त में जाने से कोई नहीं रोक पाएगा।(एएमएपी)