सभी क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था, निर्यात पर पड़ेगा असर।

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को मुंबई में कहा कि व्यापार शुल्क संबंधी उपायों ने सभी क्षेत्रों में आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया है। इससे वैश्विक वृद्धि और मुद्रास्फीति के लिए नई चुनौतियों के साथ जोखिम पैदा हुए हैं।

वैश्विक शुल्क युद्ध के भारत पर प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा कि इसका देश के निर्यात पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

चालू वित्त वर्ष (2025-26) के लिए पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के बारे में जानकारी हुए उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण वस्तुओं के निर्यात पर दबाव पड़ेगा, जबकि सेवाओं के निर्यात में मजबूती बनी रहने की उम्मीद है। वैश्विक व्यापार में बाधाओं के कारण आने वाली चुनौतियों से गिरावट का जोखिम बना हुआ है।’’

वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए अपने वृद्धि दर के अनुमान को भी 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। आरबीआई गवर्नर ने कहा, “हालांकि, इन आधारभूत अनुमानों के इर्द-गिर्द जोखिम समान रूप से संतुलित हैं, लेकिन हाल ही में बढ़ी वैश्विक अस्थिरता के मद्देनजर अनिश्चितताएं बनी हुई हैं।’’ उन्होंने कहा कि यह कमी मूलतः वैश्विक व्यापार और नीतिगत अनिश्चितताओं के प्रभाव को दर्शाती है।

मल्होत्रा ने कहा, “हाल ही में व्यापार शुल्क से संबंधित उपायों ने सभी क्षेत्रों में आर्थिक परिदृश्य पर अनिश्चितताओं को और बढ़ा दिया है, जिससे वैश्विक वृद्धि और मुद्रास्फीति के लिए नई चुनौतियां सामने आई हैं। इस उथल-पुथल के बीच, अमेरिकी डॉलर में काफी गिरावट आई है; बॉन्ड पर प्रतिफल में काफी कमी आई है; शेयर बाजारों में गिरावट आ रही है; और कच्चे तेल की कीमतें तीन साल से भी अधिक समय के अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई हैं।”

उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों में, केंद्रीय बैंक सतर्कतापूर्वक काम कर रहे हैं, तथा विभिन्न क्षेत्रों में नीतिगत भिन्नता के संकेत मिल रहे हैं। यह उनकी अपनी घरेलू प्राथमिकताओं को दर्शाता है। उल्लेखनीय है कि पिछले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सहित 60 देशों पर जवाबी शुल्क लगाने की घोषणा की थी, जो नौ अप्रैल से प्रभावी हो गया। अमेरिका ने भारत पर झींगा, कालीन, चिकित्सा उपकरणों और सोने के आभूषणों सहित विभिन्न उत्पादों पर 26 प्रतिशत का जवाबी शुल्क लगाया है।