आपका अखबार ब्यूरो।

कोरोना महामारी के कहर के बीच देश में एक और बीमारी अपने पैर पसार रही है। इसका नाम है म्यूकोरमायकोसिस, जिसे सामान्य भाषा में ब्लैक फंगस कहा जा रहा है। यह बीमारी कोविड-19 से उबर चुके मरीजों को अपना शिकार बना रही है। यह उन लोगों में अधिक पाई जा रही है, जो कोरोना से संक्रमित होने से पहले किसी अन्य बीमारी से ग्रस्त थे और जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर थी। खासकर, जिनका शुगर लेवल अनियंत्रित है, उनको खतरा ज्यादा है। अभी इसके सबसे ज्यादा मामले गुजरात में देखने को मिल रहे हैं। इसके अलावा, यह बीमारी महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा में भी अपने पैर पसार चुकी है।


गीली सतह पर पैदा होता है म्यूकर यानी ब्लैक फंगस

म्यूकरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस एक दुर्लभ संक्रमण है, जो म्यूकर फफूंद के कारण होता है। यह फंगस अमूमन मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फलों और सब्जियों में उत्पन्न होता है। नीति आयोग की स्वास्थ्य समिति के सदस्य डॉ. वी.के. पॉल ने बताया कि कोविड-19 के कई मरीजों में फंगस संक्रमण की समस्या देखने को मिली है। यह फफूंद यानी फंगस आमतौर पर गीली सतह पर ही होता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने इस बीमारी को लेकर लोगों को जागरुक करने के लिए इसके कारणों, लक्षणों और एहतियाती उपायों के बारे में बताया है। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से जानकारी दी है कि इस बीमारी से बचने के लिए क्या करना चाहिए और किन बातों से बचना चाहिए।

क्या हैं ब्लैक फंगस के कारण

 

डॉ. हर्षवर्धन ने अपने ट्वीट में बताया है कि उन लोगों के ब्लैक फंगस से पीड़ित होने की आशंका अधिक होती है, जिन लोगों को डायबिटीज की बीमारी है और उनका शुगर लेवल नियंत्रण में नहीं रहता। जो लोग स्टेरॉयड लेते हैं, जिसके कारण उनकी इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, उन्हें भी इससे अधिक खतरा है। साथ ही, जिनको कोरोना संक्रमण के कारण लंबे समय तक आईसीयू या अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा, जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ हो या फिर कोई और गंभीर फंगल इंफेक्शन हुआ हो, ऐसे लोगों के भी ब्लैक फंगस की चपेट में आने की आशंका ज्यादा रहती है।

क्या हैं ब्लैक फंगस के लक्षण

‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ (आईसीएमआर) के अनुसार, ब्लैक फंगस के मुख्य लक्षणों में है- नाक बंद होना, आंखों में या नाक और आंखों के आसपास लालीपन आना या दर्द महसूस होना। बार-बार बुखार से पीड़ित होना। खांसी से पीड़ित होना और सांस लेने में तकलीफ महसूस करना, सांस फूलना। सिर में तेज दर्द की शिकायत होना। खून की उल्टियां होना और मानसिक स्थिति में बदलाव महसूस होना या भ्रम की स्थिति पैदा होना। इन सभी लक्षणों को हल्के में न लें।

क्या करें और क्या नहीं करे

डॉ. हर्षवर्धन ने अपने ट्वीट में बताया है कि ब्लैक फंगस से बचने के लिए अपने शुगर लेवल को बढ़ने न दें। कोविड-19 से ठीक होने के बाद अपने शुगर लेवल पर लगातार नजर रखें। स्टेरॉयड का बहुत ज्यादा उपयोग न करें, बल्कि इसका विवेकपूर्ण इस्तेमाल करें। डॉक्टर की सलाह का पालन करें। आपको इसकी सही खुराक और समय के अंतराल के बारे में पता होना चाहिए। इसके अलावा, एंटीबायोटिक और एंटी-फंगल दवाओं का भी डॉक्टर की सलाह से उचित तरीके से इस्तेमाल करें। ऑक्सीजन थेरेपी लेते समय ह्यूमीडिफायर के लिए साफ और कीटाणुरहित पानी का प्रयोग करें।

ये गलतियां बिल्कुल न करें- बीमारी के संकेत और लक्षणों को बिल्कुल नजरअंदाज न करें। नाक बंद होने की दिक्कत को हर बार साइनस का समस्या समझने की गलती न करें, खासकर जब आप कोविड-19 के मरीज हैं। अगर जरा-सा भी संदेह महसूस हो, तो अपनी जांच ठीक तरह से कराएं। ध्यान रखें, ब्लैक फंगस तभी जानलेवा होता है, जब उसके उपचार में देरी होती है। डॉ. हर्षवर्धन ने जानकारी दी कि अगर समय रहते ध्यान दिया जाए, ब्लैक फंगस के लक्षणों को पहचान कर उसका उपचार शुरू कर दिया जाए, तो इससे पीड़ित मरीजों की जान बच सकती है।