महिला ग्राम प्रधान की दूरगामी सोच से बदली अवधारणा।
गांवों का नाम आते ही आंखों के सामने छोटी-छोटी सुविधाओं लिए संघर्ष की तस्वीरें तैरने लगती हैं, लेकिन उतर प्रदेश के मीरजापुर जिले के बगहीं जैसे गांव को देखते ही यह धारणा बदल जाती है। गांव की मुखिया यानी ग्राम प्रधान ने अपनी दूरगामी सोच से न सिर्फ गांव को आत्मनिर्भर बनाया बल्कि वे सभी सुविधाएं ग्रामीणों के लिए जुटाई, जो उन्हें शहर में ही नजर आती थी।भारत में पुरातन अवधारणा है कि यह गांवों का देश है। वैसे तो जनपद में 809 ग्राम पंचायतें हैं, लेकिन इनमें नरायनपुर ब्लॉक का एक ग्राम पंचायत बगहीं भी है जो विकास की नई कहानी गढ़ रहा है। यहां हर क्षेत्र में विकास हुआ है, बल्कि यूं कहें कि विकास से ज्यादा बदलाव हुआ है तो ज्यादा ठीक रहेगा। ग्राम पंचायत को खुले में शौचमुक्त करना, खेल मैदान का सौंदर्यीकरण, ग्राम पुस्तकालय का निर्माण, ग्राम पंचायत में हर जगह स्ट्रीट लाइट, आधुनिक पंचायत भवन, सामुदायिक शौचालय, अंत्येष्टि स्थल, 1500 मीटर से अधिक भूमिगत पक्की नाली निर्माण, कूड़ादान व आंगनबाड़ी केंद्र निर्माण, बगहीं ग्राम पंचायत को बाकी ग्राम पंचायतों से अलग बनाता है। इसके अलावा बगहीं गांव में लोग अब अवशेषों को नहीं जलाते, बल्कि अवशेषों का निस्तारण कर उनसे कैसे आमदनी हो, इस पर मंथन कर रहे हैं। यह सबकुछ संभव हो पाया है मातृशक्ति ग्राम प्रधान रिशु पटेल की दूरदृष्टि से।
क्लाइमेट स्मार्ट गांव के रूप में चयनित
चाहे खुले में शौचमुक्त हो, नाली निर्माण, शिक्षा हो या स्वास्थ्य, अंत्येष्टि स्थल हो अथवा खेल का मैदान, हर पैमाने पर ग्राम पंचायत बगहीं खरा उतरने का प्रयास किया है। शायद यही वजह है कि जनवरी 2023 में मीरजापुर के सिर्फ एक ग्राम पंचायत बगहीं को क्लाइमेट स्मार्ट गांव के रूप में चयनित किया गया।
बच्चों की प्रतिभा निखारने के लिए खेल मैदान, खुद जुटाए संसाधन
ग्राम प्रधान रिशु बताती हैं, गांव में खेल मैदान तक नहीं था। ऐसे में बच्चों को दिक्कत होती थी। हालांकि लोगों के साथ बैठक कर इस पर चर्चा की गई और करीब डेढ़ बीघा जमीन सभी की सहमति से खाली कराया गया। अब इस खेल मैदान पर फुटबाल, वालीबाल, क्रिकेट, बैडमिंटन व दौड़ प्रतियोगिता कराने के साथ बच्चों की प्रतिभा को निखारा जा रहा है। गांव के लोग व खुद के सहयोग से खेल के उपकरण भी खरीद लिए गए हैं, ताकि खिलाड़ियों को दिक्कत न हो। यहां तक कि बैठने के लिए बेंच व लाइट की भी व्यवस्था कर दी गई है।
पुस्तकालय की तैयारी, अब ऑनलाइन पढ़ेंगे बच्चे
रिशु के अनुसार ग्राम पंचायत में जल्द ही पुस्तकालय का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। यहां ऐतिहासिक पुरुष व महिलाओं की जीवनी आधारित पुस्तकें तो होंगी ही, ऑनलाइन शिक्षा देने के लिए भी दो डेस्कटाप कम्प्यूटर लगाए जाएंगे। यह सब भी गांव के लोगों व खुद के सहयोग से किया जाएगा। इसके अलावा प्रिंटर व स्मार्ट एलईडी भी होगी, जहां गांव के बच्चे आकर ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ सकेंगे। वहीं कूड़ा निस्तारण के लिए आरसीसी सेंटर का बजट जारी हो गया है। इसका भी कार्य जल्द प्रारंभ होगा।
विकास का वाहक बनेगा ग्राम पंचायत बगहीं
रिशु के मुताबिक ग्राम प्रधान बनने से पहले तक गांव की नालियां कच्ची थी। ऐसे में बारिश में स्थिति विकट हो जाती थी। हालांकि अब पक्की नालियां बनवा दी गई है। इससे नारकीय स्थिति से छुटकारा मिलेगा। गांव के लोग जो बाहर नौकरी कर रहे हैं, उनसे भी सहयोग मांगा जाएगा और ग्राम पंचायत के विकास को ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास होगा। गरीबी उन्मूलन, स्वरोजगार समेत अन्य पर भी बल दिया जा रहा है। आने वाले समय में सामाजिक बदलाव से ग्राम पंचायत बगहीं आदर्श मानक पर पहुंचेगा और विकास का वाहक बनेगा। (एएमएपी)