महेंद्र कुमार सिंह/ प्रणय विक्रम सिंह/ समीर निगम।
वैश्विक महामारी कोरोना की विभीषिका ने मानव सभ्यता को बहुआयामी तरीके से प्रभावित किया है जिसमें जीवन और जीविका को सुरक्षित रखने की चुनौती सबसे दुष्कर है। दुनिया के ताकतवर मुल्कों से लेकर तीसरी दुनिया के अविकसित राष्ट्र तक कोरोना-कहर के सम्मुख जीवन और जीविका की जंग हारते नजर आए। इस दरम्यान भारत का सबसे बड़ा राज्य उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कोविड-19 के विरुद्ध युद्ध में कई अहम पड़ावों को पार कर चुनौतियों को अवसर में बदलता हुआ नजर आया।
जीवन और जीविका की सुरक्षा के साथ कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने की ऐतिहासिक सफलता ने योगी माडल को दुनिया के सामने एक नजीर बना दिया है। इसमें कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने व इलाज के लिए संक्रमितों की शिनाख्त हेतु योगी सरकार द्वारा कराए गए एक करोड़ सत्तर लाख से ज्यादा टेस्ट की भी बड़ी भूमिका है। विदित हो कि यूपी ने कोरोना महामारी को लेकर देश में सबसे ज्यादा जांच की है।
योगी सरकार की सराहना करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ) ने कहा है कि कोरोना महामारी से निपटना उत्तर प्रदेश जैसे किसी बड़े राज्य के लिए चुनौतीपूर्ण था। ऐसे में राज्य सरकार द्वारा एक कुशल नियोजित योजना के तहत की गई उच्च जोखिम वाले संपर्कों की प्रारंभिक जांच और उनकी ट्रैकिंग से उत्तर प्रदेश को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ने में काफी मदद मिली है। यह माडल कारगर व अनुकरणीय है।
इंसेफेलाइटिस, कोविड-19 के विरुद्ध युद्ध से मजबूत हुआ स्वास्थ्य इंफ्रास्ट्रक्चर
कोरोना की आमद से वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाओं के पोल खुल गई। अनेकानेक विकसित एवं विकासशील देशों में चिकित्सकीय सेवाएं कोरोना संक्रमण के प्रारम्भिक दौर में असहाय नजर आयीं। लेकिन इन तमाम दुसाध्य स्थितियों से सबक लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में लॉकडाउन घोषित करते हुए “स्वच्छता, सोशल डिस्टेंसिग और लॉकडाउन के पालन से होगी कोराना का पलायन” जैसा कारगर मंत्र दिया। लॉकडाउन एक ऐसा उपाय साबित हुआ जिससे कोविड को रोकने में बड़ी कामयाबी मिली। खैर, इससे एक बात सच साबित हुई कि सीखने की प्रक्रिया मात्र स्वयं पर आई मुश्किलों पर निर्भर नहीं होती, दूसरों को देखकर भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है। इस बात को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कोरोना के विरुद्ध सफलता भी एक बड़ा आधार प्रदान करती है। क्योंकि उन्हें कोरोना जैसे रोग से लड़ने का अनुभव तो नहीं था किंतु उत्तर प्रदेश में मौत का कारक बने इंसेफलाइटिस के निर्मूलन का तजुर्बा था उनके पास। स्वच्छता, शुद्ध पेय जल और जनपदों में छोटी से छोटी इकाइयों को इंसेफलाइटिस के विरुद्ध युद्ध के लिए तैयार कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इंसेफलाइटिस को मुँहतोड़ जवाब दिया था।
कोराना से जंग में उत्तर प्रदेश के पास नेतृत्व, नीयत और निष्ठा तीनों थे। कोरोना के विरुद्ध युद्ध आरम्भ हो चुका था। एक के बाद एक उत्तर प्रदेश में प्रयोगशालाओं की स्थापना शुरू हुई और जांचें नियमित रूप से बढ़ाई जाने लगीं। धीरे-धीरे सारे कीर्तिमान ध्वस्त हुए पहले प्रतिदिन 10 हजार, फिर 20 हजार, 30 हजार, और फिर 1 लाख और कुछ ही समय में प्रतिदिन 1.50 लाख जांचें उत्तर प्रदेश में प्रतिदिन की जाने लगीं। कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग के माध्यम से कोरोना को मात देने के लिए 10-12 यहां तक कि 25 कॉन्टेक्ट तक ट्रेस किए गए। कोरोना की हार के लिए उत्तर प्रदेश तैयार हो गया था। लगातार टेस्टिंग की बढ़ती हुई संख्या जो कि अब डेढ़ करोड़ के आँकड़े को पार कर चुकी है, प्रदेश की टेस्टिंग क्षमताओं में लगातार वृद्धि को दर्शाती है। टेस्टिंग लगातार जारी है। आरटीपीसीआर, ट्रू-नैट व रैपिड एंटीजन टेस्ट के साथ-साथ सर्विलांस की अभूतपूर्व व्यवस्था ने कोरोना वायरस की कमर तोड़ने के साथ, उत्तर प्रदेश की जनता में एक अभूतपूर्व विश्वास भरा है।
यूपी अब किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए तैयार है। एल1, एल2, एल3 अस्पतालों की त्रिस्तरीय व्यवस्था में डेढ़ लाख से अधिक बेड्स की व्यवस्था से प्रदेश में रिकवरी की दर निरंतर बढ़ रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की स्वास्थ्य के क्षेत्र में संघर्ष क्षमता ने प्रदेश को एक बहुत बड़ी शक्ति प्रदान की। कोरोना वायरस की समस्या की समाप्ति के लिए सिर्फ़ अस्पतालों या प्रयोगशालाओं तक ही इस लड़ाई को सीमित नहीं रखा गया। कोरोना के विरुद्ध लड़ाई को प्रत्येक कार्यालय, प्रतिष्ठान, उद्योग, तहसील और थाने यहां तक कि धान क्रय केंद्रों तक पहुंचाते हुए अनिवार्य रूप से ‘कोविड हेल्प डेस्क’ की स्थापना की गई। प्रत्येक कोविड हेल्प डेस्क पर इंफ्रारेड थर्मामीटर व पल्स ऑक्सीमीटर उपलब्ध कराए गए। किसी भी व्यक्ति में कोविड के लक्षण होने की स्थिति में उनकी प्रारम्भिक स्क्रीनिंग जांच यहां की जाने लगी। जिससे कोरोना के प्रसार को नियंत्रित करने में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त हुई। कोरोना से लड़ाई में जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इंसेफलाइटिस से लड़ाई के अनुभव ने नई राहें दिखाईं, वहीं ‘कोविड हेल्प डेस्क’ की स्थापना व सर्विलांस में सभी कीर्तिमान ध्वस्त करने वाली व्यवस्था से अन्य बीमारियों को समाप्त करने में भी प्रदेश को बहुत मदद मिलेगी क्योंकि प्रदेश ने एक मुश्किल से दूसरी मुश्किल को आसान करने की कला मुख्यमंत्री योगी के आपदा को पराजित करने वाले नेतृत्व में बहुत ही अच्छे ढंग से सीख ली है।
श्रमिकों की घर वापसी, रोजगार जैसे मुद्दों पर खरी उतरी योगी सरकार
कोरोना महामारी के दौरान सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के तहत रोजगार प्रदान करने के लिए उत्तर प्रदेश को देश के शीर्ष पांच राज्यों में जगह मिली है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की हालिया रिपोर्ट में, उत्तर प्रदेश ने शीर्ष 10 राज्यों की सूची में कर्नाटक, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और तेलंगाना से आगे का स्थान हासिल किया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने न केवल देश भर से लगभग 40 लाख प्रवासियों की वापसी का प्रबंधन किया, बल्कि उन्हें रोजगार प्रदान करने का भी महत्वपूर्ण कार्य किया। योगी सरकार ने लगभग 20 लाख प्रवासी मजदूरों/श्रमिकों की स्किल मैपिंग की, ताकि उन्हें नौकरी मिल सके। सरकार ने एक वर्ष के भीतर 11 लाख नौकरियों के निर्माण के लिए विभिन्न उद्योगों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान रियल एस्टेट के निकाय नारको और लघु उद्योग भारती ने भी प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने पर सहमति व्यक्त की। राज्य सरकार, नई एमएसएमई इकाइयों को स्थापित करने के लिए उद्यमियों को ऋण प्रदान कर रही है। यही नहीं, नई इकाइयों की स्थापना में सहयोग हेतु लांच किए गए नए पोर्टल ‘सारथी’ ने उद्यमियों की समस्याओं को सिंगल विंडो समाधान प्रदान कर दिया है। आमजन को उद्यमिता कौशल सिखाने में सरकार मदद कर रही है। गौरतलब है कि राज्य में 90 लाख एमएसएमई इकाइयां क्रियान्वित हैं। योगी सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र को राज्य के आर्थिक विकास के लिए नए विकास इंजन के रूप में पेश किया है।
उत्तर प्रदेश के सभी नागरिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा हमारी शीर्ष प्राथमिकता है।
अतएव, कोविड-19 के टीकाकरण की सफलता हेतु प्रदेश के सभी जनपदों में 15 दिसंबर, 2020 तक “कोल्ड चेन” की सुदृढ़ व्यवस्था प्रदेश सरकार सुनिश्चित करेगी, जिससे वैक्सीन की गुणवत्ता में कोई भी कमी न आने पाए।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) November 23, 2020
वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना से हुआ कायाकल्प
यूपी में MSME के तहत वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) की महत्वाकांक्षी योजना महामारी के समय में एक गेम चेंजर के रूप में उभरी है। ODOP के तहत, अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर 75 जिलों के उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचारित और बेचा जा रहा है। अब तक, योगी सरकार ने 6,40,000 एमएसएमई इकाइयों के लिए 18,348 करोड़ रुपये का वितरण किया है, जिसके कारण 25 लाख नौकरियां पैदा हुई हैं। इसके अतिरिक्त, आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज के तहत 4,37,000 मौजूदा इकाइयों को 10,850 करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 2020-2021 में एमएसएमई को 76,000 करोड़ रुपये का ऋण देने का लक्ष्य रखा था, जिसका उद्देश्य अस्सी लाख लोगों केलिये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा करना है।
राजकीय एवं निजी मेडिकल कॉलेजों में नवस्थापित BSL लैब तथा एफेरेसिस व केमिल्यूमिनिसेन्स फैसिलिटी का लोकार्पण, किसी भी महामारी से लड़ने हेतु @UPGovt की गम्भीर तैयारी का सूचक है।
कोरोना को परास्त करने हेतु यह अत्यंत उपयोगी सिद्ध होंगे।
चिकित्सा शिक्षा विभाग का यह प्रयास सराहनीय है। pic.twitter.com/VMzNLUdXN0
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) November 23, 2020
कोरोना काल में हुआ बड़ा निवेश
कोरोना-जनित लॉकडाउन के बावजूद उत्तर प्रदेश में पिछले छह महीनों में लगभग 6,700 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। इन परियोजनाओं के लिए 426 एकड़ भूमि आवंटित की जा चुकी है। इसके अलावा पहले से ही अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, कनाडा, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों से 40 से अधिक निवेश के इरादे प्राप्त कर चुके हैं। करीब 326 भूखंडों को हीरानंदानी ग्रुप, सूर्या ग्लोबल, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एमजी कैप्सूल, केशो पैकेजिंग, माउंटेन व्यू टेक्नोलॉजीज जैसे प्रमुख निवेशकों को आवंटित किया गया है।
सफलता की यह इमारत निरंतर प्रयासों की एक सुदृढ़ नींव पर खड़ी है।
(महेंद्र कुमार सिंह वरिष्ठ स्तंभकार और डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग में सहायक आचार्य हैं। प्रणय विक्रम सिंह और समीर निगम वरिष्ठ पत्रकार हैं)