प्रमोद जोशी।

संसद में पेगासस-विवाद के सहारे विरोधी दलों की एकता के तार जुड़ तो रहे हैं, पर साथ ही उसके अंतर्विरोध भी सामने आ रहे हैं। इसे संसद के भीतर और बाहर की गतिविधियों में देखा जा सकता है। पेगासस मामले को लेकर संसद के दोनों सदनों में विरोधी दलों ने कार्य-स्थगन प्रस्ताव के नोटिस दिए हैं। राज्यसभा के सभापति ने इन प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया है। लोकसभा में राहुल गांधी ने 14 विरोधी दलों की ओर से जो नोटिस दिया है, अभी उसपर अध्यक्ष के फैसले की सूचना नहीं है।


कैसे होगी अफवाहों की जांच

Rajya Sabha uproar over Pegasus issue TMC MP snatched paper from IT  Ministers hands | Pegasus मुद्दे पर राज्य सभा में भारी हंगामा, IT मंत्री के  हाथ से पेपर छीन TMC MP

अभी तक सरकार इस विषय पर चर्चा के लिए तैयार नहीं है। सरकार का कहना है कि विपक्ष ठोस सबूत पेश करे। अफवाहों की जांच कैसे होगी? सम्भव है कि वह कार्य-स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तैयार हो जाए, पर उसकी दिलचस्पी विरोधी-एकता के छिद्रों और उनकी गैर-जिम्मेदारी को उजागर करने में ज्यादा होगी। क्या वास्तव में यह इतना बड़ा मामला है, जितना बड़ा कांग्रेस पार्टी मानकर चल रही है? क्या इससे आने वाले समय के चुनावों पर असर डाला जा सकेगा? संसद में विरोधी-दलों की शोरगुल और हंगामे की नीति भी समझ में नहीं आती है। खासतौर से राज्यसभा में सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के हाथ से कागज लेकर फाड़ना।

विधेयक पास कराती रहेगी सरकार

पिछले 11 दिन में लोकसभा में केवल 11 फीसदी काम हुआ है और राज्यसभा में करीब 21 फीसदी। सरकार ने लोकसभा में अपने दो विधेयक इस दौरान पास करा लिए, जिनपर चर्चा नहीं हुई। लगता है कि यह शोरगुल चलता रहेगा। यानी सरकार अपने विधेयक पास कराती रहेगी और महत्वपूर्ण प्रश्नों पर चर्चा नहीं होगी, केवल नारे लगेंगे और तख्तियाँ दिखाई जाएंगी। इस बीच सम्भव है कि लोकसभा में कुछ सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई हो। राज्यसभा में ऐसा हो चुका है। क्या विरोधी दल यही चाहते हैं?

विरोधी दलों की रणनीति बिखरी

Mamata Dials Sharad Pawar Amid Bitter Row With BJP; Oppn Leaders Side With  TMC

पेगासस मामले पर विरोधी दलों की रणनीति बिखरी हुई है। एक पक्ष सदन के अंदर बहस चाहता है, दूसरा चाहता है कि संयुक्त संसदीय समिति जांच करे, और तीसरा सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में जांच चाहता है। संसद के बाहर विरोधी एकता कायम करने के प्रयास दो या तीन छोरों पर हो रहे हैं। एक प्रयास हाल में शरद पवार ने शुरू किया है, दूसरे की पहल ममता बनर्जी ने की है। उनका दिल्ली-दौरा इस लिहाज से महत्वपूर्ण है।

राहुल की पहल

My phone also tapped, Amit Shah must step down: Rahul Gandhi on Pegasus  spying row | India News – India TV

बुधवार को राहुल गांधी ने संसद में विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाकर पहल की कोशिश की। इस बैठक में कांग्रेस, शिवसेना, एनसीपी, समाजवादी पार्टी, आरजेडी, आम आदमी पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भाग लिया, पर तृणमूल कांग्रेस के नेता शामिल नहीं हुए। विरोधी सांसद संसद से विजय चौक तक पैदल गए और फिर मीडिया को संबोधित किया।

ममता की रणनीति में विसंगतियाँ

Supriya Sule on Twitter: "Wishing Hon. @RahulGandhi Ji Happy Birthday! Have  a Healthy Year Ahead ☺😊… "

इस मार्च का नेतृत्व प्रत्यक्षतः राहुल गांधी ने किया। उनके साथ संजय राउत, सुप्रिया सुले, रामगोपाल यादव और द्रमुक तथा राजद के प्रतिनिधि थे। कांग्रेस के साथ चलने वाले इस दस्ते में कोई नया सदस्य नहीं है। बहरहाल जब राहुल पैदल मार्च कर रहे थे, लगभग उसी समय, ममता बनर्जी ने अपने सांसदों की बैठक बुलाई थी। उनकी पार्टी के सांसद कल्याण बनर्जी ने बाद में कहा कि मोदी के खिलाफ विपक्ष का नेतृत्व सिर्फ ममता बनर्जी ही कर सकती हैं। उन्होंने कहा, मोदी का कोई विकल्प है तो वह ममता बनर्जी हैं, क्योंकि ‘वह लीडर नंबर वन’ हैं। ममता बनर्जी की इस रणनीति में विसंगतियाँ हैं। पश्चिम बंगाल में उनकी पार्टी ने पिछले चुनाव के दौरान बांग्ला उप-राष्ट्रवाद का जमकर इस्तेमाल किया। उनके कार्यकर्ताओं ने हिंदी भाषा और हिंदी-क्षेत्र को लेकर जो बातें कही थीं, वे उन्हें राष्ट्रीय नेता बनने से रोकेंगी।

कांग्रेस विपक्षी एकता के केंद्र में होगी या परिधि में

Mamata Banerjee Plans Trip To Meet Sonia Gandhi, "May Meet PM If..."

बहरहाल ममता बनर्जी ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी से मुलाकात भी की। उन्होंने मुलाकात करने के बाद पत्रकारों से कहा, सभी विपक्षी दलों को हाथ मिलाना होगा और मिलकर काम करना होगा। ममता बनर्जी की योजना में कांग्रेस समेत वे सभी पार्टियाँ शामिल हैं, जो किसी न किसी रूप में बीजेपी-विरोधी हैं। इसके पहले सोनिया गांधी कह चुकी हैं कि नेतृत्व का सवाल एकता के आड़े नहीं आएगा। फिर भी सवाल है कि कांग्रेस इस एकता के केंद्र में होगी या परिधि में?

2014, 2019 और 2024

Project Pegasus: Rahul Gandhi, Mamata's nephew, 2 Union ministers,  dissident ex-EC Lavasa in snooping target list | India News,The Indian  Express

राजनीतिक दल काफी दूर तक की स्थितियों को देखते हैं। सम्भव है कि 2024 में सरकार बनाने की स्थिति आ जाए, तब नेता कौन बनेगा? दिल्ली में विरोधी-एकता के जो प्रयास चल रहे हैं, वे 2014 के चुनाव के पहले चले, 2019 के पहले चले और अब फिर चल रहे हैं। फर्क इतना है कि इसबार चुनाव के तीन साल पहले शुरू हो गए हैं। इसके पीछे बड़ा कारण है तृणमूल का अतिशय उत्साह और आत्मविश्वास। ममता बनर्जी बंगाल में मिली अपनी जीत का इस्तेमाल राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के खिलाफ हवा बनाने में करना चाहती हैं। उन्हें बंगाल में कितनी भी बड़ी सफलता मिली हो, पर संगठनात्मक और प्रभाव की दृष्टि से कांग्रेस बहुत बड़ी पार्टी है।

गतिविधियाँ बढ़ी, परिणाम अभी स्पष्ट नहीं

ममता बनर्जी इन पार्टियों के अंतर्विरोधों को किस प्रकार दूर करेंगी, यह देखना होगा। बेशक गतिविधियाँ बढ़ी हैं, पर उनका कुल परिणाम अभी स्पष्ट नहीं है। खासतौर से शरद पवार की रणनीति स्पष्ट नहीं है। वे कांग्रेस के साथ भी नजर आते हैं और तृणमूल को भी बढ़ावा देते दिखाई पड़ते हैं। हाल में उन्होंने लालू यादव से भी मुलाकात की है। इसके पहले राहुल गांधी किसानों के मुद्दों को रेखांकित करने के लिए ट्रैक्टर पर सवार होकर आए थे। राहुल का उद्देश्य मीडिया में अपनी कवरेज को बेहतर बनाना है, तो वे सफल हैं, पर क्या इसकी कोई उपयोगिता है? वे संसद में किसी जोरदार बहस का आगाज़ क्यों नहीं करते?

कांग्रेस की एक बड़ी परीक्षा पंजाब

Navjot Singh Sidhu Meets Rahul Gandhi In Delhi Amid Punjab Congress  Infighting

ममता बनर्जी के प्रयासों के समांतर कांग्रेस पार्टी ने भी किसी नई रणनीति को अपनाने का फैसला किया है। इस रणनीति के तहत प्रशांत किशोर भी कांग्रेस के साथ जुड़ते दिखाई पड़ रहे हैं। कांग्रेस की एक बड़ी परीक्षा पंजाब के चुनावों में होने वाली है, जहाँ पार्टी हाईकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू को बढ़ावा देने का फैसला किया है। इस रणनीति के पन्ने खुलने के बाद ही पता लगेगा कि विरोधी-एकता किस दिशा में जाएगी।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। आलेख ‘जिज्ञासा’ से साभार)