उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे में 17वें दिन आखिरकार जिंदगी जीत गई है। दिवाली की सुबह 12 नवंबर से टनल के अंदर फंसे 41 मजदूर सकुशल बाहर निकल आए हैं। टनल के अंदर फंसे मजदूरों की हररोज सुबह होने के साथ ही मौत से जंग शुरू हो जाती थी। टनल के अंदर फंसे सभी मजदूरों का एक दूसरे के लिए साथ किसी संजीवनी से कम नहीं था। जहां सुंरग से बाहर आए 41 श्रमिकों ने राहत की सांस ली वहीं, इनके परिवारों की अटकी सांसों को भी सुकून मिला। श्रमिकों के परिवारों में अब जश्न का माहौल है। दीपावली से फंसे श्रमिकों के परिवारों में पसरा अंधेरा खुशियों का पिटारा साथ ले कर आया है। श्रमिकों के परिवारों ने इस खुशी को दीपावली के तरह मनाया। अत्याधुनिक अमेरिकन ऑगर मशीन से ड्रिलिंग, मैनुअल माइनिंग के साथ ही रैट माइनर्स ने 41 लोगों की जान बचाने को अहम भूमिका निभाई।

प्रधानमंत्री ने जाना मजदूरों का हाल

मजदूरों के सुरक्षित बाहर निकलने की दुआएं कबूल हुईं। ऑपरेशन सिलक्यारा के तहत जब आखिरी मजदूर ने टनल से बाहर आकर खुली हवा में सांस ली तो देश में सभी देशवासियों ने भी राहत की सांस ली। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिलक्यारा में 41 श्रमिकों की सकुशल वापसी पर मुख्यमंत्री धामी को फोन कर शुभकामनाएं दीं।

सीएम धामी ने सौंपा 1 लाख का चेक

बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिन्यालीसौड़ पहुंचे, जहां सुरंग के निकाले गए 41 मजदूरों को रखा गया है। सीएम ने मजदूरों को एक-एक लाख के चेक दिए। इसके बाद सीएम धामी यहां से लौट गए। इस दौरान उन्होंने कहा कि अब एम्स ऋषिकेश में मजदूरों की सघन जांच होगी, इसके बाद उन्हें उनके घर भेजा जाएगा।

खरा उतरा डबल इंजन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के तालमेल के चलते 17 दिन तक चलने वाले इस अभियान की परिणति सुखद रही है। उत्तराखंड की सत्ता पर भाजपा के काबिज होने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने डबल इंजन सरकार के जिस फायदे को गिनाया था, वह सिलक्यारा टनल आपदा के दौरान सही साबित हुआ। डबल इंजन इस अभियान में खरा उतरा है। केंद्र-राज्य सरकार के बेहतर तालमेल को सुरंग में फंसे मजदूरों और उन्हें निकालने में जुटे हर व्यक्ति के संयम और संघर्षशीलता ने परवान चढ़ाया।

अब देश के लिए केस स्टडी बनेगा सिलक्यारा सुरंग हादसा

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) के कार्यकारी निदेशक राजेंद्र रतनू ने कहा कि सिलक्यारा सुरंग हादसा पूरे देश के लिए केस स्टडी बनेगा। भविष्य में सुरंग निर्माण में हम क्या-क्या सावधानियां बरतें, कैसे कमियों को दूर करें, इस पर एनआईडीएम पूरा चेप्टर तैयार करेगा।  छठवें वैश्विक आपदा प्रबंधन सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे राजेंद्र रतनू ने कहा कि देश में जहां भी सुरंगों का निर्माण होगा, हमारी कोशिश रहेगी कि निर्माण में लगी एजेंसी और विभागों के साथ पहले से तैयार माड्यूल पर बात कर आगे बढ़ा जाए।

बचाव अभियान में अर्नोल्ड की बड़ी भूमिका

इस रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता अर्नोल्ड डिक्स के बिना अधूरी थी। मजदूरों को सुरंग से बाहर निकालने वाले एक्सपर्ट्स में अर्नोल्ड की बड़ी भूमिका है। वह भूमिगत और परिवहन बुनियादी ढांचे में एक्सपर्ट हैं। वह न सिर्फ अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन से जुड़े जोखिमों पर सलाह देते हैं बल्कि उन्हें इसमें महारत हासिल है। अर्नोल्ड जिनेवा के इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के प्रमुख हैं। यह कंपनी अंडरग्राउंड कंस्ट्रक्शन के लिए कानूनी, पर्यावरणीय, राजनीतिक और अन्य जोखिमों को लेकर सलाह देती है। अर्नोल्ड 20 नवंबर को इस रेस्क्यू ऑपरेशन से जुड़े थे. इसके बाद उन्होंने भारत की मदद करने को लेकर कहा था कि उन्हें अच्छा लग रहा है। डिक्स ने कहा था कि पहाड़ों ने हमें एक चीज सिखाई है कि विनम्र रहना है। अर्नोल्ड डिक्स वही शख्स हैं, जिन्होंने दावा किया था कि सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को क्रिसमस से पहले निकाल लिया जाएगा। (एएमएपी)